नई दिल्ली : एलन मस्क ने गुरुवार को फिर से सवाल उठाया कि सत्या नडेला द्वारा संचालित टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट की एक गैर-लाभकारी कंपनी 30 अरब डॉलर (भारतीय करेंसी अनुसार 2,480,436,030,000) की अधिकतम-लाभ वाली कंपनी कैसे बन गई. मस्क ने माइक्रोसॉफ्ट के ओपनएआई को 100 मिलियन डॉलर का दान दिया था. उन्होंने 2018 में ओपनएआई के निदेशक मंडल से पद छोड़ दिया और अब कंपनी में उनकी कोई हिस्सेदारी नहीं है.
उन्होंने चुटकी ली, "मैं अभी भी उलझन में हूं कि कैसे एक गैर-लाभ कंपनी जिसके लिए मैंने 100 मिलियन डॉलर का दान दिया था, किस तरह लाभ के लिए 30 अरब डॉलर का मार्केट कैप बन गया. यदि यह कानूनी है, तो हर कोई ऐसा क्यों नहीं करता?" उन्होंने ट्विटर डेटाबेस तक ओपनएआई की पहुंच को भी रोक दिया है. ओपनएआई की स्थापना 2015 में एक गैर-लाभकारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अनुसंधान कंपनी के रूप में की गई थी.
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इसके शोध निदेशक इल्या सुतस्केवर थे, जो मशीन लनिर्ंग के विश्व विशेषज्ञों में से एक थे और सीटीओ ग्रेग ब्रॉकमैन थे, जो पहले स्ट्राइप के सीटीओ थे. ओपनएआई के सह-अध्यक्ष सैम ऑल्टमैन और मस्क थे. इस साल फरवरी में ट्विटर के सीईओ ने भी यही सवाल उठाया था, जिसमें कहा गया था कि ओपनएआई को एक ओपन सोर्स के रूप में बनाया गया था (यही कारण है कि मैंने इसे 'ओपन' एआई नाम दिया) एक गैर-लाभकारी कंपनी, जो गूगल के प्रतिरूप के रूप में काम करती है.
ओपनएआई द्वारा विकसित एआई चैटबोट चैटजीपीटी, जो अब एक माइक्रोसॉफ्ट कंपनी है, लोकप्रिय हो गई है और टेक दिग्गज ने इसमें 10 अरब डॉलर का निवेश किया है ताकि इसे सभी उद्योगों के लिए अधिक उपयोगी बनाया जा सके.
(आईएएनएस)
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