मुंबई: देश में गैस की मांग वित्त वर्ष 2017-18 से 2022-23 के दौरान सालाना 3.5 प्रतिशत की दर से बढ़कर 191 से 193 एमएमएससीएमडी पर पहुंच जाएगी. एक सर्वे में कहा गया है कि उर्वरक और शहर गैस वितरण (सीजीडी) क्षेत्रों की बढ़ी मांग की वजह से गैस की मांग में इजाफा होगा.
क्रिसिल के अनुसार, नाफ्था आधार यूरिया संयंत्रों में बदलाव, नयी यूरिया निवेश नीति के तहत नयी क्षमताओं के चालू होने तथा यूरिया संयंत्रों के पुनरोद्धार से उर्वरक क्षेत्र से गैस की मांग में सुधार होगा. इसके अलावा शहर गैस वितरण को प्रोत्साहन, सीएनजी और घरेलू पीएनजी के लिए घरेलू गैस के प्राथमिकता के आधार पर आवंटन, अधिक शहरों और जिलों को गैस पाइपलाइन ढांचे से जोड़ने, प्रदूषित ईंधन पर प्रतिबंध से भी गैस की मांग में इजाफा होगा.
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हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में फ्यूल आयल और पेटकोक जैसे प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन पर प्रतिबंध है. एजेंसी ने कहा कि औद्योगिक पीएनजी खंड में वैकल्पिक ईंधन से स्थानांतरण देखने को मिलेगी क्योंकि एलपीजी की तुलना में इसमें प्रतिस्पर्धा की स्थिति बेहतर है और उत्तर भारत में फ्यूल आयल पर प्रतिबंध है. एजेंसी ने कहा कि प्रदूषित ईंधन पर प्रतिबंध का विस्तार अन्य राज्यों में भी किया जा सकता है.
(भाषा)