नई दिल्ली: केंद्र 2023 में घरेलू चावल उत्पादन में अपेक्षित गिरावट के कारण चावल निर्यात पर प्रतिबंध बढ़ा सकता है. इससे पहले सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक लगाई थी. उम्मीद जताई जा रही कि सरकार इस निर्यात पर प्रतिबंध को बढ़ा सकती है. चावल के उपज में आठ सालों में पहली बार ऐसी गिरावट देखने को मिली है. इन निर्यात सीमाओं को बढ़ाने से सरकार को 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले खाद्य कीमतों पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिलने की संभावना है. दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक के रूप में भारत ने जुलाई 2023 में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर वैश्विक कीमतें बढ़ा दी थीं.
इस बार भी चावल उत्पादन में गिरावट
थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और म्यांमार सहित अन्य प्रमुख निर्यातक देशों में कम भंडार को देखते हुए लंबे समय तक निर्यात पर पाबंदी लगाने से खाद्य पदार्थों की कीमत और बढ़ सकती हैं. राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (आरईए) के अध्यक्ष बीवी कृष्णा राव ने रॉयटर्स को बताया कि उन्हें उत्पादन में लगभग 2 से 3 फीसदी की छोटी गिरावट की उम्मीद है, क्योंकि भारी बारिश से कुछ क्षेत्रों में देर से बोई गई फसलों को फायदा हुआ, जबकि अन्य जगहों पर खेतों को नुकसान हुआ.
जून 2024 में भी गिरावट की उम्मीद
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी कृषि विभाग को उम्मीद है कि जून 2024 में समाप्त होने वाले वर्ष के लिए भारत के चावल उत्पादन में 3 फीसदी की कमी, लगभग 4 मिलियन टन की गिरावट, कुल 132 मिलियन टन तक पहुंच जाएगी. भारत के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने पिछले सप्ताह कहा था कि गर्मियों में बोई जाने वाली फसल का उत्पादन 4 फीसदी गिरकर 106.3 मिलियन टन रह सकता है.