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Unable to pay EMI: नौकरी छूट गई या सैलरी देरी से मिल रही तो कैसे चुकाएं ईएमआई, क्लिक कर जानें

अगर आपने बैंक से लोन लिया है और समय पर EMI पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं. आपके साथ यदि ऐसी कोई समस्‍या है और आप सोच रहे हैं कि ऐसी स्थिति में क्या करें. तो इस रिपोर्ट में जानें उसका समाधान. ईटीवी भारत ने इस मामले पर बैंकिंग मामलों के जानकार वीके सिन्हा से बात की है.

Unable to pay EMI
ईएमआई कैसे चुकाएं
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Published : Feb 5, 2023, 1:37 PM IST

Updated : Feb 6, 2023, 4:37 PM IST

हैदराबाद: अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हम कई बार बैंक और अन्य वित्तीय संस्‍थाओं से लोन लेते हैं. लेकिन लोन लेने के बाद इसके कुछ नियम भी होते हैं, जिसका पालन करना जरूरी होता है. जैसे लोन की ईएमआई को निर्धारित समय पर चुकाना. अगर आप ईएमआई भुगतान में किसी भी तरह की लापरवाही बरतते हैं, तो आपको लेट पेमेंट पेनल्‍टी देनी होंगी. इसके अलावा, ईएमआई में देरी से पेमेंट करने का असर आपके क्रेडिट स्‍कोर पर भी पड़ता है. क्रेडिट स्‍कोर गड़बड़ होने से भविष्‍य में आपको लोन लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

कई बार नौकरी करने वाले लोगों की ये समस्‍या होती है कि उनकी किस्‍त के लिए बैंक की तरफ से जो डेट निर्धारित की जाती है, वह उस डेट तक EMI का भुगतान नहीं कर पाते हैं. इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं. मसलन सैलरी का समय पर नहीं मिलना, छंटनी का समय चल रहा है. नौकरी से हाथ धोना या फिर सैलरी में कटौती होना. इन सब सिचुएशन में जब आपको लगे कि आप अगले एक या दो महीने तक बैंक के EMI का भुगतान नहीं कर पाएंगे. ऐसी स्थिति में क्या करें. इन्हीं सब सवालों को लेकर हमने SBI के पूर्व अधिकारी व आर्थिक विशेषज्ञ वी. के सिन्हा से बात की.

आर्थिक मामलों के जानकार, एसबीआई बैंक के पूर्व अधिकारी वीके सिन्हा ने बताया कि ऐसी स्थिति में बैंक को लेटर लिख कर इनफोर्म करें कि आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण आप EMI का भुगतान नहीं कर पाएंगे. बैंक से EMI भुगतान करने के लिए कुछ समय या अन्य ऑप्शन मांगें. फिर बैंक आपको 3 ऑप्शन दे सकता है.

1. आपकी स्थिति को समझते हुए बैंक आपके EMI भुगतान के समय को 6 महीना से 1 साल तक के लिए बढ़ा सकता है. यह समयावधि अधिकतम 2 साल के लिए हो सकती है. यह समयावधि अलग- अलग लोन के लिए अलग-अलग हो सकता है. जैसे होम लोन, व्हीकल लोन, पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड बिल आदि किसी तरह के लोन. पर EMI का टाइम बढ़ाने के बाद पेमेंट जरूर करें.

2. बैंक दूसरा काम लोन को रिस्ट्रक्चर करने का कर सकता है. लोन रिस्ट्रक्चर का मतलब है कि EMI कम कर देना. उदाहरण से समझें-कि पहले आप 20,000 हजार रुपए का EMI पेमेंट करते थे. लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अब आप 10,000 का EMI भुगतान कर पाएंगे. यह जानकारी बैंक को दें. बैंक आपके लोन को रिस्ट्रक्चर कर आपकी मदद कर सकता है. इसमें भी ध्यान देने वाली बात ये है कि रिस्ट्रक्चर EMI का पेमेंट समय पर जरूर करें वरना बोझ बढ़ता जाएगा. उदाहरण से समझें- आपके लोन की एक इंस्टॉलमेंट राशि 20,000 रु. है. जिनमें से आपने 15,000 का भुगतान किया. अब जो बकाया 5,000 रु. रह गया, उसे अगले महीने के EMI के साथ (20,000+5,000= 25,000 रु) का भुगतान करें.

3. अगर आपको लगे कि आप इस महीने का लोन इंस्टॉलमेंट नहीं चुका सकते हैं. ऐसे में आप बैंक से लिन पिरियड ले सकते हैं. Lean Period बैंक द्वारा 6 महीने से लेकर 2 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. EMI में देरी होने पर बैंक किस्त राशि का 1 से 2 प्रतिशत तक लेट पेमेंट पेनल्‍टी लगाएगा. इसलिए कभी भी लगातार 3 EMI बाउंस न होने दें. वरना आपका अकाउंट Non Performing Assets (NPA) डिक्लेयर किया जा सकता है. यानी अगर 90 दिनों तक आपके बैंक में ट्रांजेक्शन नहीं होता है, तो आपको डिफॉल्टर माना जाएगा. इसके बाद बैंक debtors को नोटिस भेजेगा. फिर बैंक और वित्तीय संस्थान कानूनी कार्रवाई करने की संभावना पर विचार करने लगते हैं.

अगर अकाउंट NPA हो गया हो तो क्या करें. इस सवाल पर बैंकिंग मामलों के विशेषज्ञ वीके सिन्हा ने कहा कि अगर आपका अकाउंट डिफॉल्ट हो भी गया है, तो घबराएं नहीं. इसका समाधान है. सबसे पहले बैंक को लिखित में बताएं कि किन कारणों से आपका EMI बाउंस हो गया. इसके अलावा आप एक काम और करें, कि इंस्टॉलमेंट न चुका पाने की स्थिति में कभी भी ट्राजेक्शन पूरी तरह से बंद न करें. भले ही आप इंस्टॉलमेंट की रकम चुकाने में असमर्थ है. लेकिन कुछ रकम लोन अकाउंट में जरुर डालें. जिससे आपका अकाउंट एक्टिव रहे, आपके पास ट्राजेक्शन का स्लिप रहे. ध्यान रखें कि बैंक के साथ आपके हर ट्रांजेक्शन का लिखित में रिकार्ड रखें. इसका फायदा ये होगा कि आपके पास NPA होने से बचने के लिए सबूत रहेगा. जिससे बैंक आपका अकाउंट डिफॉल्ट नहीं करेगी. इसके साथ ही, बैंक के साथ कम्यूनिकेशन करना बंद न करें.

वीके सिन्हा ने आगे बताया कि अगर आप कुछ सालों तक ईएमआई का भुगतान नहीं कर सकते हैं तो लोन बीमा पॉलिसी जैसी चीजें आपकी मदद कर सकती हैं. यह पॉलिसी नौकरी छूटने या इनकम के नुकसान की स्थिति में मदद करती है. कम से कम 6 महीने की ईएमआई के बराबर की रकम हमेशा इमरजेंसी फंड के तौर पर उपलब्ध रखनी चाहिए. इससे आप पर किसी तरह का आर्थिक दबाव नहीं पड़ेगा. कम ईएमआई के साथ लोन अवधि चुनना और अपने वित्तीय साधनों के भीतर लोन लेना हमेशा सुरक्षित होता है.

पढ़ें : जीरो कॉस्ट ईएमआई पर खरीदारी, पेमेंट को समझना भी उतना ही जरूरी

पढ़ें : अनचाहे लोन बनते हैं समस्या का सबब, मिलने वाले हर कर्ज को न कहें या हां!

हैदराबाद: अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हम कई बार बैंक और अन्य वित्तीय संस्‍थाओं से लोन लेते हैं. लेकिन लोन लेने के बाद इसके कुछ नियम भी होते हैं, जिसका पालन करना जरूरी होता है. जैसे लोन की ईएमआई को निर्धारित समय पर चुकाना. अगर आप ईएमआई भुगतान में किसी भी तरह की लापरवाही बरतते हैं, तो आपको लेट पेमेंट पेनल्‍टी देनी होंगी. इसके अलावा, ईएमआई में देरी से पेमेंट करने का असर आपके क्रेडिट स्‍कोर पर भी पड़ता है. क्रेडिट स्‍कोर गड़बड़ होने से भविष्‍य में आपको लोन लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

कई बार नौकरी करने वाले लोगों की ये समस्‍या होती है कि उनकी किस्‍त के लिए बैंक की तरफ से जो डेट निर्धारित की जाती है, वह उस डेट तक EMI का भुगतान नहीं कर पाते हैं. इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं. मसलन सैलरी का समय पर नहीं मिलना, छंटनी का समय चल रहा है. नौकरी से हाथ धोना या फिर सैलरी में कटौती होना. इन सब सिचुएशन में जब आपको लगे कि आप अगले एक या दो महीने तक बैंक के EMI का भुगतान नहीं कर पाएंगे. ऐसी स्थिति में क्या करें. इन्हीं सब सवालों को लेकर हमने SBI के पूर्व अधिकारी व आर्थिक विशेषज्ञ वी. के सिन्हा से बात की.

आर्थिक मामलों के जानकार, एसबीआई बैंक के पूर्व अधिकारी वीके सिन्हा ने बताया कि ऐसी स्थिति में बैंक को लेटर लिख कर इनफोर्म करें कि आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण आप EMI का भुगतान नहीं कर पाएंगे. बैंक से EMI भुगतान करने के लिए कुछ समय या अन्य ऑप्शन मांगें. फिर बैंक आपको 3 ऑप्शन दे सकता है.

1. आपकी स्थिति को समझते हुए बैंक आपके EMI भुगतान के समय को 6 महीना से 1 साल तक के लिए बढ़ा सकता है. यह समयावधि अधिकतम 2 साल के लिए हो सकती है. यह समयावधि अलग- अलग लोन के लिए अलग-अलग हो सकता है. जैसे होम लोन, व्हीकल लोन, पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड बिल आदि किसी तरह के लोन. पर EMI का टाइम बढ़ाने के बाद पेमेंट जरूर करें.

2. बैंक दूसरा काम लोन को रिस्ट्रक्चर करने का कर सकता है. लोन रिस्ट्रक्चर का मतलब है कि EMI कम कर देना. उदाहरण से समझें-कि पहले आप 20,000 हजार रुपए का EMI पेमेंट करते थे. लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अब आप 10,000 का EMI भुगतान कर पाएंगे. यह जानकारी बैंक को दें. बैंक आपके लोन को रिस्ट्रक्चर कर आपकी मदद कर सकता है. इसमें भी ध्यान देने वाली बात ये है कि रिस्ट्रक्चर EMI का पेमेंट समय पर जरूर करें वरना बोझ बढ़ता जाएगा. उदाहरण से समझें- आपके लोन की एक इंस्टॉलमेंट राशि 20,000 रु. है. जिनमें से आपने 15,000 का भुगतान किया. अब जो बकाया 5,000 रु. रह गया, उसे अगले महीने के EMI के साथ (20,000+5,000= 25,000 रु) का भुगतान करें.

3. अगर आपको लगे कि आप इस महीने का लोन इंस्टॉलमेंट नहीं चुका सकते हैं. ऐसे में आप बैंक से लिन पिरियड ले सकते हैं. Lean Period बैंक द्वारा 6 महीने से लेकर 2 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. EMI में देरी होने पर बैंक किस्त राशि का 1 से 2 प्रतिशत तक लेट पेमेंट पेनल्‍टी लगाएगा. इसलिए कभी भी लगातार 3 EMI बाउंस न होने दें. वरना आपका अकाउंट Non Performing Assets (NPA) डिक्लेयर किया जा सकता है. यानी अगर 90 दिनों तक आपके बैंक में ट्रांजेक्शन नहीं होता है, तो आपको डिफॉल्टर माना जाएगा. इसके बाद बैंक debtors को नोटिस भेजेगा. फिर बैंक और वित्तीय संस्थान कानूनी कार्रवाई करने की संभावना पर विचार करने लगते हैं.

अगर अकाउंट NPA हो गया हो तो क्या करें. इस सवाल पर बैंकिंग मामलों के विशेषज्ञ वीके सिन्हा ने कहा कि अगर आपका अकाउंट डिफॉल्ट हो भी गया है, तो घबराएं नहीं. इसका समाधान है. सबसे पहले बैंक को लिखित में बताएं कि किन कारणों से आपका EMI बाउंस हो गया. इसके अलावा आप एक काम और करें, कि इंस्टॉलमेंट न चुका पाने की स्थिति में कभी भी ट्राजेक्शन पूरी तरह से बंद न करें. भले ही आप इंस्टॉलमेंट की रकम चुकाने में असमर्थ है. लेकिन कुछ रकम लोन अकाउंट में जरुर डालें. जिससे आपका अकाउंट एक्टिव रहे, आपके पास ट्राजेक्शन का स्लिप रहे. ध्यान रखें कि बैंक के साथ आपके हर ट्रांजेक्शन का लिखित में रिकार्ड रखें. इसका फायदा ये होगा कि आपके पास NPA होने से बचने के लिए सबूत रहेगा. जिससे बैंक आपका अकाउंट डिफॉल्ट नहीं करेगी. इसके साथ ही, बैंक के साथ कम्यूनिकेशन करना बंद न करें.

वीके सिन्हा ने आगे बताया कि अगर आप कुछ सालों तक ईएमआई का भुगतान नहीं कर सकते हैं तो लोन बीमा पॉलिसी जैसी चीजें आपकी मदद कर सकती हैं. यह पॉलिसी नौकरी छूटने या इनकम के नुकसान की स्थिति में मदद करती है. कम से कम 6 महीने की ईएमआई के बराबर की रकम हमेशा इमरजेंसी फंड के तौर पर उपलब्ध रखनी चाहिए. इससे आप पर किसी तरह का आर्थिक दबाव नहीं पड़ेगा. कम ईएमआई के साथ लोन अवधि चुनना और अपने वित्तीय साधनों के भीतर लोन लेना हमेशा सुरक्षित होता है.

पढ़ें : जीरो कॉस्ट ईएमआई पर खरीदारी, पेमेंट को समझना भी उतना ही जरूरी

पढ़ें : अनचाहे लोन बनते हैं समस्या का सबब, मिलने वाले हर कर्ज को न कहें या हां!

Last Updated : Feb 6, 2023, 4:37 PM IST
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