नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-फरवरी के दौरान भारत में बिजली की खपत 10 प्रतिशत बढ़कर 1375.57 अरब यूनिट (बीयू) हो गई. यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2021-22 में कुल बिजली आपूर्ति से अधिक है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कि अप्रैल-फरवरी 2021-22 में बिजली की खपत 1245.54 बीयू थी. इसी तरह पूरे वित्त वर्ष 2021-22 में बिजली की खपत 1374.02 बीयू थी. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में विशेष रूप से गर्मियों में अभूतपूर्व उच्च मांग के मद्देनजर बिजली की खपत दो अंकों में बढ़ने की उम्मीद है.
229 गीगावाट बिजली की मांग का अनुमान : बिजली मंत्रालय ने इस साल अप्रैल के दौरान देश में 229 गीगावाट की चरम बिजली मांग का अनुमान लगाया है, जो एक साल पहले इसी महीने में दर्ज 215.88 गीगावाट से अधिक है. यानी पिछले साल की तुलना में इस साल 14 गीगावाट बिजली की मांग बढ़ रही है. मंत्रालय ने बिजली की अधिक मांग को पूरा करने के लिए कई कदम उठाए हैं और राज्य इकाइयों को बिजली कटौती या लोड शेडिंग से बचने के लिए कहा है. मंत्रालय ने सभी आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को 16 मार्च 2023 से 15 जून 2023 तक पूरी क्षमता से चलाने को भी कहा है.
लोड शेडिंग क्या होता है : बिजली विभाग के अनुसार लोड शेडिंग का मतलब जिले के सभी फीडर को रोटेट कर के चलाया जाना है. इसके अनुसार जब बिजली विभाग द्वारा जरूरत के हिसाब से बिजली सप्लाई नहीं की जाती है, तो जिले में जितने फीडर हैं उसमें से घंटों के अनुसार बांटकर चलाया जाता है.
(पीटीआई-भाषा)