मुंबई: अडाणी ग्रुप ने अगले दशक में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर 7 ट्रिलियन रुपये ($84.00 बिलियन) खर्च करने की योजना बना रही है. इससे पूंजीगत लागत बुनियादी ढांचे को चलाने और विकसित करने में मदद मिलेगा. पोर्ट-टू-पावर समूह भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह चलाता है और कई हवाई अड्डों और सड़कों का विकास और प्रबंधन भी कर रहा है. कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी जुगेशिंदर सिंह ने मुंबई में ट्रस्ट समूह के कार्यक्रम के दौरान कई बातों को बताया है. उन्होंने कहा कि अरबपति गौतम अडाणी के नेतृत्व वाला समूह अगले तीन महीनों में सिंगापुर के विल्मर इंटरनेशनल के साथ अपने संयुक्त उद्यम अडाणी विल्मर में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला कर रहा है.
ब्लूमबर्ग में क्या कहा गया?
ब्लूमबर्ग न्यूज ने पहले बताया था कि अडाणी समूह के पास संयुक्त उद्यम में 44 फीसदी हिस्सेदारी है और वह कुछ महीनों से संभावित हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहे है, जिसमें कहा गया है कि गौतम अडाणी और उनका परिवार व्यक्तिगत क्षमता में कम हिस्सेदारी बरकरार रख सकते हैं. अडाणी विल्मर ने नवंबर में लगातार दूसरी तिमाही में घाटा दर्ज किया है. सिंह ने कहा कि कोर इंफ्रा बिजनेस के लिए पूंजी की भारित औसत लागत हमेशा 9.25-9.50 फीसदी के बीच रही है.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट
हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी की रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में सुधार हो रहा है. इसमें लोन के स्तर और टैक्स हेवन के उपयोग पर चिंता जताई गई है, जिससे इसकी सूचीबद्ध संस्थाओं से बाजार पूंजीकरण में लगभग 147 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. लेकिन समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया है.