नई दिल्ली : माल एवं सेवा कर (GST) के तहत कर रिटर्न के आकलन को लेकर करदाता और अधिकारी के आमने-सामने आये बिना जांच व्यवस्था शुरू करने में कुछ समय लग सकता है. जीएसटी नेटवर्क के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी है. बता दें, करदाता और कर अधिकारी के आमने-सामने आये बिना फेसलेस असेसमेंट की व्यवस्था सबसे पहले आयकर विभाग ने शुरू की थी. बाद में सीमा शुल्क विभाग ने इसे अपनाया.
फेसलेस असेसमेंट क्या है?
फेसलेस असेसमेंट जांच में कर अधिकारी और करदाता आमने-सामने नहीं आते और इसमें दस्तावेज को भौतिक रूप से पेश करने की भी जरूरत नहीं होती. नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर (एनएफएसी) अन्य केंद्रों और इकाइयों के साथ केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा स्थापित किया गया है. फेसलेस आकलन करदाता और आयकर विभाग के बीच मानवीय इंटरफेस को खत्म करने का प्रयास करता है. फेसलेस मूल्यांकन योजना इलेक्ट्रॉनिक मोड में इस तरह के मूल्यांकन को करने की प्रक्रिया निर्धारित करती है.
जीएसटी में फेसलेस असेसमेंट शुरू करने में वक्त
जीएसटी नेटवर्क के उपाध्यक्ष (सेवा) जगमाल सिंह ने यहां उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा कि हमें जीएसटी में ‘फेसलेस’ आकलन शुरू करने में कुछ समय लग सकता है. जीएसटी आकलन एक विशेष क्षेत्राधिकार अधिकारी या इकाई से जुड़ा हुआ है. इसे बदलने में कुछ समय लग सकता है. इसे प्रभावी बनाने के लिये नीतिगत स्तर पर कुछ बदलावों की भी जरूरत होगी. जीएसटी एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया. इसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर, मूल्यवर्धित कर (वैट) और उपकर सहित 17 स्थानीय शुल्क शामिल किये गये हैं.