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वनस्पति तेलों का आयात फरवरी महीने में 7.40 प्रतिशत बढ़ा

वित्त मंत्रालय ने एक जनवरी 2019 से पाम तेल पर आयात शुल्क कम किया है जिससे कच्चा एवं पाम तेल के आयात शुल्क के बीच का अंतर 10 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत रह गया.

वनस्पति तेलों का आयात फरवरी महीने में 7.40 प्रतिशत बढ़ा
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Published : Mar 16, 2019, 7:40 PM IST

नई दिल्ली: रिफाइंड पाम तेल का आयात बढ़ने से फरवरी महीने में वनस्पति तेलों का कुल आयात 7.40 प्रतिशत बढ़कर 12.42 लाख टन पर पहुंच गया. उद्योग संगठन एसईए ने यह जानकारी दी है. वनस्पति तेलों में खाद्य एवं अखाद्य तेल दोनों शामिल होते हैं.

तेल विपणन वर्ष नवंबर से शुरू होकर अक्टूबर में समाप्त होता है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने जारी बयान में कहा, "वनस्पति तेलों का आयात इस साल फरवरी में 12,42,533 टन रहा. पिछले साल फरवरी में यह 11,57,044 टन रहा था." इस दौरान खाद्य तेलों का आयात 11,24,999 टन से बढ़कर 11,82,062 टन पर और अखाद्य तेलों का आयात 32,045 टन से बढ़कर 60,471 टन पर पहुंच गया.

ये भी पढ़ें-फरवरी में डाउनलोड स्पीड में जियो, अपलोड में वोडाफोन सबसे आगे : ट्राई

चालू विपणन वर्ष में फरवरी तक वनस्पति तेलों का कुल आयात पिछले विपणन वर्ष की समान अवधि की तुलना में 1.61 प्रतिशत बढ़कर 48,62,849 टन पर पहुंच गया. एसईए ने कहा, "वित्त मंत्रालय ने एक जनवरी 2019 से पाम तेल पर आयात शुल्क कम किया है जिससे कच्चा एवं पाम तेल के आयात शुल्क के बीच का अंतर 10 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत रह गया. इससे फरवरी 2019 में आरबीडी पामोलिन का आयात दो गुणा बढ़कर 2,41,101 टन पर पहुंच गया."

संगठन ने कहा कि मलेशिया से भारत भेजे जाने के लिये तैयार आरबीडी पामोलिन को देखते हुए आने वाले महीनों में आयात और बढ़ सकता है. उसने चेतावनी दी, "यदि आयात शुल्क विसंगति को ठीक नहीं किया गया तो यह घरेलू पाम रिफाइनिंग उद्योग के ताबूत की आखिरी कील साबित होने की आशंका है."

(भाषा)

नई दिल्ली: रिफाइंड पाम तेल का आयात बढ़ने से फरवरी महीने में वनस्पति तेलों का कुल आयात 7.40 प्रतिशत बढ़कर 12.42 लाख टन पर पहुंच गया. उद्योग संगठन एसईए ने यह जानकारी दी है. वनस्पति तेलों में खाद्य एवं अखाद्य तेल दोनों शामिल होते हैं.

तेल विपणन वर्ष नवंबर से शुरू होकर अक्टूबर में समाप्त होता है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने जारी बयान में कहा, "वनस्पति तेलों का आयात इस साल फरवरी में 12,42,533 टन रहा. पिछले साल फरवरी में यह 11,57,044 टन रहा था." इस दौरान खाद्य तेलों का आयात 11,24,999 टन से बढ़कर 11,82,062 टन पर और अखाद्य तेलों का आयात 32,045 टन से बढ़कर 60,471 टन पर पहुंच गया.

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चालू विपणन वर्ष में फरवरी तक वनस्पति तेलों का कुल आयात पिछले विपणन वर्ष की समान अवधि की तुलना में 1.61 प्रतिशत बढ़कर 48,62,849 टन पर पहुंच गया. एसईए ने कहा, "वित्त मंत्रालय ने एक जनवरी 2019 से पाम तेल पर आयात शुल्क कम किया है जिससे कच्चा एवं पाम तेल के आयात शुल्क के बीच का अंतर 10 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत रह गया. इससे फरवरी 2019 में आरबीडी पामोलिन का आयात दो गुणा बढ़कर 2,41,101 टन पर पहुंच गया."

संगठन ने कहा कि मलेशिया से भारत भेजे जाने के लिये तैयार आरबीडी पामोलिन को देखते हुए आने वाले महीनों में आयात और बढ़ सकता है. उसने चेतावनी दी, "यदि आयात शुल्क विसंगति को ठीक नहीं किया गया तो यह घरेलू पाम रिफाइनिंग उद्योग के ताबूत की आखिरी कील साबित होने की आशंका है."

(भाषा)

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वनस्पति तेलों का आयात फरवरी महीने में 7.40 प्रतिशत बढ़ा

नई दिल्ली: रिफाइंड पाम तेल का आयात बढ़ने से फरवरी महीने में वनस्पति तेलों का कुल आयात 7.40 प्रतिशत बढ़कर 12.42 लाख टन पर पहुंच गया. उद्योग संगठन एसईए ने यह जानकारी दी है. वनस्पति तेलों में खाद्य एवं अखाद्य तेल दोनों शामिल होते हैं. 

तेल विपणन वर्ष नवंबर से शुरू होकर अक्टूबर में समाप्त होता है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने जारी बयान में कहा, "वनस्पति तेलों का आयात इस साल फरवरी में 12,42,533 टन रहा. पिछले साल फरवरी में यह 11,57,044 टन रहा था." इस दौरान खाद्य तेलों का आयात 11,24,999 टन से बढ़कर 11,82,062 टन पर और अखाद्य तेलों का आयात 32,045 टन से बढ़कर 60,471 टन पर पहुंच गया. 

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चालू विपणन वर्ष में फरवरी तक वनस्पति तेलों का कुल आयात पिछले विपणन वर्ष की समान अवधि की तुलना में 1.61 प्रतिशत बढ़कर 48,62,849 टन पर पहुंच गया. एसईए ने कहा, "वित्त मंत्रालय ने एक जनवरी 2019 से पाम तेल पर आयात शुल्क कम किया है जिससे कच्चा एवं पाम तेल के आयात शुल्क के बीच का अंतर 10 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत रह गया. इससे फरवरी 2019 में आरबीडी पामोलिन का आयात दो गुणा बढ़कर 2,41,101 टन पर पहुंच गया." 

संगठन ने कहा कि मलेशिया से भारत भेजे जाने के लिये तैयार आरबीडी पामोलिन को देखते हुए आने वाले महीनों में आयात और बढ़ सकता है. उसने चेतावनी दी, "यदि आयात शुल्क विसंगति को ठीक नहीं किया गया तो यह घरेलू पाम रिफाइनिंग उद्योग के ताबूत की आखिरी कील साबित होने की आशंका है."

(भाषा) 


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