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जानिए विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों ने 2020 में किया कैसा प्रदर्शन - asset classes

कोरोना वायरस महामारी ने आम आदमी की जेब में छेद किया, न केवल आय को प्रभावित करके, बल्कि निवेशों को भी प्रभावित करके. आइए एक नजर डालते हैं कि इस साल इक्विटी, गोल्ड, एफडी और रियल एस्टेट में निवेशकों ने कितना पैसा कमाया.

जानिए विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों ने 2020 में किया कैसा प्रदर्शन
जानिए विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों ने 2020 में किया कैसा प्रदर्शन
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Published : Dec 24, 2020, 4:35 PM IST

बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत: कोविड 19 महामारी के प्रसार को रोकने के प्रयासों के तहत लगी तालाबंदी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2008 के वित्तीय संकट से भी खराब मंदी की स्थिति में पहुंचा दिया.

जिसके फलस्वरूप निवेशकों ने बहुत से पोर्टफोलियों का मंथन किया, क्योंकि उन्होंने नई आर्थिक वास्तविकता से खुद को समायोजित कर लिया. पूरे वर्ष मुद्रा का प्रवाह एक परिसंपत्ति वर्ग से दूसरे वर्ग में होता रहा.

इस अत्यंत अस्थिर वर्ष के समाप्त होने पर आइए एक नजर डालते हैं 2020 में विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों द्वारा उत्पन्न रिटर्न के प्रकार पर.

इक्विटी बाजार

भारतीय इक्विटी बाजार 2020 में एक काफी उतार-चढ़ाव भरे दौर में थी. जहां एक तरफ वर्ष की पहली छमाही में भारी बिक्री देखने के बाद, शेयर बाजारों ने एक मजबूत सुधार दर्ज किया. जिसकी सहायता से बाजार ने एक अच्छे लाभ के साथ साल का समापन किया.

बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी मार्च में साल की शुरुआत में देखे गए स्तर से 37 फीसदी गिरने के बाद निवेशकों को क्रमश: 12 फीसदी और 11 फीसदी लौटाने में सफल रही.

अनलॉक चरण शुरू होने और वैक्सीन की जल्द उपलब्धता की खबर के साथ ही सामान्य आर्थिक गतिविधियों की फिर से चालू होने की उम्मीद ने निवेशकों के धन को बाजार में वापस ले आई.

इसके अलावा, खुदरा भागीदारी में काफी वृद्धि हुई क्योंकि कई युवा लोग घर पर समय बिता रहे थे और नौकरी और आय के नुकसान से निपटने के लिए शेयर बाजार के व्यापार से कुछ पैसे बनाने की कोशिश की.

जिस कारण स्थिर घरेलू और विदेशी प्रवाह ने अधिकांश इक्विटी सूचकांकों को वर्ष अंत तक हरे रंग में बदल दिया.

सोना

वर्ष 2020 में निवेशकों के लिए सोना एक सबसे सुरक्षित संपत्ति मानी जा रही है, क्योंकि निवेशकों ने इसमें अपना काफी धन लगाया.

यह इस साल निवेशकों को लगभग 29% लौटा कर सबसे अच्छे प्रदर्शन वाले परिसंपत्ति वर्ग में से एक निकला.

भारत में सोने की कीमतें इस साल अगस्त के दौरान 56,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर रहीं. हालांकि बाद में विभिन्न कोरोना वायरस वैक्सीन की उम्मीद से इसकी कीमतों में कुछ सुधार देखा गया.

फिलहाल यह धातु एमसीएक्स पर लगभग 50,200 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था.

सावधि जमा

देश में आज भी बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) सबसे लोकप्रिय निवेश साधनों में से एक हैं, खासकर वरिष्ठ नागरिकों और मध्यम वर्ग के बीच. कई निवेशक जोखिम भरे समय में इक्विटी या गोल्ड के मुकाबले एफडी में निवेश करना पसंद करते हैं, क्योंकि यहां रिटर्न तय होता है.

हालांकि, इस साल ब्याज दर कम होने की वजह से लोगों को एफडी उतने आकर्षक नहीं लग रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कोविड -19 महामारी के आर्थिक प्रभाव द्वारा आवश्यक रेपो दर में 4% की कमी लाने के निर्णय ने बैंक की एफडी दरों को कम करने में योगदान दिया.

नतीजतन, वाणिज्यिक सार्वजनिक और निजी बैंक अब साल की शुरुआत में पेश किए गए 5-8% की तुलना में राशि के आधार पर एफडी के लिए 2.9-5.5% की पेशकश कर रहे हैं. वरिष्ठ नागरिकों को वर्तमान में 3-6.5% की उच्च दर की पेशकश की जा रही है.

रियल एस्टेट

महामारी के प्रकोप के कारण रियल एस्टेट पर इस साल बड़ा झटका लगा. लॉकडाउन के पहले तीन महीनों के दौरान, निर्माण गतिविधियों में रुकावट आई और इसके संभावित खरीदार-आधार के बाजार में काफी गिरावट आई.

होमबॉयर्स ने संपत्ति खरीदने की इच्छा में कमी महसूस की क्योंकि बाजार में नौकरी की गंभीर कमी देखी गई. जबकि वाणिज्यिक संपत्ति की मांग में भी गिरावट देखी गई, क्योंकि महामारी के बीच कंपनियों ने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा.

नतीजतन, संपत्ति की कीमतों में देश भर में कुछ हद तक सुधार हुआ, जो क्षेत्रवार भिन्न था.

ये भी पढ़ें: मिसेज बैक्टर्स फूड स्पेशियलिटी की शेयर बाजार में धमाकेधार शुरुआत, सूचीबद्धता पर 74 प्रतिशत चढ़ा

बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत: कोविड 19 महामारी के प्रसार को रोकने के प्रयासों के तहत लगी तालाबंदी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2008 के वित्तीय संकट से भी खराब मंदी की स्थिति में पहुंचा दिया.

जिसके फलस्वरूप निवेशकों ने बहुत से पोर्टफोलियों का मंथन किया, क्योंकि उन्होंने नई आर्थिक वास्तविकता से खुद को समायोजित कर लिया. पूरे वर्ष मुद्रा का प्रवाह एक परिसंपत्ति वर्ग से दूसरे वर्ग में होता रहा.

इस अत्यंत अस्थिर वर्ष के समाप्त होने पर आइए एक नजर डालते हैं 2020 में विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों द्वारा उत्पन्न रिटर्न के प्रकार पर.

इक्विटी बाजार

भारतीय इक्विटी बाजार 2020 में एक काफी उतार-चढ़ाव भरे दौर में थी. जहां एक तरफ वर्ष की पहली छमाही में भारी बिक्री देखने के बाद, शेयर बाजारों ने एक मजबूत सुधार दर्ज किया. जिसकी सहायता से बाजार ने एक अच्छे लाभ के साथ साल का समापन किया.

बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी मार्च में साल की शुरुआत में देखे गए स्तर से 37 फीसदी गिरने के बाद निवेशकों को क्रमश: 12 फीसदी और 11 फीसदी लौटाने में सफल रही.

अनलॉक चरण शुरू होने और वैक्सीन की जल्द उपलब्धता की खबर के साथ ही सामान्य आर्थिक गतिविधियों की फिर से चालू होने की उम्मीद ने निवेशकों के धन को बाजार में वापस ले आई.

इसके अलावा, खुदरा भागीदारी में काफी वृद्धि हुई क्योंकि कई युवा लोग घर पर समय बिता रहे थे और नौकरी और आय के नुकसान से निपटने के लिए शेयर बाजार के व्यापार से कुछ पैसे बनाने की कोशिश की.

जिस कारण स्थिर घरेलू और विदेशी प्रवाह ने अधिकांश इक्विटी सूचकांकों को वर्ष अंत तक हरे रंग में बदल दिया.

सोना

वर्ष 2020 में निवेशकों के लिए सोना एक सबसे सुरक्षित संपत्ति मानी जा रही है, क्योंकि निवेशकों ने इसमें अपना काफी धन लगाया.

यह इस साल निवेशकों को लगभग 29% लौटा कर सबसे अच्छे प्रदर्शन वाले परिसंपत्ति वर्ग में से एक निकला.

भारत में सोने की कीमतें इस साल अगस्त के दौरान 56,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर रहीं. हालांकि बाद में विभिन्न कोरोना वायरस वैक्सीन की उम्मीद से इसकी कीमतों में कुछ सुधार देखा गया.

फिलहाल यह धातु एमसीएक्स पर लगभग 50,200 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था.

सावधि जमा

देश में आज भी बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) सबसे लोकप्रिय निवेश साधनों में से एक हैं, खासकर वरिष्ठ नागरिकों और मध्यम वर्ग के बीच. कई निवेशक जोखिम भरे समय में इक्विटी या गोल्ड के मुकाबले एफडी में निवेश करना पसंद करते हैं, क्योंकि यहां रिटर्न तय होता है.

हालांकि, इस साल ब्याज दर कम होने की वजह से लोगों को एफडी उतने आकर्षक नहीं लग रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कोविड -19 महामारी के आर्थिक प्रभाव द्वारा आवश्यक रेपो दर में 4% की कमी लाने के निर्णय ने बैंक की एफडी दरों को कम करने में योगदान दिया.

नतीजतन, वाणिज्यिक सार्वजनिक और निजी बैंक अब साल की शुरुआत में पेश किए गए 5-8% की तुलना में राशि के आधार पर एफडी के लिए 2.9-5.5% की पेशकश कर रहे हैं. वरिष्ठ नागरिकों को वर्तमान में 3-6.5% की उच्च दर की पेशकश की जा रही है.

रियल एस्टेट

महामारी के प्रकोप के कारण रियल एस्टेट पर इस साल बड़ा झटका लगा. लॉकडाउन के पहले तीन महीनों के दौरान, निर्माण गतिविधियों में रुकावट आई और इसके संभावित खरीदार-आधार के बाजार में काफी गिरावट आई.

होमबॉयर्स ने संपत्ति खरीदने की इच्छा में कमी महसूस की क्योंकि बाजार में नौकरी की गंभीर कमी देखी गई. जबकि वाणिज्यिक संपत्ति की मांग में भी गिरावट देखी गई, क्योंकि महामारी के बीच कंपनियों ने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा.

नतीजतन, संपत्ति की कीमतों में देश भर में कुछ हद तक सुधार हुआ, जो क्षेत्रवार भिन्न था.

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