नई दिल्ली : टेक्नोलॉजी इंसानी काम को आसान बनाता है. कई बार उनके काम को जल्दी पूरा करने में मदद करता है. लेकिन इसके साथ ही एक चिंता का सबब भी बनता है. मशीन इंसानों की तुलना में काम को बेहतर, जल्दी और ज्यादा सही करता हैं. जिस कारण इंसानी वर्कफोर्स की जगह मशीनों को रखा जाने लगता है. मशीन वर्कफोर्स को कम कर देते हैं. जिससे लोगों पर बेरोजगारी का खतरा मंडराने लगता है. इसी खतरे को भापते हुए Goldman Sachs ने एक रिपोर्ट जारी की है. जिसके अनुसार लगभग 300 मिलियन लोगों की नौकरी को AI रिप्लेस कर सकता है.
30 करोड़ लोगों की नौकरी खतरे में : गोल्डमैन सैक्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि ChatGPT जैसे जेनरेटिव, एआई AI ओटोमेशन की वजह से दुनियाभर में 30 करोड़ (300 मिलियन) लोगों की नौकरियां जा सकती है. खत्म हो सकती है. चैटजीपीटी की बढ़ती लोकप्रियता से भविष्य में रोजगार खतरे में पड़ सकते हैं.
चैटजीपीटी की लोकप्रियता से बढ़ता खतरा : ChatGPT जेनरेटिव एल्गोरिदन का उपयोग करके इंसानो की तरह टेक्सट, इमेज और यहां तक की म्यूजिक को भी बना सकता है. गौरतलब है कि ChatGPT को इन सब कामों को पूरा करने में किसी इंसान की मदद की जरुरत भी नहीं है. इस टेक्नोलॉजी को एडवर्टीजमेंट, जर्नलिज्म और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में तेजी से अपनाया जा रहा है.
इन सेक्टर्स पर नौकरी का खतरा : Goldman Sachs की रिपोर्ट के अनुसार सभी कामों पर एआई टेक्नोलॉजी का असर एक समान नहीं हो सकता है. उदाहरण के लिए, जिन नौकरियों में शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है, उनके जोखिम में होने की संभावना नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ ऑफिस और प्रशासनिक कामों में एआई के इस्तेमाल से 46 फीसदी कामों को स्वचालित किया जा सकता है. कानून यानी लॉ क्षेत्र में 44 फीसदी, आर्कटेक्चर व इंजीनियरिंग में 37 फीसदी और फाइनेंनस से जुड़े कामों में 35 फीसदी काम को AI के साथ स्वचालित किया जा सकता है.
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