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सरकार ने जताई उम्मीद, जनवरी तक प्याज की कीमतें ₹40 प्रति किग्रा से नीचे आएंगी - प्याज का भाव

Onion prices to fall below Rs 40 per kg by January- उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने सोमवार को बताया कि अगले साल जनवरी महीने में प्याज के बढ़ती कीमतों से राहत मिलेगी. उन्होंने कहा कि जनवरी से प्याज की कीमतें 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ जाएगी. पढ़ें पूरी खबर...

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By PTI

Published : Dec 11, 2023, 1:36 PM IST

नई दिल्ली: उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि सरकार को उम्मीद है कि जनवरी तक प्याज की कीमतें घट सकती हैं. उनका कहना है कि मौजूदा औसत कीमत 57.02 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ जाएंगी. पिछले हफ्ते, सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की खुदरा बिक्री कीमत 80 रुपये प्रति किलोग्राम को पार करने और मंडियों में कीमतें 60 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास रहने के बाद अगले साल मार्च तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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प्याज की कीमतों पर बोले उपभोक्ता मामलों के सचिव
डेलॉयट ग्रोथ विद इम्पैक्ट गवर्नमेंट समिट के मौके पर रोहित कुमार सिंह से पूछा गया कि प्याज की कीमतें 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे कब आने की उम्मीद है. इसरक बोले की अगले साल जनवरी तक. सिंह ने कहा कति किसी ने कहा कि यह 100 रुपये प्रति किलोग्राम को छू जाएगा, हमने कहा कि यह कभी भी 60 रुपये प्रति किलोग्राम को पार नहीं करेगा. इसलिए, आज सुबह ऑल इंडिया औसत 57.02 रुपये प्रति किलोग्राम है और यह 60 रुपये प्रति किलोग्राम को पार नहीं करेगा.

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निर्यात बैन से किसानों पर नहीं होगा असर
उन्होंने कहा कि निर्यात प्रतिबंध से किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह व्यापारियों का एक छोटा समूह है जो भारतीय और बांग्लादेश के बाजारों में कीमतों के बीच अंतर का फायदा उठा रहा है. आगे कहा कि वे (जो व्यापारी अलग-अलग कीमतों का फायदा उठा रहे थे) नुकसान होगा. लेकिन फायदा किसे होगा, (वह) भारतीय उपभोक्ता है. उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (सीपीआई) बास्केट में प्याज की मुद्रास्फीति जुलाई से दोहरे अंक में रही है, जो अक्टूबर में चार साल के उच्चतम स्तर 42.1 फीसदी पर पहुंच गई है.

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वित्त वर्ष में में 9.75 लाख टन प्याज का हुआ निर्यात
इस वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से 4 अगस्त के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज का निर्यात किया जा चुका है. मूल्य के लिहाज से पहले तीन आयातक देश बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं. चालू खरीफ सीजन में प्याज कवरेज में कमी की खबरों के बीच प्याज की कीमतें बढ़ने लगी हैं. निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से पहले, केंद्र ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए अक्टूबर में खुदरा बाजारों में 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बफर प्याज स्टॉक की बिक्री बढ़ाने का फैसला किया था.

सरकार ने प्याज निर्यात लगाई रोक
कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. इसने इस साल 28 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक प्याज के निर्यात पर 800 अमेरिकी डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया. इसके अलावा, अगस्त में, भारत ने 31 दिसंबर तक प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया. जबकि अक्टूबर में सब्जियों में थोक मूल्य मुद्रास्फीति (-) 21.04 फीसदी तक कम हो गई, प्याज में मूल्य वृद्धि की वार्षिक दर उच्च बनी रही.

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नई दिल्ली: उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि सरकार को उम्मीद है कि जनवरी तक प्याज की कीमतें घट सकती हैं. उनका कहना है कि मौजूदा औसत कीमत 57.02 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ जाएंगी. पिछले हफ्ते, सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की खुदरा बिक्री कीमत 80 रुपये प्रति किलोग्राम को पार करने और मंडियों में कीमतें 60 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास रहने के बाद अगले साल मार्च तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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प्याज की कीमतों पर बोले उपभोक्ता मामलों के सचिव
डेलॉयट ग्रोथ विद इम्पैक्ट गवर्नमेंट समिट के मौके पर रोहित कुमार सिंह से पूछा गया कि प्याज की कीमतें 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे कब आने की उम्मीद है. इसरक बोले की अगले साल जनवरी तक. सिंह ने कहा कति किसी ने कहा कि यह 100 रुपये प्रति किलोग्राम को छू जाएगा, हमने कहा कि यह कभी भी 60 रुपये प्रति किलोग्राम को पार नहीं करेगा. इसलिए, आज सुबह ऑल इंडिया औसत 57.02 रुपये प्रति किलोग्राम है और यह 60 रुपये प्रति किलोग्राम को पार नहीं करेगा.

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निर्यात बैन से किसानों पर नहीं होगा असर
उन्होंने कहा कि निर्यात प्रतिबंध से किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह व्यापारियों का एक छोटा समूह है जो भारतीय और बांग्लादेश के बाजारों में कीमतों के बीच अंतर का फायदा उठा रहा है. आगे कहा कि वे (जो व्यापारी अलग-अलग कीमतों का फायदा उठा रहे थे) नुकसान होगा. लेकिन फायदा किसे होगा, (वह) भारतीय उपभोक्ता है. उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (सीपीआई) बास्केट में प्याज की मुद्रास्फीति जुलाई से दोहरे अंक में रही है, जो अक्टूबर में चार साल के उच्चतम स्तर 42.1 फीसदी पर पहुंच गई है.

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वित्त वर्ष में में 9.75 लाख टन प्याज का हुआ निर्यात
इस वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से 4 अगस्त के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज का निर्यात किया जा चुका है. मूल्य के लिहाज से पहले तीन आयातक देश बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं. चालू खरीफ सीजन में प्याज कवरेज में कमी की खबरों के बीच प्याज की कीमतें बढ़ने लगी हैं. निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से पहले, केंद्र ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए अक्टूबर में खुदरा बाजारों में 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बफर प्याज स्टॉक की बिक्री बढ़ाने का फैसला किया था.

सरकार ने प्याज निर्यात लगाई रोक
कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. इसने इस साल 28 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक प्याज के निर्यात पर 800 अमेरिकी डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया. इसके अलावा, अगस्त में, भारत ने 31 दिसंबर तक प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया. जबकि अक्टूबर में सब्जियों में थोक मूल्य मुद्रास्फीति (-) 21.04 फीसदी तक कम हो गई, प्याज में मूल्य वृद्धि की वार्षिक दर उच्च बनी रही.

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