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हिंदुस्तान जिंक में सरकार की 29.5% हिस्सेदारी बेचने को मंत्रिमंडल की मंजूरी - Hindustan Zinc stake disinvestment

हिंदुस्तान जिंक 2002 तक भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी थी. अप्रैल, 2002 में सरकार ने हिंदुस्तान जिंक में अपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी स्टरलाइट अपॉरच्यूनिटीज एंड वेंचर्स लि. को 445 करोड़ रुपये में बेची थी. इससे वेदांता समूह के पास कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण आ गया था.

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हिंदुस्तान जिंक
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Published : May 25, 2022, 8:59 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने हिंदुस्तान जिंक लि. (HZL) में सरकार की शेष 29.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने की मंजूरी दे दी है. इस बिक्री से सरकार को करीब 38,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि सीसीईए ने हिंदुस्तान जिंक में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री को मंजूरी दे दी है.

इस कदम से सरकार को चालू वित्त वर्ष में अपने विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश और रणनीतिक बिक्री से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. सूत्रों ने बताया कि 29.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के तहत 124.96 करोड़ शेयर बेचे जाएंगे. इससे मौजूदा मूल्य पर सरकार को 38,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. बीएसई में हिंदुस्तान जिंक का शेयर बुधवार को 3.14 प्रतिशत चढ़कर 305.05 रुपये पर बंद हुआ. दिन में कारोबार के दौरान यह 317.30 रुपये के उच्चस्तर तक गया था.

हिंदुस्तान जिंक 2002 तक सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी थी. अप्रैल, 2002 में सरकार ने हिंदुस्तान जिंक में अपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी स्टरलाइट अपॉरच्यूनिटीज एंड वेंचर्स लि. (एसओवीएल) को 445 करोड़ रुपये में बेची थी. इससे वेदांता समूह के पास कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण आ गया था. वेदांता समूह ने बाद में बाजार से कंपनी की 20 प्रतिशत और हिस्सेदारी खरीदी थी.

यह भी पढ़ें- चीनी निर्यात पर 1 करोड़ टन की सीमा तय - निर्यात के लिए मिलेगी विशेष अनुमति

इसके बाद नवंबर, 2003 में समूह ने सरकार से कंपनी की 18.92 प्रतिशत और हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया. इससे हिंदुस्तान जिंक में वेदांता की हिस्सेदारी बढ़कर 64.92 प्रतिशत पर पहुंच गई. अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली वेदांता ने हाल में कहा था कि कंपनी के शेयरों के मूल्य को देखते हुए हिंदुस्तान जिंक में सिर्फ पांच प्रतिशत हिस्सेदारी और खरीद सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने हिंदुस्तान जिंक लि. (HZL) में सरकार की शेष 29.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने की मंजूरी दे दी है. इस बिक्री से सरकार को करीब 38,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि सीसीईए ने हिंदुस्तान जिंक में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री को मंजूरी दे दी है.

इस कदम से सरकार को चालू वित्त वर्ष में अपने विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश और रणनीतिक बिक्री से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. सूत्रों ने बताया कि 29.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के तहत 124.96 करोड़ शेयर बेचे जाएंगे. इससे मौजूदा मूल्य पर सरकार को 38,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. बीएसई में हिंदुस्तान जिंक का शेयर बुधवार को 3.14 प्रतिशत चढ़कर 305.05 रुपये पर बंद हुआ. दिन में कारोबार के दौरान यह 317.30 रुपये के उच्चस्तर तक गया था.

हिंदुस्तान जिंक 2002 तक सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी थी. अप्रैल, 2002 में सरकार ने हिंदुस्तान जिंक में अपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी स्टरलाइट अपॉरच्यूनिटीज एंड वेंचर्स लि. (एसओवीएल) को 445 करोड़ रुपये में बेची थी. इससे वेदांता समूह के पास कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण आ गया था. वेदांता समूह ने बाद में बाजार से कंपनी की 20 प्रतिशत और हिस्सेदारी खरीदी थी.

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इसके बाद नवंबर, 2003 में समूह ने सरकार से कंपनी की 18.92 प्रतिशत और हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया. इससे हिंदुस्तान जिंक में वेदांता की हिस्सेदारी बढ़कर 64.92 प्रतिशत पर पहुंच गई. अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली वेदांता ने हाल में कहा था कि कंपनी के शेयरों के मूल्य को देखते हुए हिंदुस्तान जिंक में सिर्फ पांच प्रतिशत हिस्सेदारी और खरीद सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

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