नई दिल्ली : घरेलू चीनी की कीमतें बढ़ रही हैं और 2-3 महीनों तक ऊंची रहने की उम्मीद है. स्थानीय चीनी की कीमतें पिछले तीन हफ्तों में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. इसका कारण उत्पादन पर चिंता के साथ-साथ नाजुक बैलेंस शीट (30 सितंबर को 6 मिलियन टन स्टॉक बंद होने का अनुमान- त्योहार के महीनों में दो महीने की खपत के लिए मुश्किल से पर्याप्त) और देरी के कारण है.
रिपोर्ट में कहा गया है, भारत का उत्पादन लगभग 30 मिलियन टन (+/- 1 मिलियन टन) हो सकता है, जो घरेलू खपत 28-28.5 मिलियन टन से अधिक है. इसलिए, स्थिति आरामदायक है. अगर निर्यात करना भी होगा तो इसकी घोषणा मई 2024 के बाद ही की जाएगी. वैश्विक कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, लेकिन घरेलू चीनी की कीमतों पर इसका कोई खास असर नहीं है. चीनी की कीमतें, जो पिछले तीन हफ्तों में तेजी से बढ़ी हैं, स्थिर रहेंगी. हालांकि सरकार किसी भी तेज बढ़ोतरी पर रोक लगाएगी. क्योंकि इसका असर आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पड़ सकता है.
भारत लगातार तीन साल से दुनिया में बड़े चीनी निर्यातकों में से एक है. लेकिन इस बार इसके उत्पादन और प्रोडक्शन में कमी के चलते ये निर्यात में सक्षम नहीं होगा. जिससे वैश्विक चीनी कीमतें 12 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, लेकिन निर्यात की कमी को देखते हुए इससे स्थानीय उत्पादकों को ज्यादा मदद नहीं मिलती है. साथ ही, किसी भी आयात की कमी को देखते हुए स्थानीय कीमतों का वैश्विक कीमतों के साथ कोई प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है, और सरकार अपने मासिक रिलीज तंत्र उपाय के माध्यम से स्थानीय कीमतों को प्रभावित करती है.
भारत में चीनी उत्पादन अनुमानों में गिरावट का खतरा
पिछले महीने की शुरुआत में, इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) ने SS24 (अक्टूबर 23-सितंबर 24) के लिए 31.7MNT का प्रारंभिक चीनी उत्पादन (शुद्ध) अनुमान लगाया है. लेकिन, अगस्त'23 पूरे देश में शुष्क अवधि रही है, विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में (ये दोनों राज्य भारत के उत्पादन का 45-50 प्रतिशत हिस्सा हैं) इससे उत्पादन अनुमानों में और कटौती का खतरा पैदा हो गया है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा कि चूंकि स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा पर वैश्विक सहमति है, इसलिए जी20 शिखर सम्मेलन में प्रस्तावित जैव ईंधन गठबंधन को सही गंभीरता से लिए जाने की संभावना है. चूंकि भारत ब्राजील के बाद चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, इसलिए भारतीय चीनी उद्योग को पेट्रोलियम उत्पादों के साथ इथेनॉल मिश्रण बढ़ाने के निर्णय से लाभ होगा.
पिछले एक महीने के दौरान चीनी की कीमतों में करीब 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, इससे चीनी कंपनियों के लिए संभावनाएं बेहतर हुई हैं. हालांकि चीनी स्टॉक पहले से ही 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं.
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(आईएनएस)