नई दिल्ली: एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि 2021 की तुलना में वैश्विक स्तर पर नए बने यूनिकॉर्न (1 बिलियन डॉलर और उससे ज्यादा के वैल्यूएशन के साथ) में 80 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है, इसके पीछे का कारण फंडिंग में आई कमी बताई जा रही है. लीडिंग डाटा प्रोवाइडर पिचबुक के अनुसार, साल की पहली छमाही में नए यूनिकॉर्न की औसत मासिक संख्या गिरकर 7.3 कंपनियों पर आ गई.
पिचबुक डेटा का हवाला देते हुए, निक्केई एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह 2021 में दर्ज की गई 50.5 कंपनियों के पीक से लगभग 80 प्रतिशत कम है. इसमें कहा गया, 'अमेरिका में उद्यम पूंजीपतियों ने त्वरित लाभ के लिए निवेश के अवसर खोजने के बजाय आशाजनक कंपनियों की खोज पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है.'
फंडिंग में कमी से घटी यूनिकॉर्न की संख्या
भारत में 2023 की पहली छमाही में कोई नया यूनिकॉर्न नहीं था, क्योंकि एक साल पहले जनवरी-जून की अवधि में स्टार्टअप फंडिंग में 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी. मार्केट इंटेलिजेंस फर्म ट्रैक्सन द्वारा समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पहले छह महीनों में भारतीय स्टार्टअप्स ने केवल 5.48 बिलियन डॉलर जुटाए, जबकि पिछले साल की समान अवधि में उन्होंने 195 मिलियन डॉलर जुटाए थे.
इस साल की पहली छमाही में, स्टार्टअप इकोसिस्टम में 546 डील राउंड देखे गए, जो पिछले साल की समान अवधि में राउंड की कुल संख्या 1,570 से काफी कम है. लेट-स्टेज फंडिंग में कमी के कारण फंडिंग की मात्रा में कमी आई, जिसमें 2022 की पहली तिमाही की तुलना में 2023 की पहली तिमाही (1.8 बिलियन डॉलर) में 79 प्रतिशत की गिरावट आई.