नई दिल्ली : इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 354 परियोजनाओं की लागत तय अनुमान से 4.55 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है.
1449 में से 354 परियोजनाओं की लागत बढ़ी : मंत्रालय की मार्च, 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,449 परियोजनाओं में से 354 की लागत बढ़ गई है, जबकि 821 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ‘इन 1,449 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 20,69,658.30 करोड़ रुपये थी. लेकिन अब इसके बढ़कर 25,25,348.87 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 22.02 फीसदी यानी 4,55,690.57 करोड़ रुपये बढ़ गई है.’ रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2023 तक इन परियोजनाओं पर 13,90,736.58 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 55.07 फीसदी है.
कौन सी परियोजना कितनी देरी से चल रही : हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 616 पर आ जाएगी. वैसे इस रिपोर्ट में 333 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 821 परियोजनाओं में से 190 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 177 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 325 परियोजनाएं 25 से 60 महीने और 129 परियोजनाएं 60 महीने से अधिक की देरी से चल रही हैं.
821 परियोजनाएं में देरी की वजह : इन 821 परियोजनाओं में विलंब का औसत 37.79 महीने है. इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और इंफ्रास्ट्रक्चर संरचना की कमी प्रमुख है. इसके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है.
(पीटीआई-भाषा)
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