वाशिंगटन : अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक से संबंधित नये आंकड़े आ गये हैं. यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स द्वारा जारी सूची में भारत 55 प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में 42वें स्थान पर है. अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक के अनुसार भारत इनोवेशन के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को बदलने की मांग कर रहे उभरते बाजारों में अग्रणी बन सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार और प्रभाव ग्लोबल स्तर पर बढ़ा है. यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पैट्रिक किलब्राइड ने शुक्रवार को वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित किया है.
रिपोर्ट में पेटेंट और कॉपीराइट कानूनों से लेकर आईपी संपत्तियों का मुद्रीकरण करने की क्षमता और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के समर्थन के आधार पर मजबूत देशों की सूची बनाई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने गतिशील निषेधाज्ञा आदेश जारी करके कॉपीराइट चोरी को रोकने के लिए लगातार मजबूत प्रयास किये हैं. कहा गया है कि भारत में उदार अनुसंधान एवं विकास के जरीये बौद्धिक संपदा की चोरी को रोकने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही चोरी और जालसाजी के नकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एसएमई के लिए बौद्धिक संपदा के निर्माण और उपयोग के लिए लक्षित प्रशासनिक प्रोत्साहनों में एक वैश्विक नेता के तौर पर उभरा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने कॉपीराइट-उल्लंघन सामग्री के खिलाफ प्रवर्तन में सुधार के लिए कदम उठाए हैं. बौद्धिक संपदा की बेहतर समझ और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक सर्वोत्तम-इन-क्लास ढांचा बनाया गया है. किलब्राइड ने कहा, हालांकि, अपने आईपी ढांचे में लंबे समय से चली आ रही खामियों को दूर करना और इस क्षेत्र के लिए एक नया मॉडल बनाने के लिए भारत को निरंतर महत्वपूर्ण प्रयास करने होंगे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड का 2021 का विघटन भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों को लागू करने के बारे में गंभीर चिंता पैदा करता है. अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक का उद्देश्य वैश्विक बाजारों में बौद्धिक संपदा परिदृश्य का विश्लेषण करके, राष्ट्रों को अधिक नवीनता, रचनात्मकता और प्रतिस्पर्धात्मकता द्वारा चिह्नित एक उज्जवल आर्थिक भविष्य की ओर नेविगेट करने में मदद करना है.
एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि एक दशक के स्थिर, वृद्धिशील, दुनिया भर में बौद्धिक संपदा सिस्टम में सुधार के बाद, बहुपक्षीय संगठनों सहित अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय नेताओं द्वारा विचाराधीन प्रस्तावों की बाढ़ ने मुश्किल से हासिल किए गए आर्थिक लाभ से समझौता करने की चुनौती पेश की है.