मुंबई: आपको लगता होगा कि एक ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान और निजी हेल्थ इंश्योरेंस कवर का अंतर समझना आसान है. लेकिन अधिकतर लोगों को ग्रुप इंश्योरेंस और निजी इंश्योरेंस के बीच का अंतर पता नहीं होता. इन दोनों हेल्थ इंश्योरेंस कवर की तुलना करने से आप इनमें से उपयुक्त प्लान चुन सकेंगे.
वैसे तो इन दोनों इंश्योरेंस पॉलिसियों में एक समान कवरेज मिलती है, लेकिन इनकी बारीकियां देखने पर इनका अंतर साफ नजर आएगा. खासकर अपने कर्मचारियों के लिए बीमा खरीदने वाली कंपनियों को ग्रुप इंश्योरेंस प्लान की जरूरत समझना जरूरी है, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को टैक्स लाभ एवं कर्मचारी लाभ देना होता है. लेकिन एक प्लान का चुनाव करने से पहले आपके यह जरूरी होगा कि ग्रुप इंश्योरेंस और निजी इंश्योरेंस का अंतर जरूर समझ लें. आइये, हम आपको इन दोनों का अंतर बताते हैं.
अंतर जानिये
सरल शब्दों में ग्रुप इंश्योरेंस का मतलब एक ऐसा बीमा प्लान होता है जो एक कंपनी अपने कर्मचारियों के फायदे के लिए खरीदती है. एक कंपनी चाहे तो खुद से सेल्फ-इंश्योरेंस प्लान तैयार कर सकती है, या फिर एक बीमा कंपनी से प्री-प्लान्ड इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकती है.
निजी इंश्योरेंस भी अपने आप में काफी स्पष्ट है. यह एक ऐसा प्लान है जो कि एक व्यक्ति खुद के लिए, अथवा अपने परिवार के लिए खरीदता है. भले ही इसे निजी इंश्योरेंस कहा जाता है, लेकिन यह हमेशा जरूरी नहीं होता कि निजी इंश्योरेंस प्लान सिर्फ एक ही व्यक्ति को कवर करेगा.
कीमत
स्पष्ट रूप से ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम बेहद सस्ता होता है. इसके लिए कर्मचारी को बेहद कम अथवा कुछ भी खर्च करने की जरूरत नहीं होगी. कर्मचारियों द्वारा अपनी कंपनी द्वारा दिया जाने वाला हेल्थ इंश्योरेंस लेने के लिए तब तक कोई भी अतिरिक्त शुल्क चुकाना नहीं पड़ता, जब तक वो कोई ऐसे अतिरिक्त लाभ का विकल्प नहीं चुनते हैं जो ग्रुप पॉलिसी में पहले से मौजूद नहीं होते.
इसके अलावा, ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस के लिए प्रीमियम की राशि सीधे कर्मचारी के वेतन से काट ली जाती है या फिर कई बार नियोक्ता कंपनी द्वारा यह पॉलिसी मुफ्त में भी दी जाती है. वहीं, निजी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम पॉलिसीधारक को अलग से चुकाना पड़ता है. इस बात की हमेशा सलाह दी जाती है कि आप एक निजी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान चुनें क्योंकि नियोक्ता कंपनी द्वारा दिया जाने वाला ग्रुप इंश्योरेंस पैकेज हमेशा आपकी विशिष्ट जरूरतों को पूरा नहीं करता.
सुविधा एवं नियंत्रण
एक निजी इंश्योरेंस कवर लेने पर ऐसी परिस्थिति सामने आ सकती है, जब आपको कई सारे कारणों के चलते बीमा देने से मना किया जा सकता है, जैसे कि आपकी मेडिकल या फाइनेंशियल हिस्ट्री. लेकिन, ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस कवर में ऐसा नहीं होता क्योंकि इस पॉलिसी में कंपनी का प्रत्येक कर्मचारी बीमा कवर के लिए पात्र होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक ग्रुप इंश्योरेंस कवर के अंतर्गत अंडराइटिंग की प्रक्रिया से अक्सर छूट दी जाती है, जिसमें आवेदक की मेडिकल हिस्ट्री की जांच शामिल होती है. एक निजी हेल्थ इंश्योरेंस कवर में आवेदक व्यक्ति को पॉलिसी के नियम तय करने की पूरी आजादी मिलती है. यहां पॉलिसी को बंद कराने का फैसला पूरी तरह से पॉलिसीधारक के हाथ में होता है. कोई भी व्यक्ति एक पॉलिसी को अपनी मेडिकल, आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों के हिसाब से चुन सकता है.
नो क्लेम बोनस
एक कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रदान की जाने वाली ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में आपके पास नो-क्लेम बोनस क्लेम करने का विकल्प नहीं होता, भले ही आपने पूरी पॉलिसी अवधि के दौरान कोई भी क्लेम नहीं किया हो. लेकिन अगर आपके पास निजी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है, तो आप हमेशा नो क्लेम बोनस क्लेम करने के पात्र होंगे, बशर्ते आपने पॉलिसी अवधि के दौरान कोई भी क्लेम नहीं किया हो. नो क्लेम बोनस आमतौर पर एक ईनाम होता है, जो प्रीमियम राशि में डिस्काउंट के रूप में आपको दिया जाता है.
कई मामलों में ऐसा भी होता है कि एक ग्रुप पॉलिसी में होने पर अगर आप कोई क्लेम नहीं करते हैं, लेकिन इसी पॉलिसी में कवर किया गया कोई और व्यक्ति क्लेम कर लेता है, तो पूरे ग्रुप को दिया जाने वाला कुल कवर कम हो जाएगा. यह तभी होगा जब आपकी नियोक्ता कंपनी अतिरिक्त प्रीमियम चुकाने को तैयार नहीं होती. हालांकि, अधिकतर कंपनियां अब इस प्रचलन से हटने लगी हैं और अब सभी कर्मचारियों को एक ही राशि का कवरेज देती है.
कब तक लागू रहेगी पॉलिसी
जहां निजी हेल्थ कवर हर समय और सभी स्थितियों में लागू होते हैं, ग्रुप इंश्योरेंस प्लान आपको सिर्फ तब तक कवरेज देंगे, जब तक आप बीमा देने वाली नियोक्ता कंपनी के साथ जुड़े होंगे और जब तक आपकी कंपनी प्रीमियम राशि का भुगतान करेगी. जब भी आप अपनी नौकरी से रिटायर होंगे या इस्तीफा देंगे, आपके पास इस ग्रुप हेल्थ कवर को निजी हेल्थ पॉलिसी में तब्दील करने का विकल्प नहीं होगा. इसके अलावा, अगर आप इसे तब्दील कराते भी हैं तो इसका शुल्क एक नई निजी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से महंगा ही होगा. इस कारण यह हमेशा सलाह दी जाती है कि अपने ग्रुप कवर को निजी कवर में तभी बदलें जब प्रीमियम राशि कम हो.
(लेखक- वैद्यनाथन रमानी, प्रमुख, उत्पाद और नवाचार, पॉलिसीबाजार.कॉम)