नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की तीन दिवसीय बैठक आज से शुरू हो गई, जिसकी अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास कर रहे हैं. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में रेपो रेट को लेकर बड़ा फैसला लिया जाएगा. विशेषज्ञों को उम्मीद है कि अधिक मजबूत आर्थिक वृद्धि के आंकड़ों के कारण एमपीसी द्वारा लगातार पांचवीं बार रेपो रेट को स्थिर रखा जा सकता है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार सुबह छह सदस्यीय एमपीसी के फैसले का खुलासा करेंगे. इसी के साथ विशेषज्ञों को उम्मीद है कि एमपीसी इस महीने अपनी द्विमासिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों पर रोक लगाएगी.
इस बार भी रिजर्व बैंक रेपो रेट स्थिर रख सकता
वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी डेटा एमपीसी के पिछले पूर्वानुमान की तुलना में काफी अधिक है, और खाद्य मुद्रास्फीति के विभिन्न पहलुओं पर जारी चिंताओं के साथ, हम उम्मीद करते हैं कि पॉलिसी दस्तावेज़ के काफी आक्रामक लहजे के बीच, इस वजह से एमपीसी अपनी दिसंबर 2023 की समीक्षा में विराम लगा सकती है.
तीन दिन चलेगी बैठक
तीन दिवसीय बैठक 6 दिसंबर यानी की आज से शुरू हो गई है. इस बैठक के नतीजे का खुलासा 8 दिसंबर को किया जाएगा. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास 8 दिसंबर को सुबह 10 बजे के आसपास एमपीसी के फैसले को साझा करेंगे, इसके बाद दोपहर में नीति-पश्चात प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी.
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट वह रेट है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक) किसी भी धन की कमी की स्थिति में कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है. इन्फ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक अधिकारियों द्वारा रेपो दर का यूज किया जाता है. रेपो का मतलब 'पुनर्खरीद विकल्प' या 'पुनर्खरीद समझौता' है.
इस बैठक का उद्देश्य क्या है?
इस बैठक का मुख्य वजह रेपो रेट है. इस दौरान नीतिगत रेपो दर का निर्धारण किया जाता है. कमिटी का उद्देश्य आर्थिक विकास के व्यापक लक्ष्यों पर विचार करते हुए लक्षित मुद्रास्फीति दर को प्राप्त करने का लक्ष्य रखते हुए संतुलन बनाना है.