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भारत में ऊर्जा की कमी से निपटने के लिए रतुल पुरी की रणनीति

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Published : Jan 7, 2023, 4:19 PM IST

भारत में ऊर्जा की कमी और ग्लोबल वार्मिंग से (Energy shortage in India and global warming) निपटने के लिए हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स के अध्यक्ष रतुल पुरी (HPP Chairman Ratul Puri) ने मंत्र दिया है. उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और वैश्विक जलवायु परिवर्तन को रोकना समय की मांग है.

Ratul puri
भारत में ऊर्जा की कमी से निपटने के लिए रतुल पुरी की रणनीति

नई दिल्ली: देश ग्लोबल वार्मिग और ऊर्जा की कमी दो सबसे बड़ी चुनौतियां (Global warming and energy shortage) का सामना कर रहा है. परिवहन और उद्योग क्षेत्रों के तेजी से बढ़ने के साथ, पिछले 200 वर्षों में ऊर्जा की जरूरतों में भारी वृद्धि हुई है. ऐसे परिदृश्य में हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स के अध्यक्ष रतुल पुरी (Hindustan Power Projects Chairman Ratul Puri) कहते हैं कि प्राकृतिक गैस, कोयला और अन्य ऊर्जा स्रोत दुनिया की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते हैं. जिससे वैश्विक ऊर्जा की कमी हो सकती है. जैसा कि हमने देखा है, प्राकृतिक गैस की कीमतों में वैश्विक स्तर पर उछाल आया है. उच्च ऊर्जा लागतों ने आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से आर्थिक परिदृश्यों को प्रभावित किया है. बढ़ती लागत का सामना करने में असमर्थ, यूरोप और एशिया की कई कंपनियों को अपना परिचालन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

चरम पर हैं प्राकृतिक गैस की कीमतें: दरअसल, रतुल पुरी ने कहा कि बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों के साथ, हमारे देश में प्राकृतिक गैस की कीमतें भी चरम पर हैं. ऊर्जा सूचना प्रशासन (Energy Information Administration) के अनुसार 2050 तक वैश्विक ऊर्जा खपत में 50 प्रतिशत की वृद्धि होगी. यह भी प्रोजेक्ट करता है कि यदि हम 2050 तक शून्य-शुद्ध उत्सर्जन प्रतिबद्धता प्राप्त करना चाहते हैं, तो स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक निवेश 2030 तक तिगुना होकर 4 ट्रिलियन डॉलर हो जाना चाहिए.

2030 तक दस लाख लोगों को मिलेगा रोजगार: उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और अंतत: रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू), नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल (Natural Resources Defense Council) और स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स (एसजीजीजे) द्वारा किए गए. एक संयुक्त अध्ययन में भविष्यवाणी की गई है कि भारत का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र विकास पथ पर है. उनके शोध के अनुसार 2030 तक भारत में दस लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और इनमें से अधिकांश नौकरियां छोटे-स्तरीय नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से उत्पन्न होंगी.

"ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और वैश्विक जलवायु परिवर्तन को रोकना समय की मांग है. वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संकट के मुद्दे से निपटने में हमारी मदद करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा और हरित गतिशीलता की ओर संक्रमण, पर्यावरण के अनुकूल निर्माण प्रथाओं को अपनाना, जलवायु-उत्तरदायी शहरी डिजाइन और कम बिजली वाले इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन कुछ तरीके हैं. एक परिपत्र अर्थव्यवस्था का विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयर, डिजिटलीकरण, जलवायु कानून, कार्बन कैप्चर, वनीकरण, और संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करना कुछ अन्य हो सकते हैं." :- रतुल पुरी, अध्यक्ष, हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स


8-9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है आईटी उद्योग: रतुल पुरी (Hindustan Power Projects Chairman Ratul Puri) का यह भी मानना है कि यदि हम जीरो-उत्सर्जन लक्ष्य (Zero Emission Target In India) को प्राप्त करना चाहते हैं तो डिजिटल क्षेत्र हमारा आदर्श भागीदार है. महामारी से प्रेरित वैश्विक डिजिटल संक्रमण संपर्क रहित समय में व्यापार संचालन की निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण रहा है. उन्होंने कहा कि आईटी उद्योग, जो महामारी से पहले के युग में लगभग 5 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था. अब डिजिटल सेवाओं की बढ़ती मांग के कारण 8-9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. नए युग की तकनीकों की मदद से, अब हम संसाधनों का इष्टतम उपयोग कर सकते हैं. जलवायु परिवर्तन पर वास्तविक समय की प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम कर सकते हैं.



यह एडिटिव मैन्युफैक्च रिंग और डिजिटल ट्विन्स (Additive Manufacturing Ring and Digital Twins) का उपयोग कर हरित उत्पादन लाइनों के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहा है. रतुल पुरी का मानना है कि डिजिटल क्षेत्र हमारे लिए सतत विकास के रास्ते तलाशने और उनमें नवाचार करने के विभिन्न अवसरों के साथ आता है. उन्होंने आगे कहा कि हमें स्थिरता को अपनाने और इसे अपनी मानसिकता, कार्य संस्कृति और यहां तक कि हमारे संचालन में गहराई से शामिल करने की आवश्यकता है. चाहे वह डिजाइन चरण हो, विनिर्माण हो या उत्पादों की डिलीवरी हो. ऐसा करने से एक क्रांतिकारी परिवर्तन होगा. जिसे हम सामने लाना चाहते हैं जो आगे चलकर इस क्षेत्र में एक बड़े परिवर्तन का कारण बनेगा.--आईएएनएस

जलवायु परिवर्तन : 2050 तक अरब सागर में डूब जाएंगे मुंबई के कई हिस्से

नई दिल्ली: देश ग्लोबल वार्मिग और ऊर्जा की कमी दो सबसे बड़ी चुनौतियां (Global warming and energy shortage) का सामना कर रहा है. परिवहन और उद्योग क्षेत्रों के तेजी से बढ़ने के साथ, पिछले 200 वर्षों में ऊर्जा की जरूरतों में भारी वृद्धि हुई है. ऐसे परिदृश्य में हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स के अध्यक्ष रतुल पुरी (Hindustan Power Projects Chairman Ratul Puri) कहते हैं कि प्राकृतिक गैस, कोयला और अन्य ऊर्जा स्रोत दुनिया की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते हैं. जिससे वैश्विक ऊर्जा की कमी हो सकती है. जैसा कि हमने देखा है, प्राकृतिक गैस की कीमतों में वैश्विक स्तर पर उछाल आया है. उच्च ऊर्जा लागतों ने आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से आर्थिक परिदृश्यों को प्रभावित किया है. बढ़ती लागत का सामना करने में असमर्थ, यूरोप और एशिया की कई कंपनियों को अपना परिचालन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

चरम पर हैं प्राकृतिक गैस की कीमतें: दरअसल, रतुल पुरी ने कहा कि बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों के साथ, हमारे देश में प्राकृतिक गैस की कीमतें भी चरम पर हैं. ऊर्जा सूचना प्रशासन (Energy Information Administration) के अनुसार 2050 तक वैश्विक ऊर्जा खपत में 50 प्रतिशत की वृद्धि होगी. यह भी प्रोजेक्ट करता है कि यदि हम 2050 तक शून्य-शुद्ध उत्सर्जन प्रतिबद्धता प्राप्त करना चाहते हैं, तो स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक निवेश 2030 तक तिगुना होकर 4 ट्रिलियन डॉलर हो जाना चाहिए.

2030 तक दस लाख लोगों को मिलेगा रोजगार: उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और अंतत: रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू), नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल (Natural Resources Defense Council) और स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स (एसजीजीजे) द्वारा किए गए. एक संयुक्त अध्ययन में भविष्यवाणी की गई है कि भारत का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र विकास पथ पर है. उनके शोध के अनुसार 2030 तक भारत में दस लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और इनमें से अधिकांश नौकरियां छोटे-स्तरीय नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से उत्पन्न होंगी.

"ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और वैश्विक जलवायु परिवर्तन को रोकना समय की मांग है. वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संकट के मुद्दे से निपटने में हमारी मदद करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा और हरित गतिशीलता की ओर संक्रमण, पर्यावरण के अनुकूल निर्माण प्रथाओं को अपनाना, जलवायु-उत्तरदायी शहरी डिजाइन और कम बिजली वाले इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन कुछ तरीके हैं. एक परिपत्र अर्थव्यवस्था का विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयर, डिजिटलीकरण, जलवायु कानून, कार्बन कैप्चर, वनीकरण, और संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करना कुछ अन्य हो सकते हैं." :- रतुल पुरी, अध्यक्ष, हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स


8-9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है आईटी उद्योग: रतुल पुरी (Hindustan Power Projects Chairman Ratul Puri) का यह भी मानना है कि यदि हम जीरो-उत्सर्जन लक्ष्य (Zero Emission Target In India) को प्राप्त करना चाहते हैं तो डिजिटल क्षेत्र हमारा आदर्श भागीदार है. महामारी से प्रेरित वैश्विक डिजिटल संक्रमण संपर्क रहित समय में व्यापार संचालन की निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण रहा है. उन्होंने कहा कि आईटी उद्योग, जो महामारी से पहले के युग में लगभग 5 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था. अब डिजिटल सेवाओं की बढ़ती मांग के कारण 8-9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. नए युग की तकनीकों की मदद से, अब हम संसाधनों का इष्टतम उपयोग कर सकते हैं. जलवायु परिवर्तन पर वास्तविक समय की प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम कर सकते हैं.



यह एडिटिव मैन्युफैक्च रिंग और डिजिटल ट्विन्स (Additive Manufacturing Ring and Digital Twins) का उपयोग कर हरित उत्पादन लाइनों के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहा है. रतुल पुरी का मानना है कि डिजिटल क्षेत्र हमारे लिए सतत विकास के रास्ते तलाशने और उनमें नवाचार करने के विभिन्न अवसरों के साथ आता है. उन्होंने आगे कहा कि हमें स्थिरता को अपनाने और इसे अपनी मानसिकता, कार्य संस्कृति और यहां तक कि हमारे संचालन में गहराई से शामिल करने की आवश्यकता है. चाहे वह डिजाइन चरण हो, विनिर्माण हो या उत्पादों की डिलीवरी हो. ऐसा करने से एक क्रांतिकारी परिवर्तन होगा. जिसे हम सामने लाना चाहते हैं जो आगे चलकर इस क्षेत्र में एक बड़े परिवर्तन का कारण बनेगा.--आईएएनएस

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