नई दिल्ली : विमान पट्टे पर देने वाली कंपनी एसएमबीसी एविएशन कैपिटल लिमिटेड ने गो फर्स्ट की स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका को स्वीकार करने के राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में अपील की है. विदित हो कि एनसीएलटी की दिल्ली स्थित प्रमुख पीठ ने बुधवार यानी आज ही गो फर्स्ट के Voluntary Insolvency Resolution याचिका को स्वीकार किया है.
National Company Law Tribunal (NCLT) ने निदेशक मंडल को भंग करने और कर्ज में डूबी कंपनी के वित्तीय दायित्वों पर रोक लगाते हुए अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया है. पिछले सप्ताह एनसीएलटी में सुनवाई के दौरान, कई विमान पट्टेदारों ने गो फर्स्ट की स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका का विरोध किया था. SMBC Aviation Capital Limited दुनिया की सबसे बड़ी विमान पट्टे पर देने वाली कंपनी है. पहले इस कंपनी का नाम आरबीएस एविएशन कैपिटल था, जिसे बदलकर एसएमबीसी एविएशन कैपिटल नाम रखा गया.
गो फर्स्ट पर कितना कर्ज- Go First भारी वित्तीय सकंट से जूझ रही है. कंपनी ने 17 साल पहले अपना कारोबार शुरू किया था और आज कर्ज में डूबी हुई है. जिसके चलते कंपनी को खुद को दिवाला घोषित करने के लिए एनसीएलटी में याचिका दायर करनी पड़ी. कंपनी पर अभी कुल 11,463 करोड़ रुपये का कर्ज है. जिसमें से कंपनी ने 3,856 करोड़ रुपये का पेमेंट करने में डिफॉल्ट कर चुकी है. वहीं, विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों का 2,600 करोड़ रुपये बकाया है. शायद इसलिए गो फर्स्ट की स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका देने पर कई विमान पट्टेदारों ने इसका विरोध किया था. क्योंकि एक बार दिवाला घोषित हो जाने के बाद कर्जदार गो फर्स्ट से अपने कर्ज नहीं वसूल पाएंगे. इसके अलावा कंपनी पर फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के 6,521 करोड़ रुपये उधार थे.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
पढ़ें : Go First News : NCLT ने गो फर्स्ट की याचिका की स्वीकार, कर्मचारियों को छंटनी से दी राहत