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मुद्रास्फीति को रोकने के लिए केंद्रीय बैंकों ने की ब्याज दर में बढ़ोतरी - लेंडिंग रेट में बढ़ोतरी उद्देश्य मुद्रास्फीति को रोकना

बढ़ती महंगाई से लड़ने के लिए कई राष्ट्रों के केंद्रीय बैंकों ने अपने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. आर्थिक मामलों के एक्सपर्ट की मानें तो बैंकों के पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है क्योंकि सरकार अपना टैक्स कम कर नहीं सकती है. विस्तृत जानकारी के लिए पढ़े ईटीवी भारत की ब्यूरो रिपोर्ट..

मुद्रास्फीति
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Published : May 6, 2022, 8:17 AM IST

नई दिल्ली: यूरोप, अमेरिका और एशिया में केंद्रीय बैंकों ने बेंचमार्क ब्याज दरों में वृद्धि की है क्योंकि वे बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू करना चाहते हैं. उन्होंने महसूस किया है कि उच्च वैश्विक कमोडिटी की कीमतें, विशेष रूप से क्रुड ऑयल और खाद्यान्न की कीमतें अस्थायी नहीं हैं और उसे नियंत्रित करने के लिए ठोस नीति की आवश्यकता है. जबकि भारत के सेंट्रल बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक ने बेंचमार्क इंटरबैंक लेंडिंग रेट, रेपो रेट को 40 प्वाइंट बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया, यूएस फेडरल रिजर्व ने उसी दिन दशकों में सबसे बड़ी वृद्धि की है.

बुधवार को यूएस फेडरल रिजर्व ने बेंचमार्क लेंडिंग रेट में 50 प्वाइंट की बढ़ोतरी की, जिसे दो दशकों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी माना जा रहा है. नई बढ़ोतरी के साथ, अमेरिका में नई बेंचमार्क ब्याज दर 0.75-से 1% की सीमा में पहुंच गई, जो कि कोविड -19 महामारी की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है. यूएस फेडरल रिजर्व ने बुधवार को 50 प्वाइंटो की बढ़ोतरी की घोषणा करने से पहले दो दिनों तक उससे होने वाले नफा व नुकसान पर गहन अध्ययन एवं चिंतन किया. क्योंकि 2000 के बाद से की गई बढ़ोतरी में सबसे अधिक है.

इसका उद्देश्य अमेरिका में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है जो पिछले चार दशकों में नहीं देखी गई है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि मुद्रास्फीति को कम करने के लिए यह बढ़ोतरी जरूरी है. पॉवेल ने अगली कुछ बैठकों में और अधिक दरों में बढ़ोतरी का संकेत दिया, लेकिन 75 आधार अंकों की सीमा में एक और बढ़ोतरी से इनकार किया. मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दर बढ़ाने वाला यूएस सेंट्रल बैंक अकेला नहीं है. एक दिन पहले, ऑस्ट्रेलिया के रिजर्व बैंक ने एक दशक से अधिक समय में पहली ब्याज दर वृद्धि की घोषणा की क्योंकि उसने ब्याज दर को 25 प्वाइंट बढ़ाया जबकि चर्चा 35 प्वाइट की थी.

भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया ने बढ़ाई ब्याज दरें: जबकि भारत के केंद्रीय बैंक, आरबीआई ने अमेरिकी नीति की घोषणा से कुछ घंटे पहले पहली दर वृद्धि की घोषणा की, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने अगले दिन इसका पालन किया. यूके के केंद्रीय बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) ने बेंचमार्क ब्याज दर को 1% तक ले जाने के लिए गुरुवार को ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की, जो 2009 के बाद से सबसे अधिक है क्योंकि देश मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहा है जो कि पिछले तीन दशकों उच्चतम है. बीते तीन दिनों की में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और यूके के चार केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए बेंचमार्क दरों में वृद्धि की घोषणा की है.

जापान और यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा कोई बढ़ोतरी नहीं: हालांकि, कुछ अन्य केंद्रीय बैंकों जैसे बैंक ऑफ जापान (बीओजे) और यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने इस कदम का विरोध किया है. पिछले महीने के अंत में की गई नीतिगत घोषणाओं में, बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दरों के साथ यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया क्योंकि वे शून्य या नकारात्मक के करीब हैं. यूरोपीय सेंट्रल बैंक के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य इसाबेल श्नाबेल ने कल एक जर्मन अखबार को बताया कि ईसीबी मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए इस साल जुलाई में ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है.

यह भी पढ़ें-सात फीसदी मुद्रास्फीति RBI की नीति में बदलाव को बनाया जरूरी

नई दिल्ली: यूरोप, अमेरिका और एशिया में केंद्रीय बैंकों ने बेंचमार्क ब्याज दरों में वृद्धि की है क्योंकि वे बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू करना चाहते हैं. उन्होंने महसूस किया है कि उच्च वैश्विक कमोडिटी की कीमतें, विशेष रूप से क्रुड ऑयल और खाद्यान्न की कीमतें अस्थायी नहीं हैं और उसे नियंत्रित करने के लिए ठोस नीति की आवश्यकता है. जबकि भारत के सेंट्रल बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक ने बेंचमार्क इंटरबैंक लेंडिंग रेट, रेपो रेट को 40 प्वाइंट बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया, यूएस फेडरल रिजर्व ने उसी दिन दशकों में सबसे बड़ी वृद्धि की है.

बुधवार को यूएस फेडरल रिजर्व ने बेंचमार्क लेंडिंग रेट में 50 प्वाइंट की बढ़ोतरी की, जिसे दो दशकों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी माना जा रहा है. नई बढ़ोतरी के साथ, अमेरिका में नई बेंचमार्क ब्याज दर 0.75-से 1% की सीमा में पहुंच गई, जो कि कोविड -19 महामारी की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है. यूएस फेडरल रिजर्व ने बुधवार को 50 प्वाइंटो की बढ़ोतरी की घोषणा करने से पहले दो दिनों तक उससे होने वाले नफा व नुकसान पर गहन अध्ययन एवं चिंतन किया. क्योंकि 2000 के बाद से की गई बढ़ोतरी में सबसे अधिक है.

इसका उद्देश्य अमेरिका में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है जो पिछले चार दशकों में नहीं देखी गई है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि मुद्रास्फीति को कम करने के लिए यह बढ़ोतरी जरूरी है. पॉवेल ने अगली कुछ बैठकों में और अधिक दरों में बढ़ोतरी का संकेत दिया, लेकिन 75 आधार अंकों की सीमा में एक और बढ़ोतरी से इनकार किया. मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दर बढ़ाने वाला यूएस सेंट्रल बैंक अकेला नहीं है. एक दिन पहले, ऑस्ट्रेलिया के रिजर्व बैंक ने एक दशक से अधिक समय में पहली ब्याज दर वृद्धि की घोषणा की क्योंकि उसने ब्याज दर को 25 प्वाइंट बढ़ाया जबकि चर्चा 35 प्वाइट की थी.

भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया ने बढ़ाई ब्याज दरें: जबकि भारत के केंद्रीय बैंक, आरबीआई ने अमेरिकी नीति की घोषणा से कुछ घंटे पहले पहली दर वृद्धि की घोषणा की, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने अगले दिन इसका पालन किया. यूके के केंद्रीय बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) ने बेंचमार्क ब्याज दर को 1% तक ले जाने के लिए गुरुवार को ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की, जो 2009 के बाद से सबसे अधिक है क्योंकि देश मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहा है जो कि पिछले तीन दशकों उच्चतम है. बीते तीन दिनों की में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और यूके के चार केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए बेंचमार्क दरों में वृद्धि की घोषणा की है.

जापान और यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा कोई बढ़ोतरी नहीं: हालांकि, कुछ अन्य केंद्रीय बैंकों जैसे बैंक ऑफ जापान (बीओजे) और यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने इस कदम का विरोध किया है. पिछले महीने के अंत में की गई नीतिगत घोषणाओं में, बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दरों के साथ यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया क्योंकि वे शून्य या नकारात्मक के करीब हैं. यूरोपीय सेंट्रल बैंक के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य इसाबेल श्नाबेल ने कल एक जर्मन अखबार को बताया कि ईसीबी मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए इस साल जुलाई में ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है.

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