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ऐसा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान चुनें जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में भी बने सहारा

कैंसर महंगे इलाज वाली बीमारी है, इसलिए मेडिकल पॉलिसी लेते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि ऐसा प्लान चुना जाए जो विभिन्न प्रकार के कैंसर को कवर करता हो. या ऐसी पॉलिसी पर टिक करें जो विभिन्न प्रकार के कैंसर की अधिकतम संख्या को कवर करती हो (policy that covers a maximum number of varied cancers). महंगे इलाज वाली बीमारी होने के कारण पॉलिसी की राशि अधिक होनी चाहिए. सर्जरी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और अन्य उपचारों की लागत का अनुमान लगाया जाना चाहिए और पॉलिसी की राशि उसी के अनुसार तय की जानी चाहिए.

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Published : Oct 10, 2022, 5:46 PM IST

Updated : Oct 10, 2022, 5:55 PM IST

Making cancer treatment affordable with insurance cover
हेल्थ इंश्योरेंस प्लान

हैदराबाद: कैंसर से पीड़ित कई लोग भविष्य के बारे में अनिश्चितता महसूस करते हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि लोग कैंसर के नाम से डरते हैं, क्योंकि हाल के दिनों में कैंसर मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ गई है.

एक अनुमान के मुताबिक कैंसर के इलाज में करीब 20 लाख रुपये खर्च होते हैं. मेट्रो शहरों और कैंसर विशेष अस्पतालों में यह अधिक महंगा हो सकता है. कैंसर के टेस्ट कराने की लागत लाखों में हो सकती है. इसके साथ ही लंबे समय तक दवा का खर्च भी उठाना होता है. जाहिर है, ये सभी चीजें निश्चित रूप से हमारी आर्थिक स्थिति को खराब करेंगी. सेविंग पर असर पड़ने के साथ ही, हमें भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों से भी समझौता करना होगा. ऐसी कठिन परिस्थितियों से बचने के लिए, एक व्यापक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के साथ-साथ कैंसर-विशिष्ट पॉलिसी चुनना बेहतर है.

यदि आपके पास ऐसा प्लान है, जो कैंसर के खिलाफ पर्याप्त कवर नहीं देता है, तो आपके लिए कैंसर विशेष योजना या बीमारी के खिलाफ अच्छे कवरेज के साथ एक गंभीर बीमारी प्लान (critical illness plan) खरीदना समझदारी होगी. इससे यह सुनिश्चित होगा कि इलाज के खर्च के अलावा इससे जुड़े अन्य खर्चे भी पूरे होंगे, जैसे इलाज के लिए आने-जाने का गैर-चिकित्सीय खर्च, पूरक दवाएं, घरेलू खर्च आदि.

शुरुआती प्रतीक्षा अवधि (वेटिंग पीरियड) आमतौर पर बीमा पॉलिसी लेने के 90 से 180 दिनों तक होती है. इस दौरान पॉलिसीधारक कोई दावा नहीं कर सकता है. सरवाइवल पीरियड वह होता है जिसमें मेडिकल जांच में बीमारी का पता चल चुका होता है, लेकिन इस दौरान पॉलिसी कवर काम नहीं करता है. ऐसे में यदि कोई व्यक्ति उस अवधि तक सरवाइव करता है, तो उसे उपचार और देखभाल की आवश्यकता होती रहेगी और चिकित्सा व्यय को कवर किया जाएगा. यदि नहीं, तो कवर की आवश्यकता नहीं है. सरवाइवल पीरियड की अवधि 30 दिनों से लेकर छह महीने तक हो सकती है.

ऐसी पॉलिसी लेना बेहतर है जो विभिन्न प्रकार के कैंसर को कवर करती हो या ऐसी पॉलिसी पर टिक करें जो विभिन्न प्रकार के कैंसर की अधिकतम संख्या को कवर करती हो. महंगी बीमारी होने के कारण पॉलिसी की राशि अधिक होनी चाहिए. सर्जरी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और अन्य उपचारों की लागत का अनुमान लगाया जाना चाहिए और पॉलिसी की राशि उसी के अनुसार तय की जानी चाहिए. यह भी तय किया जाना चाहिए कि पॉलिसी कवर का लाभ लंबे समय तक मिलता रहे.

अधिकतर पॉलिसी अब 80 साल तक की उम्र वालों को कवरेज प्रदान करती हैं. अगर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है भी तो यह बात समझ लेनी चाहिए कि कैंसर पॉलिसी या क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी लेना आजकल पसंद से ज्यादा 'जरूरी' हो गया है. बीमा पॉलिसी लेने से पहले सभी नियम और शर्तों को अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए.

पढ़ें : हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ध्यान दें, अच्छी सेहत वाले को प्रीमियम में छूट दे रही हैं इंश्योरेंस कंपनियां

पढ़ें : कम उम्र में ही खरीदें हेल्थ इंश्योरेंस, तभी मिलेगा पॉलिसी का असली फायदा

पढ़ें : मुश्किल में मददगार होती है हेल्थ इंश्योरेंस की टॉप-अप और सुपर टॉप-अप पॉलिसी

हैदराबाद: कैंसर से पीड़ित कई लोग भविष्य के बारे में अनिश्चितता महसूस करते हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि लोग कैंसर के नाम से डरते हैं, क्योंकि हाल के दिनों में कैंसर मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ गई है.

एक अनुमान के मुताबिक कैंसर के इलाज में करीब 20 लाख रुपये खर्च होते हैं. मेट्रो शहरों और कैंसर विशेष अस्पतालों में यह अधिक महंगा हो सकता है. कैंसर के टेस्ट कराने की लागत लाखों में हो सकती है. इसके साथ ही लंबे समय तक दवा का खर्च भी उठाना होता है. जाहिर है, ये सभी चीजें निश्चित रूप से हमारी आर्थिक स्थिति को खराब करेंगी. सेविंग पर असर पड़ने के साथ ही, हमें भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों से भी समझौता करना होगा. ऐसी कठिन परिस्थितियों से बचने के लिए, एक व्यापक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के साथ-साथ कैंसर-विशिष्ट पॉलिसी चुनना बेहतर है.

यदि आपके पास ऐसा प्लान है, जो कैंसर के खिलाफ पर्याप्त कवर नहीं देता है, तो आपके लिए कैंसर विशेष योजना या बीमारी के खिलाफ अच्छे कवरेज के साथ एक गंभीर बीमारी प्लान (critical illness plan) खरीदना समझदारी होगी. इससे यह सुनिश्चित होगा कि इलाज के खर्च के अलावा इससे जुड़े अन्य खर्चे भी पूरे होंगे, जैसे इलाज के लिए आने-जाने का गैर-चिकित्सीय खर्च, पूरक दवाएं, घरेलू खर्च आदि.

शुरुआती प्रतीक्षा अवधि (वेटिंग पीरियड) आमतौर पर बीमा पॉलिसी लेने के 90 से 180 दिनों तक होती है. इस दौरान पॉलिसीधारक कोई दावा नहीं कर सकता है. सरवाइवल पीरियड वह होता है जिसमें मेडिकल जांच में बीमारी का पता चल चुका होता है, लेकिन इस दौरान पॉलिसी कवर काम नहीं करता है. ऐसे में यदि कोई व्यक्ति उस अवधि तक सरवाइव करता है, तो उसे उपचार और देखभाल की आवश्यकता होती रहेगी और चिकित्सा व्यय को कवर किया जाएगा. यदि नहीं, तो कवर की आवश्यकता नहीं है. सरवाइवल पीरियड की अवधि 30 दिनों से लेकर छह महीने तक हो सकती है.

ऐसी पॉलिसी लेना बेहतर है जो विभिन्न प्रकार के कैंसर को कवर करती हो या ऐसी पॉलिसी पर टिक करें जो विभिन्न प्रकार के कैंसर की अधिकतम संख्या को कवर करती हो. महंगी बीमारी होने के कारण पॉलिसी की राशि अधिक होनी चाहिए. सर्जरी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और अन्य उपचारों की लागत का अनुमान लगाया जाना चाहिए और पॉलिसी की राशि उसी के अनुसार तय की जानी चाहिए. यह भी तय किया जाना चाहिए कि पॉलिसी कवर का लाभ लंबे समय तक मिलता रहे.

अधिकतर पॉलिसी अब 80 साल तक की उम्र वालों को कवरेज प्रदान करती हैं. अगर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है भी तो यह बात समझ लेनी चाहिए कि कैंसर पॉलिसी या क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी लेना आजकल पसंद से ज्यादा 'जरूरी' हो गया है. बीमा पॉलिसी लेने से पहले सभी नियम और शर्तों को अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए.

पढ़ें : हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ध्यान दें, अच्छी सेहत वाले को प्रीमियम में छूट दे रही हैं इंश्योरेंस कंपनियां

पढ़ें : कम उम्र में ही खरीदें हेल्थ इंश्योरेंस, तभी मिलेगा पॉलिसी का असली फायदा

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Last Updated : Oct 10, 2022, 5:55 PM IST
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