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कच्चे तेल की तेजी पर लगा ब्रेक, ओपेक के फैसले का इंतजार - डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका द्वारा ईरान से तेल खरीददारों को दी गई छूट बंद करने की घोषणा के बाद तेल के दामे में जोरदार तेजी आई और ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर प्रति बैरल से उपर चला गया. हालांकि ओपेक द्वारा तेल का उत्पादन बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है.

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Published : Apr 26, 2019, 2:41 PM IST

नई दिल्ली : तेल उत्पादक देशों का समूह आर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिग कंट्रीज(ओपेक) द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाए जाने की संभावनाओं के बीच तेल के दाम में आई तेजी पर ब्रेक लग गया है. अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार में शुक्रवार को कच्चे तेल में लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई, जिसका असर घरेलू बाजार पर भी दिखा और एमसीएक्स पर कच्चे तेल का भाव डेढ़ फीसदी तक लुढ़क गया.

अमेरिका द्वारा ईरान से तेल खरीददारों को दी गई छूट बंद करने की घोषणा के बाद तेल के दामे में जोरदार तेजी आई और ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर प्रति बैरल से उपर चला गया. हालांकि ओपेक द्वारा तेल का उत्पादन बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है.

बाजार के जानकार बताते हैं कि ईरान पर प्रतिबंध के बाद कच्चे तेल की आपूर्ति में आने वाली कमी की भरपाई करने के लिए ओपेक के सदस्य देश अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं.

हालांकि केडिया कमोडिटी के डायेक्टर अजय केडिया का कहना है कि ओपेक और रूस ने पिछले साल दिसंबर में तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला तेल के दाम में आई भारी गिरावट के बाद किया था. इस साल जनवरी से ओपेक द्वारा 12 लाख बैरल रोजाना तेल के उत्पादन में कटौती जनवरी से ही लागू है.

उन्होंने यह भी बताया कि ईरान और वेनेजुएला पर अमेरिकी प्रतिबंध से तेल की आपूर्ति में होने वाली कमी की भरपाई के मद्देनजर अमेरिका ओपेक में शामिल प्रमुख तेल उत्पादक देश सउदी अरब, ईराक और संयुक्त अरब अमीरात पर तेल का उत्पादन बढ़ाने का दबाव डाल रहा है. यही कारण है कि तेल के दाम में आई तेजी पर ब्रेक लगा है.

उन्होंने कहा कि ओपेक की अगली बैठक जून के आखिर में होने वाली है, जिसमें इस साल जारी कटौती वापस लेने पर विचार किया जा सकता है. केडिया के अनुसार, ओपेक तेल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला शायद तभी कर सकता है, जब बेंट का भाव 80-85 डॉलर प्रति बैरल हो.

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज-एमसीएक्स-पर कच्चे तेल का मई अनुबंध दोपहर 12.54 बजे पिछले सत्र से 74 रुपये यानी 1.60 फीसदी की गिरावट के साथ 4,563 रुपये प्रति बैरल पर बना हुआ था, जबकि भाव कमजोरी के साथ 4,620 रुपये पर खुला और 4,560 रुपये तक फिसला.

उधर, अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज(आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड का जून अनुबंध 0.24 फीसदी की गिरावट के साथ 74.17 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था. पिछले सत्र में ब्रेंट क्रूड 75.60 डॉलर प्रति बैरल तक उछला था, जोकि अक्टूबर 2018 के बाद का सबसे उंचा स्तर है.

न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज(नायमैक्स)पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट(डब्ल्यूटीआई) का जून अनुबंध 0.46 फीसदी की गिरावट के साथ 64.91 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था. मंगलवार को 66.60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक जाने के बाद डब्ल्यूटीआई के भाव में नरमी देखी जा रही है.

अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद नवंबर 2018 में भारत समेत तेल के कुछ प्रमुख आयातकों को ईरान से अगले छहीने तक तेल आयात की छूट गई थी, जिसे इस सप्ताह अमेरिका ने आगे नहीं बढ़ाए जाने की घोषणा कर दी. यह समय सीमा दो मई को समाप्त हो रही है.
ये भी पढ़ें : बैंकों का कर्ज कारोबार 14.19 % बढ़कर 96.45 लाख करोड़ रुपये: आरबीआई

नई दिल्ली : तेल उत्पादक देशों का समूह आर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिग कंट्रीज(ओपेक) द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाए जाने की संभावनाओं के बीच तेल के दाम में आई तेजी पर ब्रेक लग गया है. अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार में शुक्रवार को कच्चे तेल में लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई, जिसका असर घरेलू बाजार पर भी दिखा और एमसीएक्स पर कच्चे तेल का भाव डेढ़ फीसदी तक लुढ़क गया.

अमेरिका द्वारा ईरान से तेल खरीददारों को दी गई छूट बंद करने की घोषणा के बाद तेल के दामे में जोरदार तेजी आई और ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर प्रति बैरल से उपर चला गया. हालांकि ओपेक द्वारा तेल का उत्पादन बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है.

बाजार के जानकार बताते हैं कि ईरान पर प्रतिबंध के बाद कच्चे तेल की आपूर्ति में आने वाली कमी की भरपाई करने के लिए ओपेक के सदस्य देश अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं.

हालांकि केडिया कमोडिटी के डायेक्टर अजय केडिया का कहना है कि ओपेक और रूस ने पिछले साल दिसंबर में तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला तेल के दाम में आई भारी गिरावट के बाद किया था. इस साल जनवरी से ओपेक द्वारा 12 लाख बैरल रोजाना तेल के उत्पादन में कटौती जनवरी से ही लागू है.

उन्होंने यह भी बताया कि ईरान और वेनेजुएला पर अमेरिकी प्रतिबंध से तेल की आपूर्ति में होने वाली कमी की भरपाई के मद्देनजर अमेरिका ओपेक में शामिल प्रमुख तेल उत्पादक देश सउदी अरब, ईराक और संयुक्त अरब अमीरात पर तेल का उत्पादन बढ़ाने का दबाव डाल रहा है. यही कारण है कि तेल के दाम में आई तेजी पर ब्रेक लगा है.

उन्होंने कहा कि ओपेक की अगली बैठक जून के आखिर में होने वाली है, जिसमें इस साल जारी कटौती वापस लेने पर विचार किया जा सकता है. केडिया के अनुसार, ओपेक तेल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला शायद तभी कर सकता है, जब बेंट का भाव 80-85 डॉलर प्रति बैरल हो.

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज-एमसीएक्स-पर कच्चे तेल का मई अनुबंध दोपहर 12.54 बजे पिछले सत्र से 74 रुपये यानी 1.60 फीसदी की गिरावट के साथ 4,563 रुपये प्रति बैरल पर बना हुआ था, जबकि भाव कमजोरी के साथ 4,620 रुपये पर खुला और 4,560 रुपये तक फिसला.

उधर, अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज(आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड का जून अनुबंध 0.24 फीसदी की गिरावट के साथ 74.17 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था. पिछले सत्र में ब्रेंट क्रूड 75.60 डॉलर प्रति बैरल तक उछला था, जोकि अक्टूबर 2018 के बाद का सबसे उंचा स्तर है.

न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज(नायमैक्स)पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट(डब्ल्यूटीआई) का जून अनुबंध 0.46 फीसदी की गिरावट के साथ 64.91 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था. मंगलवार को 66.60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक जाने के बाद डब्ल्यूटीआई के भाव में नरमी देखी जा रही है.

अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद नवंबर 2018 में भारत समेत तेल के कुछ प्रमुख आयातकों को ईरान से अगले छहीने तक तेल आयात की छूट गई थी, जिसे इस सप्ताह अमेरिका ने आगे नहीं बढ़ाए जाने की घोषणा कर दी. यह समय सीमा दो मई को समाप्त हो रही है.
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नई दिल्ली : तेल उत्पादक देशों का समूह आर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिग कंट्रीज(ओपेक) द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाए जाने की संभावनाओं के बीच तेल के दाम में आई तेजी पर ब्रेक लग गया है. अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार में शुक्रवार को कच्चे तेल में लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई, जिसका असर घरेलू बाजार पर भी दिखा और एमसीएक्स पर कच्चे तेल का भाव डेढ़ फीसदी तक लुढ़क गया.



अमेरिका द्वारा ईरान से तेल खरीददारों को दी गई छूट बंद करने की घोषणा के बाद तेल के दामे में जोरदार तेजी आई और ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर प्रति बैरल से उपर चला गया. हालांकि ओपेक द्वारा तेल का उत्पादन बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है.



बाजार के जानकार बताते हैं कि ईरान पर प्रतिबंध के बाद कच्चे तेल की आपूर्ति में आने वाली कमी की भरपाई करने के लिए ओपेक के सदस्य देश अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं.



हालांकि केडिया कमोडिटी के डायेक्टर अजय केडिया का कहना है कि ओपेक और रूस ने पिछले साल दिसंबर में तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला तेल के दाम में आई भारी गिरावट के बाद किया था. इस साल जनवरी से ओपेक द्वारा 12 लाख बैरल रोजाना तेल के उत्पादन में कटौती जनवरी से ही लागू है.



उन्होंने यह भी बताया कि ईरान और वेनेजुएला पर अमेरिकी प्रतिबंध से तेल की आपूर्ति में होने वाली कमी की भरपाई के मद्देनजर अमेरिका ओपेक में शामिल प्रमुख तेल उत्पादक देश सउदी अरब, ईराक और संयुक्त अरब अमीरात पर तेल का उत्पादन बढ़ाने का दबाव डाल रहा है. यही कारण है कि तेल के दाम में आई तेजी पर ब्रेक लगा है.



उन्होंने कहा कि ओपेक की अगली बैठक जून के आखिर में होने वाली है, जिसमें इस साल जारी कटौती वापस लेने पर विचार किया जा सकता है. केडिया के अनुसार, ओपेक तेल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला शायद तभी कर सकता है, जब बेंट का भाव 80-85 डॉलर प्रति बैरल हो.



मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज-एमसीएक्स-पर कच्चे तेल का मई अनुबंध दोपहर 12.54 बजे पिछले सत्र से 74 रुपये यानी 1.60 फीसदी की गिरावट के साथ 4,563 रुपये प्रति बैरल पर बना हुआ था, जबकि भाव कमजोरी के साथ 4,620 रुपये पर खुला और 4,560 रुपये तक फिसला.



उधर, अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज(आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड का जून अनुबंध 0.24 फीसदी की गिरावट के साथ 74.17 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था. पिछले सत्र में ब्रेंट क्रूड 75.60 डॉलर प्रति बैरल तक उछला था, जोकि अक्टूबर 2018 के बाद का सबसे उंचा स्तर है.



न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज(नायमैक्स)पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट(डब्ल्यूटीआई) का जून अनुबंध 0.46 फीसदी की गिरावट के साथ 64.91 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था. मंगलवार को 66.60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक जाने के बाद डब्ल्यूटीआई के भाव में नरमी देखी जा रही है.



अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद नवंबर 2018 में भारत समेत तेल के कुछ प्रमुख आयातकों को ईरान से अगले छहीने तक तेल आयात की छूट गई थी, जिसे इस सप्ताह अमेरिका ने आगे नहीं बढ़ाए जाने की घोषणा कर दी. यह समय सीमा दो मई को समाप्त हो रही है.

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