ETV Bharat / business

DGGI की बड़ी कार्रवाई, करोड़ों रुपये के फर्जी बिलिंग रैकेट का भंडाफोड़ - करोड़ों रुपये की फर्जी बिलिंग का भंडाफोड़

जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI)के मेरठ जोनल यूनिट ने करोड़ों रुपये की फर्जी बिलिंग करने वाले रैकेट का भंडाभोड़ किया है. पढ़ें पूरी खबर (Directorate General of GST Intelligence, DGGI takes major action, busts fake billing racket worth crores of rupees)

Directorate General of GST Intelligence
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय
author img

By IANS

Published : Nov 7, 2023, 3:30 PM IST

Updated : Nov 7, 2023, 3:36 PM IST

नई दिल्ली: जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI)के मेरठ जोनल यूनिट ने करोड़ों रुपये की फर्जी बिलिंग करने वाले रैकेट का भंडाभोड़ किया है. बता दें, करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग ने 1,481 करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग से जुड़े बड़े लेवल पर फर्जीवाड़ा करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया है. जिसका नतीजा यह हुआ कि 275 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट पारित कर दिया गया. दरअसल, 1,000 फर्जी कंपनियों के माध्यम से पैसा कमाने के लिए 102 फर्जी फर्में बनाई गई थी.

Directorate General of GST Intelligence
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय

वित्त मंत्रालय ने क्या कहा?
वित्त मंत्रालय ने सोमवार देर शाम कहा कि सावधानीपूर्वक डेटा माइनिंग के माध्यम से डीजीजीआई मेरठ जोनल यूनिट ने चार मास्टरमाइंडों के जरिए चलाए जाने वाले एक प्रमुख सिंडिकेट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया है. उनमें से एक प्लेसमेंट कंसल्टेंसी फर्म में काम करता था, जो पैन, आधार, बिजली बिल, पता प्रमाण और जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक अन्य दस्तावेजों की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार था.

Directorate General of GST Intelligence
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय

ऐसे किया जाता था फर्जीवाड़ा
मास्टरमाइंड ने इसे हासिल करने के लिए उम्मीदवारों को उनके केवाईसी दस्तावेजों को सरेंडर करने के बदले में मामूली वित्तीय लाभ देने का लालच दिया करता था. जिनका इस्तेमाल वे धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करने के लिए किया करता था. इस काम को एक गुप्त कमरे में अंजाम दिया जाता था. जहां महत्वपूर्ण परिचालन गतिविधियां, जैसे चालान निर्माण, ई-वे बिल निर्माण, जीएसटी रिटर्न दाखिल करना और धोखाधड़ी वाली फर्मों के बिक्री-खरीद बही-खाते को बनाए रखना शामिल था. अपने संचालन में सहायता के लिए, सिंडिकेट ने कई सहायकों की भर्ती भी कर रखी है.

Directorate General of GST Intelligence
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय

जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय की कार्रवाई
बता दें, सिंडिकेट ने कई बिचौलियों के साथ संबंध बनाए रखा, जो अंतिम लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए नकली चालान बनाने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करते थे. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, फर्जी फर्मों के नाम से बैंक खाते स्थापित करने में बैंक अधिकारियों की संलिप्तता का भी पता चला.ऑपरेशन के दौरान डीजीजीआई अधिकारियों ने कई स्थानों पर छापेमारी की और लैपटॉप, डेस्कटॉप, इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज डिवाइस, पैन और आधार कार्ड, चेक बुक, 25 से अधिक मोबाइल फोन, ओटीपी प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किए गए सिम कार्ड, शेल संस्थाओं के रबर स्टैम्प सहित भारी मात्रा में आपत्तिजनक सबूत जब्त किए. चारों आरोपियों को मेरठ में आर्थिक अपराध न्यायालय के समक्ष पेश किया गया और 17 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा.

ये भी पढ़ें-

GST Collection Rises: जीएसटी संग्रह सितंबर में 10 प्रतिशत बढ़कर 1.62 लाख करोड़ रुपये के पार

जून में जीएसटी संग्रह 12 प्रतिशत बढ़कर 1.61 लाख करोड़ रुपये से अधिक हुआ

नई दिल्ली: जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI)के मेरठ जोनल यूनिट ने करोड़ों रुपये की फर्जी बिलिंग करने वाले रैकेट का भंडाभोड़ किया है. बता दें, करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग ने 1,481 करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग से जुड़े बड़े लेवल पर फर्जीवाड़ा करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया है. जिसका नतीजा यह हुआ कि 275 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट पारित कर दिया गया. दरअसल, 1,000 फर्जी कंपनियों के माध्यम से पैसा कमाने के लिए 102 फर्जी फर्में बनाई गई थी.

Directorate General of GST Intelligence
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय

वित्त मंत्रालय ने क्या कहा?
वित्त मंत्रालय ने सोमवार देर शाम कहा कि सावधानीपूर्वक डेटा माइनिंग के माध्यम से डीजीजीआई मेरठ जोनल यूनिट ने चार मास्टरमाइंडों के जरिए चलाए जाने वाले एक प्रमुख सिंडिकेट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया है. उनमें से एक प्लेसमेंट कंसल्टेंसी फर्म में काम करता था, जो पैन, आधार, बिजली बिल, पता प्रमाण और जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक अन्य दस्तावेजों की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार था.

Directorate General of GST Intelligence
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय

ऐसे किया जाता था फर्जीवाड़ा
मास्टरमाइंड ने इसे हासिल करने के लिए उम्मीदवारों को उनके केवाईसी दस्तावेजों को सरेंडर करने के बदले में मामूली वित्तीय लाभ देने का लालच दिया करता था. जिनका इस्तेमाल वे धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करने के लिए किया करता था. इस काम को एक गुप्त कमरे में अंजाम दिया जाता था. जहां महत्वपूर्ण परिचालन गतिविधियां, जैसे चालान निर्माण, ई-वे बिल निर्माण, जीएसटी रिटर्न दाखिल करना और धोखाधड़ी वाली फर्मों के बिक्री-खरीद बही-खाते को बनाए रखना शामिल था. अपने संचालन में सहायता के लिए, सिंडिकेट ने कई सहायकों की भर्ती भी कर रखी है.

Directorate General of GST Intelligence
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय

जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय की कार्रवाई
बता दें, सिंडिकेट ने कई बिचौलियों के साथ संबंध बनाए रखा, जो अंतिम लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए नकली चालान बनाने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करते थे. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, फर्जी फर्मों के नाम से बैंक खाते स्थापित करने में बैंक अधिकारियों की संलिप्तता का भी पता चला.ऑपरेशन के दौरान डीजीजीआई अधिकारियों ने कई स्थानों पर छापेमारी की और लैपटॉप, डेस्कटॉप, इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज डिवाइस, पैन और आधार कार्ड, चेक बुक, 25 से अधिक मोबाइल फोन, ओटीपी प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किए गए सिम कार्ड, शेल संस्थाओं के रबर स्टैम्प सहित भारी मात्रा में आपत्तिजनक सबूत जब्त किए. चारों आरोपियों को मेरठ में आर्थिक अपराध न्यायालय के समक्ष पेश किया गया और 17 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा.

ये भी पढ़ें-

GST Collection Rises: जीएसटी संग्रह सितंबर में 10 प्रतिशत बढ़कर 1.62 लाख करोड़ रुपये के पार

जून में जीएसटी संग्रह 12 प्रतिशत बढ़कर 1.61 लाख करोड़ रुपये से अधिक हुआ

Last Updated : Nov 7, 2023, 3:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.