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Pakistan Crisis: पाकिस्तान में 1965 के बाद महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर, CPI inflation 38 फीसदी पहुंची - पाकिस्तान में महंगाई 1965 के उच्च स्तर पर

पाकिस्तान की हालत श्रीलंका से भी खराब है (Pakistan Crisis). श्रीलंका जब अपने आर्थिक संकट के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था, तब भी वहां महंगाई दर 25.2 फीसदी के रिकार्ड स्तर पर पहुंची थी. लेकिन पाकिस्तान में यह आकड़ा यानी महंगाई दर 38 फीसदी के अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है. पढे़ं पूरी खबर...

Pakistan Crisis
पाकिस्तान संकट
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Published : Jun 2, 2023, 3:41 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है. वहां की जनता महंगाई से त्रस्त है. पाकिस्तान के जियो न्यूज के अनुसार पाकिस्तान के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति की दर मई 2023 में साल-दर-साल (YoY) के आधार पर रिकॉर्ड 38 फीसदी तक पहुंच गई है, जो जुलाई 1965 के बाद सबसे अधिक है.

पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) के आंकड़ों के अनुसार, सीपीआई आधारित महंगाई अप्रैल 2023 में 36.4 फीसदी तक पहुंच गई, जबकि मई में यह महीने-दर-महीने (एमओएम) 1.6 फीसदी बढ़ गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में सालाना आधार पर महंगाई 52.4 फीसदी से बढ़ी है तो वहीं, शहरी क्षेत्रों में यह दर मई 2022 की तुलना में मई 2023 में खाद्य महंगाई में 48.1 फीसदी की आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है.

पाकिस्तान में महंगाई 38 फीसदी
ब्रोकरेज फर्म आरिफ हबीब लिमिटेड ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. आरिफ हबीब लिमिटेड अर्थशास्त्री सना तौफीक ने टिप्पणी की कि 'महीने-दर-महीने (एमओएम) महंगाई 1.6 फीसदी से बढ़ी है. और इस महंगाई के बढ़ने की वजह भोजन, घरेलू सामान और कपड़ों के खर्च में वृद्धि थी. अर्थशास्त्री ने आगे कहा कि पाकिस्तान में महंगाई अभी और बढ़ रही है. जो 23 फीसदी से बढ़कर 38 फीसदी तक पहुंच गई है.

हबीब लिमिटेड अर्थशास्त्री सना तौफीक ने कहा-
'हमें उम्मीद है कि बेस-इफेक्ट के साथ जून के बाद से महंगाई घटेगी. हालांकि, घरेलू खाद्य और ऊर्जा की कीमतों के साथ-साथ मुद्रा अवमूल्यन (पाकिस्तानी रुपए की गिरती कीमत) समग्र महंगाई के लिए प्रमुख जोखिम बने हुए हैं.'

पाकिस्तान की हालत श्रीलंका से भी खराब
पाकिस्तान की हालत श्रीलंका से भी खराब है. श्रीलंका जब अपने आर्थिक संकट के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था, तब भी वहां महंगाई दर 25.2 फीसदी के रिकार्ड स्तर पर पहुंची थी. लेकिन पाकिस्तान में यह आकड़ा यानी महंगाई दर 38 फीसदी के अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है. जियो न्यूज ने बताया कि मुद्रास्फीति तब से बढ़ रही है जब सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा जमे हुए नकदी को अनलॉक करने के लिए आवश्यक राजकोषीय समायोजन के हिस्से के रूप में गंभीर उपायों को लागू किया है, जो अभी तक वितरित नहीं किया गया है.

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इस्लामाबाद : पाकिस्तान आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है. वहां की जनता महंगाई से त्रस्त है. पाकिस्तान के जियो न्यूज के अनुसार पाकिस्तान के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति की दर मई 2023 में साल-दर-साल (YoY) के आधार पर रिकॉर्ड 38 फीसदी तक पहुंच गई है, जो जुलाई 1965 के बाद सबसे अधिक है.

पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) के आंकड़ों के अनुसार, सीपीआई आधारित महंगाई अप्रैल 2023 में 36.4 फीसदी तक पहुंच गई, जबकि मई में यह महीने-दर-महीने (एमओएम) 1.6 फीसदी बढ़ गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में सालाना आधार पर महंगाई 52.4 फीसदी से बढ़ी है तो वहीं, शहरी क्षेत्रों में यह दर मई 2022 की तुलना में मई 2023 में खाद्य महंगाई में 48.1 फीसदी की आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है.

पाकिस्तान में महंगाई 38 फीसदी
ब्रोकरेज फर्म आरिफ हबीब लिमिटेड ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. आरिफ हबीब लिमिटेड अर्थशास्त्री सना तौफीक ने टिप्पणी की कि 'महीने-दर-महीने (एमओएम) महंगाई 1.6 फीसदी से बढ़ी है. और इस महंगाई के बढ़ने की वजह भोजन, घरेलू सामान और कपड़ों के खर्च में वृद्धि थी. अर्थशास्त्री ने आगे कहा कि पाकिस्तान में महंगाई अभी और बढ़ रही है. जो 23 फीसदी से बढ़कर 38 फीसदी तक पहुंच गई है.

हबीब लिमिटेड अर्थशास्त्री सना तौफीक ने कहा-
'हमें उम्मीद है कि बेस-इफेक्ट के साथ जून के बाद से महंगाई घटेगी. हालांकि, घरेलू खाद्य और ऊर्जा की कीमतों के साथ-साथ मुद्रा अवमूल्यन (पाकिस्तानी रुपए की गिरती कीमत) समग्र महंगाई के लिए प्रमुख जोखिम बने हुए हैं.'

पाकिस्तान की हालत श्रीलंका से भी खराब
पाकिस्तान की हालत श्रीलंका से भी खराब है. श्रीलंका जब अपने आर्थिक संकट के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था, तब भी वहां महंगाई दर 25.2 फीसदी के रिकार्ड स्तर पर पहुंची थी. लेकिन पाकिस्तान में यह आकड़ा यानी महंगाई दर 38 फीसदी के अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है. जियो न्यूज ने बताया कि मुद्रास्फीति तब से बढ़ रही है जब सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा जमे हुए नकदी को अनलॉक करने के लिए आवश्यक राजकोषीय समायोजन के हिस्से के रूप में गंभीर उपायों को लागू किया है, जो अभी तक वितरित नहीं किया गया है.

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