वाशिंगटन : संयुक्त राज्य अमेरिका ने पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 3 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज दिलाने में मदद करने के लिए पर्दे के पीछे से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालिया स्टाफ-स्तरीय समझौता ( SLA ) 2019 में 6 डॉलर बिलियन के ऋण के लिए धन जारी करने में आठ महीने की देरी के बाद हुआ. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, एक राजनयिक सूत्र ने कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका ने पूरी प्रक्रिया में पाकिस्तान का समर्थन किया, लेकिन इस बात पर भी जोर दिया कि वे आईएमएफ के साथ सहमत सुधारों को लागू करें."
इन सूत्रों के अनुसार, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने इस मुद्दे पर सचिव एंटनी ब्लिंकन के साथ कम से कम दो बार टेलीफोन पर बातचीत की. दोनों नेताओं के बीच आमने-सामने की मुलाकात में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई. वाशिंगटन में पाकिस्तान दूतावास ने अमेरिकी ट्रेजरी और विदेश विभाग के अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखा. ट्रेजरी में, उन्होंने उप अवर सचिव ब्रेंट नीमन के साथ काम किया, जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मामलों की देखरेख करते हैं.
दूतावास ने सीनेटर लिंडसे ग्राहम सहित प्रमुख अमेरिकी सांसदों का भी समर्थन मांगा, जिन्होंने सौदे से कुछ दिन पहले एक पाकिस्तानी टीम से मुलाकात की थी. डॉन ने रिपोर्ट किया कि सफलता जून के अंत में मिली जब प्रधान मंत्री शहबाज़ शरीफ ने पेरिस में आईएमएफ के प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से मुलाकात की और उनसे नवंबर से रोकी गई 1.1 बिलियन डॉलर की महत्वपूर्ण किश्त जारी करने के लिए कहा.
225 करोड़ रुपये कर्ज के लिए हुआ समझौता
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पाकिस्तान में मिशन प्रमुख नाथन पोर्टर ने गुरुवार को एक बयान में कहा, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि आईएमएफ टीम ने पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ नौ महीने के स्टैंड-बाय अरेंजमेंट (एसबीए) के तहत 225 करोड़ कर्ज के लिए ‘स्टाफ लेबल’ समझौता हुआ है. ये डील विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights) SDR के तहत हुई है. वहीं, अगर इस रकम को डॉलर में काउंट करें तो यह लगभग 3 Billion dollar की राशि के बराबर है.
इस मदद से पाक को मिलेगी राहत
तीन अरब डॉलर का वित्त पोषण नौ महीने के लिये है. यह पाकिस्तान की उम्मीद से अधिक है. देश 2019 में हुए समझौते के तहत 6.5 अरब डॉलर के पैकेज में से 2.5 अरब डॉलर की प्रतीक्षा कर रहा था. बयान के अनुसार यह व्यवस्था बाहरी झटकों से अर्थव्यवस्था को स्थिर करने, वृहत आर्थिक स्थिरता को बनाये रखने और बहुपक्षीय और द्विपक्षीय भागीदारों से वित्त पोषण के लिये रूपरेखा प्रदान करने में मदद करेगी.
(एजेंसी इनपुट के साथ)