चेन्नई : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद रेपो रेट को स्थिर रखा है. उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यव्स्था मजबूत है. वहीं, अर्थशास्त्रियों ने भी ऐसी उम्मीद जताई थी कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट को यथावत रखेगा. बता दें, एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक के बाद फैसले की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने का फैसला किया है.
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#WATCH | RBI Governor Shaktikanta Das says, "...The Monetary Policy Committee decided unanimously to keep the policy repo rate unchanged at 6.5%. Consequently, the Standing Deposit Facility rate remains at 6.25% and the Marginal Standing Facility rate and the Bank Rate at 6.75%." pic.twitter.com/yQSppS7IzJ
— ANI (@ANI) December 8, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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जीडीपी वृद्धि दर सात फीसदी रहने का अनुमान
उन्होंने यह भी कहा कि एमपीसी के छह में से पांच सदस्यों ने मौद्रिक नीतियों के प्रति रुख में नरमी को जारी रखने के पक्ष में मतदान किया है. दास ने आगे कहा कि आर्थिक कारकों को ध्यान में रखते हुए एमपीसी ने वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर सात फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. समिति ने विभिन्न घरेलू मुद्दों को ध्यान में रखते हुए 2023-24 के लिए खुदरा महंगाई दर 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जारी किया है.
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#WATCH | RBI Governor Shaktikanta Das says, "...Real GDP growth for the current year 2023-24 is projected at 7% - with Q3 at 6.5% and Q4 at 6%. Real GDP growth for Q1 of 2024-25 is projected at 6.7%, for Q2 at 6.5% and for Q3 at 6.4%. The risks are evenly balanced." pic.twitter.com/S7JPd5o3yq
— ANI (@ANI) December 8, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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कॉर्पोरेट क्षेत्र को अधिक निवेश करने की जरूरत
वहीं, गुरुवार को भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEO) वी. अनंत नागेश्वरन कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था को निवेश और विनिर्माण की दिशा में संतुलित करने के लिए भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र को अधिक निवेश करने की जरूरत है.
टॉप बिजनेस चैंबर सीआईआई के ग्लोबल इकोनॉमिक पॉलिसी फोरम 2023 में उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र और कॉर्पोरेट्स दोनों में बैलेंस शीट को बड़े पैमाने पर दुरुस्त किया गया है. निजी गैर-वित्तीय कंपनियों या कॉरपोरेट्स की सकल बचत पिछले आठ वर्षों में दोगुनी हो गई है. वी. अनंत नागेश्वरन का संदेश स्पष्ट था कि कॉर्पोरेट्स को फंड पर बैठे रहने के बजाय निवेश करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि निवेश शुरू करने से पहले मांग पैदा होने का इंतजार करने से ऐसी मांग की स्थिति उत्पन्न होने में देरी होगी.
ग्रामीण मांग पिछड़ रही है
निवेश से रोजगार, आय सृजन, उपभोग और बचत को निवेश में पुनर्चक्रित किया जाता है, इसलिए जितना अधिक कॉर्पोरेट क्षेत्र अपने निवेश में देरी करेगा, रोजगार सृजन, आय वृद्धि और अधिक बचत के लिए उपभोग वृद्धि का पुण्य चक्र साकार नहीं होगा. जैसे हालात हैं निजी निवेश अपने महामारी से पहले के स्तर पर वापस नहीं आया है. रोजगार सृजन में कमी रही है, जबकि निवेश बुनियादी ढांचे और उपभोक्ता क्षेत्रों तक ही सीमित रहा है. यहां तक कि खपत में सुधार भी असमान रहा है क्योंकि ग्रामीण मांग पिछड़ रही है.
निवेश में मंदी आई है
नागेश्वरन ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि हालात में फिर से सुधार हो, जैसा कि सहस्राब्दी के पहले दशक में हुआ था, संसाधन उपलब्ध कराने के मामले में गैर-वित्तीय निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र और वित्तीय क्षेत्र के बीच साझा किया जाना है. उन्होंने कहा कि पूंजी बाजार या वित्तीय संस्थानों के वित्तीय संसाधनों पर निर्भर हुए बिना भी कॉर्पोरेट क्षेत्र के पास इन निवेशों को करने और पुनर्संतुलन करने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं. वैश्विक मंदी और मध्य पूर्व और यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के कारण उत्पन्न आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निवेश में मंदी आई है.