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IPO Listing: सेबी का बड़ा फैसला, अब 3 दिनों में होगी IPO की लिस्टिंग

निदेशक मंडल ने सार्वजनिक निर्गमों में शेयरों की सूचीबद्धता की समयावधि को निर्गम बंद होने (टी) की तारीख से मौजूदा छह दिनों से घटाकर तीन दिन करने को मंजूरी दी है.

IPO will be listed in 3 days
सेबी का बड़ा फैसला
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Published : Jun 29, 2023, 8:57 AM IST

मुंबई: बाजार नियामक सेबी ने सार्वजनिक निर्गम के शेयरों की सूचीबद्धता के लिये समय अवधि मौजूदा छह दिन से घटाकर तीन दिन करने समेत कई प्रस्तावों को बुधवार को मंजूरी दी. नियामक के इस कदम से निर्गम जारीकर्ता को उनका कोष प्राप्त करने और आवंटियों को प्रतिभूति हासिल करने में कम समय लगेगा. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की की यहां हुई बैठक में कुल सात प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी.

नियामक ने एक विज्ञप्ति में कहा, 'संशोधित टी+3 (निर्गम बंद होने के दिन से तीन दिन) दिनों की संशोधित समयसीमा दो चरणों में लागू की जाएगी. एक सितंबर, 2023 को या उसके बाद खुलने वाले सभी सार्वजनिक निर्गमों के लिये यह स्वैच्छिक होगा और एक दिसंबर, 2023 को या उसके बाद के निर्गमों के मामले में यह अनिवार्य होगा.' बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा कि सूचीबद्धता के समय को तीन दिन तक कम करने का निर्णय 'वैश्विक स्तर पर पहली बार है और मुझे यकीन है कि इसमें कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि सभी बाजार प्रतिभागियों ने इसका परीक्षण कर लिया है.' सेबी ने कहा कि यह निर्णय बड़े निवेशकों, रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंटों, ब्रोकर-वितरकों और बैंकों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद लिया गया है.

निदेशक मंडल ने सार्वजनिक निर्गमों में शेयरों की सूचीबद्धता की समयावधि को निर्गम बंद होने (टी) की तारीख से मौजूदा छह दिनों से घटाकर तीन दिन करने को मंजूरी दी है. इसके साथ, सेबी ने पारदर्शिता बढ़ाते हुए कुछ श्रेणी के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिये खुलासा जरूरतों को बढ़ाने का निर्णय लिया है. नए नियम ऐसे एफपीआई के लिए लागू होंगे, जो एक ही कॉरपोरेट समूह में हिस्सेदारी को केंद्रित करते हैं.

इस कदम का उद्देश्य भारतीय कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण के जोखिमों से बचाने के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) आवश्यकताओं की संभावित हेराफेरी और एफपीआई मार्ग के संभावित दुरुपयोग को रोकना है. इसके अलावा, जिन अन्य प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी है, उसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये अतिरिक्त खुलासों की जरूरत तथा बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) एवं रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) के यूनिटधारकों के लिये निदेशक मंडल में नामांकन अधिकार पेश करना शामिल हैं.

पढ़ें: क्या और भी विदेशी कोष का ब्योरा मांगने संबंधी सेबी का कदम प्रचार पाने की कवायद है- कांग्रेस

सेबी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए खुलासा आवश्यकताओं को भी बढ़ाएगा। इसके तहत कुछ मानदंडों और शर्तों को पूरा करने वाले एफपीआई के स्वामित्व, आर्थिक हित और नियंत्रण के संबंध में अतिरिक्त खुलासे को अनिवार्य करना शामिल है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसके अलावा नियामक स्कोर्स (सेबी शिकायत निपटान प्रणाली) के माध्यम से निवेशक शिकायत प्रबंधन तंत्र को मजबूत करेगा और नये मंच को ऑनलाइन विवाद समाधान व्यवस्था से जोड़ेगा.

पीटीआई-भाषा

मुंबई: बाजार नियामक सेबी ने सार्वजनिक निर्गम के शेयरों की सूचीबद्धता के लिये समय अवधि मौजूदा छह दिन से घटाकर तीन दिन करने समेत कई प्रस्तावों को बुधवार को मंजूरी दी. नियामक के इस कदम से निर्गम जारीकर्ता को उनका कोष प्राप्त करने और आवंटियों को प्रतिभूति हासिल करने में कम समय लगेगा. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की की यहां हुई बैठक में कुल सात प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी.

नियामक ने एक विज्ञप्ति में कहा, 'संशोधित टी+3 (निर्गम बंद होने के दिन से तीन दिन) दिनों की संशोधित समयसीमा दो चरणों में लागू की जाएगी. एक सितंबर, 2023 को या उसके बाद खुलने वाले सभी सार्वजनिक निर्गमों के लिये यह स्वैच्छिक होगा और एक दिसंबर, 2023 को या उसके बाद के निर्गमों के मामले में यह अनिवार्य होगा.' बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा कि सूचीबद्धता के समय को तीन दिन तक कम करने का निर्णय 'वैश्विक स्तर पर पहली बार है और मुझे यकीन है कि इसमें कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि सभी बाजार प्रतिभागियों ने इसका परीक्षण कर लिया है.' सेबी ने कहा कि यह निर्णय बड़े निवेशकों, रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंटों, ब्रोकर-वितरकों और बैंकों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद लिया गया है.

निदेशक मंडल ने सार्वजनिक निर्गमों में शेयरों की सूचीबद्धता की समयावधि को निर्गम बंद होने (टी) की तारीख से मौजूदा छह दिनों से घटाकर तीन दिन करने को मंजूरी दी है. इसके साथ, सेबी ने पारदर्शिता बढ़ाते हुए कुछ श्रेणी के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिये खुलासा जरूरतों को बढ़ाने का निर्णय लिया है. नए नियम ऐसे एफपीआई के लिए लागू होंगे, जो एक ही कॉरपोरेट समूह में हिस्सेदारी को केंद्रित करते हैं.

इस कदम का उद्देश्य भारतीय कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण के जोखिमों से बचाने के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) आवश्यकताओं की संभावित हेराफेरी और एफपीआई मार्ग के संभावित दुरुपयोग को रोकना है. इसके अलावा, जिन अन्य प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी है, उसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये अतिरिक्त खुलासों की जरूरत तथा बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) एवं रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) के यूनिटधारकों के लिये निदेशक मंडल में नामांकन अधिकार पेश करना शामिल हैं.

पढ़ें: क्या और भी विदेशी कोष का ब्योरा मांगने संबंधी सेबी का कदम प्रचार पाने की कवायद है- कांग्रेस

सेबी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए खुलासा आवश्यकताओं को भी बढ़ाएगा। इसके तहत कुछ मानदंडों और शर्तों को पूरा करने वाले एफपीआई के स्वामित्व, आर्थिक हित और नियंत्रण के संबंध में अतिरिक्त खुलासे को अनिवार्य करना शामिल है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसके अलावा नियामक स्कोर्स (सेबी शिकायत निपटान प्रणाली) के माध्यम से निवेशक शिकायत प्रबंधन तंत्र को मजबूत करेगा और नये मंच को ऑनलाइन विवाद समाधान व्यवस्था से जोड़ेगा.

पीटीआई-भाषा

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