नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मंगलवार को शेयर बाजार में कारोबार के लिए कोष को 'ब्लॉक' करने की सुविधा का प्रस्ताव रखा है. इस कदम से निवेशकों के पैसे का शेयर ब्रोकरों के हाथों दुरुपयोग रोकने में मदद मिलेगी. यह सुविधा प्राथमिक बाजार या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के मामले में पहले से है. इसमें निवेशक के खाते से पैसा तभी कटता है, जब उसे आईपीओ के तहत शेयर आवंटित करने की सूचना दी जाती है.
सेबी ने जारी की एडवाइजरी लेटर
सेबी ने अपने एक एडवाइजरी लेटर में कहा है कि शेयर बाजारों में खरीद-फरोख्त के लिए कोष या फंड को ब्लॉक करने की सुविधा मिलने से निवेशकों को बैंक खाते में रोकी गई राशि पर कारोबार करने की सहूलियत मिल पाएगी. इस तरह निवेशकों को अपना पैसा शेयर ब्रोकर को भेजने की जरूरत ही खत्म हो जाएगी.
इसके अलावा फंड ब्लॉक की सुविधा से क्लियरिंग हाउस, ग्राहक स्तर की निपटान दृश्यता यानी पे-इन और पे-आउट दोनों सेवाएं मुहैया करा पाएंगे. यह काम ग्राहक या निवेशक और क्लियरिंग निगम के बीच कोष और प्रतिभूतियों के सीधे निपटान के जरिये किया जाएगा. सेबी ने कहा कि इस प्रक्रिया से ग्राहकों की पूंजी का शेयर ब्रोकर के स्तर पर दुरुपयोग नहीं हो पाएगा और उनकी पूंजी से जुड़े जोखिम भी कम होंगे.
मौजूदा व्यवस्था के तहत ग्राहकों का पैसा शेयर ब्रोकर और क्लियरिंग सदस्य से होते हुए समाशोधन निगम तक पहुंचता है. इसी तरह समाशोधन निगम की तरफ से जारी की गई राशि ग्राहक तक पहुंचने के पहले क्लियरिंग हाउस एवं शेयर ब्रोकर के पास जाती है. Clearing House अपने सदस्यों को अंतिम निपटान निर्देश हर दिन जारी करते हैं लेकिन ग्राहकों के स्तर पर देनदारियों का निपटारा शेयर ब्रोकर ही करते हैं.सेबी ने इस प्रस्ताव पर 16 फरवरी तक सार्वजनिक रूप से सुझाव मांगे हैं. प्रस्तावित मॉडल के तहत पैसा ग्राहक के खाते में ही बना रहेगा लेकिन उसे क्लीयरिंग हाउस में ब्लॉक कर दिया जाएगा. ब्लॉक की तय अवधि खत्म होने या एजेंसी की तरफ से उसे हटाए जाने तक यह राशि ब्लॉक ही रहेगी. क्लीयरिंग हाउस, ग्राहक के खाते से उतनी ही राशि निकाल पाएंगे जितनी राशि ब्लॉक की गई थी.
(भाषा)