कोलकाता: भारतीय चाय बोर्ड को लगातार कम होती सरकारी सहायता पर काम करना पड़ रहा है. उसके लिए कुल आवंटन लगभग 250 करोड़ रुपये ही है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है.
बोर्ड के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष पी के बेजबरुआ ने बताया, "चाय बोर्ड सरकारी वित्तीय सहायता कम होने की पृष्ठभूमि में काम कर रहा है. बोर्ड उच्च प्रशासनिक लागतों के बोझ तले दबता जा रहा है. 250 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से प्रतिवर्ष 70 करोड़ रुपये से अधिक की राशि कर्मचारियों और अधोसंरचना के रखरखाव पर खर्च की जा रही है."
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उन्होंने कहा कि बोर्ड का ध्यान अगले कुछ वर्षों में प्रशासनिक लागत में प्रतिवर्ष 10 करोड़ रुपये की कटौती करने पर होगा. लागत कटौती की पहल पहले ही शुरू की जा चुकी है. दूसरी बार गैर-कार्यकारी अध्यक्ष बने बेजबरुआ ने कहा कि चाय के जेनेरिक प्रसार के जरिये घरेलू उपभोग बढ़ाने को प्राथमिकता दी जाएगी.
(भाषा)
घटते सरकारी सहयोग के बीच काम कर रहा है चाय बोर्ड: बेजबरुआ - बिजनेस न्यूज
चाय बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि बोर्ड उच्च प्रशासनिक लागतों के बोझ तले दबता जा रहा है. 250 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से प्रतिवर्ष 70 करोड़ रुपये से अधिक की राशि कर्मचारियों और अधोसंरचना के रखरखाव पर खर्च की जा रही है.
कोलकाता: भारतीय चाय बोर्ड को लगातार कम होती सरकारी सहायता पर काम करना पड़ रहा है. उसके लिए कुल आवंटन लगभग 250 करोड़ रुपये ही है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है.
बोर्ड के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष पी के बेजबरुआ ने बताया, "चाय बोर्ड सरकारी वित्तीय सहायता कम होने की पृष्ठभूमि में काम कर रहा है. बोर्ड उच्च प्रशासनिक लागतों के बोझ तले दबता जा रहा है. 250 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से प्रतिवर्ष 70 करोड़ रुपये से अधिक की राशि कर्मचारियों और अधोसंरचना के रखरखाव पर खर्च की जा रही है."
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उन्होंने कहा कि बोर्ड का ध्यान अगले कुछ वर्षों में प्रशासनिक लागत में प्रतिवर्ष 10 करोड़ रुपये की कटौती करने पर होगा. लागत कटौती की पहल पहले ही शुरू की जा चुकी है. दूसरी बार गैर-कार्यकारी अध्यक्ष बने बेजबरुआ ने कहा कि चाय के जेनेरिक प्रसार के जरिये घरेलू उपभोग बढ़ाने को प्राथमिकता दी जाएगी.
(भाषा)
घटते सरकारी सहयोग के बीच काम कर रहा है चाय बोर्ड: बेजबरुआ
कोलकाता: भारतीय चाय बोर्ड को लगातार कम होती सरकारी सहायता पर काम करना पड़ रहा है. उसके लिए कुल आवंटन लगभग 250 करोड़ रुपये ही है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है.
बोर्ड के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष पी के बेजबरुआ ने बताया, "चाय बोर्ड सरकारी वित्तीय सहायता कम होने की पृष्ठभूमि में काम कर रहा है. बोर्ड उच्च प्रशासनिक लागतों के बोझ तले दबता जा रहा है. 250 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से प्रतिवर्ष 70 करोड़ रुपये से अधिक की राशि कर्मचारियों और अधोसंरचना के रखरखाव पर खर्च की जा रही है."
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