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कपास उत्पादन वर्ष 2018-19 में करीब 11 प्रतिशत घटकर 328 लाख गांठ

कुल कपास उत्पादन वर्ष 2018-19 के दौरान 11 प्रतिशत घटकर 328 लाख गांठ (170 किलोग्राम प्रत्येक) रहने का अनुमान है. भारतीय कपास संघ (सीएआई) ने गुरुवार को कहा कि उत्पादन में संभावित गिरावट मुख्य रूप से कई प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्रों में कम वर्षा के कारण है.

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Published : Mar 8, 2019, 3:04 PM IST

Updated : Mar 8, 2019, 3:13 PM IST

मुंबई : सीएआई के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने 'कपास भारत 2019' में यहां संवाददाताओं से कहा कि पिछले सत्र (वर्ष 2017-18) में कुल कपास उत्पादन 365 लाख गांठ का हुआ था. उन्होंने कहा कि फसल अनुमान में गिरावट का मुख्य कारण कपास उगाने वाले कई क्षेत्रों में मुख्य रूप से कम बारिश का होना है.

उन्होंने कहा, "इस वर्ष लगभग 123 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है. विशेष रूप से, गुजरात जैसे राज्यों में 28 प्रतिशत बारिश की कमी है और उसी समय कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र में बारिश की कमी रही है. बारिश की कमी के कारण इन कपास उत्पादक क्षेत्रों में से अधिकांश में कोई तीसरी या चौथी बार कपास फसल को नहीं लिया जा सकेगा. सामान्य तौर पर भारत में किसान चार से पांच बार पेड़ से कपास चुनते (उठाते) हैं."

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, महाराष्ट्र और तेलंगाना सरकारों ने किसानों को 31 दिसंबर, 2018 तक कपास के पौधों को हटाने का निर्देश दिया था, ताकि पिंक बॉल कीड़े की समस्याओं से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि इस कारण पिछले साल के 15 लाख गांठों की तुलना में चालू सत्र में आयात 70 से 80 प्रतिशत बढ़कर 27 लाख गांठ होने की संभावना है.

उन्होंने कहा, "अगर घरेलू बाजारों में जून के बाद कपास की दरों में वृद्धि होती है, तो आयात लक्ष्य प्राप्ति के करीब ही होगा. जून 2019 के बाद भारत में कमी को देखते हुए कपास की दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है." कपास की कीमत 42,000 रुपये प्रति कैंडी (1 कैंडी 356 किलोग्राम) है, जो कि न्यूनतम समर्थन मूल्य 41,000 रुपये से अधिक है.

गनात्रा ने कहा कि मुख्य रूप से आयात अमेरिका और अफ्रीकी देशों से होगा क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई और ब्राजील के कपास स्टॉक बिक चुके हैं. इस बीच, पिछले साल के 69 लाख गांठों की तुलना में इस बार निर्यात 27 प्रतिशत घटकर 50 लाख गांठ रहने की संभावना है.

उन्होंने कहा, "हम मसले को आसान बनाने के लिए दो सप्ताह के भीतर बांग्लादेश व्यापार संघ और स्पिनर एसोसिएशन के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं. इससे बांग्लादेश को होने वाले निर्यात में 30 प्रतिशत वृद्धि होने की संभावना है, जो हमारा सबसे बड़ा आयातक देश है. पिछले साल हमने इस पड़ोसी देश को 20 लाख कपास गांठों का निर्यात किया था."

इसी तरह, चीन को निर्यात भी पिछले साल 8 लाख गांठ से बढ़कर 15-20 लाख गांठ हो गया है. उन्होंने कहा, "चीन कपास की 335 लाख गांठ पैदा करता है, लेकिन इसकी खपत 570 लाख गांठ है. इसलिए देश मांग और खपत के अंतर को पाटने के लिए आयात करता है. अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध से भारत को कोई फायदा नहीं हुआ है क्योंकि हर कोई भ्रमित है, लेकिन लंबे समय में इस परिदृश्य से भारत को लाभ होने की संभावना है."

पाकिस्तान को निर्यात के बारे में बात करते हुए, गनात्रा ने कहा, मौजूदा सीमा स्थिति की वजह से निर्यात ज्यादा प्रभावित नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले साल इस पड़ोसी देश को 8 लाख गांठ कपास का निर्यात किया था. उन्होंने कहा कि इस साल 6.5 लाख कपास गांठों का निर्यात किया जा चुका है और मौजूदा सीमा की स्थिति के कारण इस स्थिति के संभलने पर बाकी निर्यात किया जाएगा.
(भाषा)
पढ़ें : इंटरनेट दिग्गजों से 3 प्रतिशत कर लेने की योजना बना रहे फ्रेंच वित्त मंत्री

मुंबई : सीएआई के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने 'कपास भारत 2019' में यहां संवाददाताओं से कहा कि पिछले सत्र (वर्ष 2017-18) में कुल कपास उत्पादन 365 लाख गांठ का हुआ था. उन्होंने कहा कि फसल अनुमान में गिरावट का मुख्य कारण कपास उगाने वाले कई क्षेत्रों में मुख्य रूप से कम बारिश का होना है.

उन्होंने कहा, "इस वर्ष लगभग 123 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है. विशेष रूप से, गुजरात जैसे राज्यों में 28 प्रतिशत बारिश की कमी है और उसी समय कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र में बारिश की कमी रही है. बारिश की कमी के कारण इन कपास उत्पादक क्षेत्रों में से अधिकांश में कोई तीसरी या चौथी बार कपास फसल को नहीं लिया जा सकेगा. सामान्य तौर पर भारत में किसान चार से पांच बार पेड़ से कपास चुनते (उठाते) हैं."

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, महाराष्ट्र और तेलंगाना सरकारों ने किसानों को 31 दिसंबर, 2018 तक कपास के पौधों को हटाने का निर्देश दिया था, ताकि पिंक बॉल कीड़े की समस्याओं से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि इस कारण पिछले साल के 15 लाख गांठों की तुलना में चालू सत्र में आयात 70 से 80 प्रतिशत बढ़कर 27 लाख गांठ होने की संभावना है.

उन्होंने कहा, "अगर घरेलू बाजारों में जून के बाद कपास की दरों में वृद्धि होती है, तो आयात लक्ष्य प्राप्ति के करीब ही होगा. जून 2019 के बाद भारत में कमी को देखते हुए कपास की दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है." कपास की कीमत 42,000 रुपये प्रति कैंडी (1 कैंडी 356 किलोग्राम) है, जो कि न्यूनतम समर्थन मूल्य 41,000 रुपये से अधिक है.

गनात्रा ने कहा कि मुख्य रूप से आयात अमेरिका और अफ्रीकी देशों से होगा क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई और ब्राजील के कपास स्टॉक बिक चुके हैं. इस बीच, पिछले साल के 69 लाख गांठों की तुलना में इस बार निर्यात 27 प्रतिशत घटकर 50 लाख गांठ रहने की संभावना है.

उन्होंने कहा, "हम मसले को आसान बनाने के लिए दो सप्ताह के भीतर बांग्लादेश व्यापार संघ और स्पिनर एसोसिएशन के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं. इससे बांग्लादेश को होने वाले निर्यात में 30 प्रतिशत वृद्धि होने की संभावना है, जो हमारा सबसे बड़ा आयातक देश है. पिछले साल हमने इस पड़ोसी देश को 20 लाख कपास गांठों का निर्यात किया था."

इसी तरह, चीन को निर्यात भी पिछले साल 8 लाख गांठ से बढ़कर 15-20 लाख गांठ हो गया है. उन्होंने कहा, "चीन कपास की 335 लाख गांठ पैदा करता है, लेकिन इसकी खपत 570 लाख गांठ है. इसलिए देश मांग और खपत के अंतर को पाटने के लिए आयात करता है. अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध से भारत को कोई फायदा नहीं हुआ है क्योंकि हर कोई भ्रमित है, लेकिन लंबे समय में इस परिदृश्य से भारत को लाभ होने की संभावना है."

पाकिस्तान को निर्यात के बारे में बात करते हुए, गनात्रा ने कहा, मौजूदा सीमा स्थिति की वजह से निर्यात ज्यादा प्रभावित नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले साल इस पड़ोसी देश को 8 लाख गांठ कपास का निर्यात किया था. उन्होंने कहा कि इस साल 6.5 लाख कपास गांठों का निर्यात किया जा चुका है और मौजूदा सीमा की स्थिति के कारण इस स्थिति के संभलने पर बाकी निर्यात किया जाएगा.
(भाषा)
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कुल कपास उत्पादन वर्ष 2018-19 के दौरान 11 प्रतिशत घटकर 328 लाख गांठ (170 किलोग्राम प्रत्येक) रहने का अनुमान है. भारतीय कपास संघ (सीएआई) ने गुरुवार को कहा कि उत्पादन में संभावित गिरावट मुख्य रूप से कई प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्रों में कम वर्षा के कारण है.

मुंबई : सीएआई के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने 'कपास भारत 2019' में यहां संवाददाताओं से कहा कि पिछले सत्र (वर्ष 2017-18) में कुल कपास उत्पादन 365 लाख गांठ का हुआ था. उन्होंने कहा कि फसल अनुमान में गिरावट का मुख्य कारण कपास उगाने वाले कई क्षेत्रों में मुख्य रूप से कम बारिश का होना है.

उन्होंने कहा, "इस वर्ष लगभग 123 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है. विशेष रूप से, गुजरात जैसे राज्यों में 28 प्रतिशत बारिश की कमी है और उसी समय कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र में बारिश की कमी रही है. बारिश की कमी के कारण इन कपास उत्पादक क्षेत्रों में से अधिकांश में कोई तीसरी या चौथी बार कपास फसल को नहीं लिया जा सकेगा. सामान्य तौर पर भारत में किसान चार से पांच बार पेड़ से कपास चुनते (उठाते) हैं."

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, महाराष्ट्र और तेलंगाना सरकारों ने किसानों को 31 दिसंबर, 2018 तक कपास के पौधों को हटाने का निर्देश दिया था, ताकि पिंक बॉल कीड़े की समस्याओं से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि इस कारण पिछले साल के 15 लाख गांठों की तुलना में चालू सत्र में आयात 70 से 80 प्रतिशत बढ़कर 27 लाख गांठ होने की संभावना है.

उन्होंने कहा, "अगर घरेलू बाजारों में जून के बाद कपास की दरों में वृद्धि होती है, तो आयात लक्ष्य प्राप्ति के करीब ही होगा. जून 2019 के बाद भारत में कमी को देखते हुए कपास की दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है." कपास की कीमत 42,000 रुपये प्रति कैंडी (1 कैंडी 356 किलोग्राम) है, जो कि न्यूनतम समर्थन मूल्य 41,000 रुपये से अधिक है.

गनात्रा ने कहा कि मुख्य रूप से आयात अमेरिका और अफ्रीकी देशों से होगा क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई और ब्राजील के कपास स्टॉक बिक चुके हैं. इस बीच, पिछले साल के 69 लाख गांठों की तुलना में इस बार निर्यात 27 प्रतिशत घटकर 50 लाख गांठ रहने की संभावना है.

उन्होंने कहा, "हम मसले को आसान बनाने के लिए दो सप्ताह के भीतर बांग्लादेश व्यापार संघ और स्पिनर एसोसिएशन के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं. इससे बांग्लादेश को होने वाले निर्यात में 30 प्रतिशत वृद्धि होने की संभावना है, जो हमारा सबसे बड़ा आयातक देश है. पिछले साल हमने इस पड़ोसी देश को 20 लाख कपास गांठों का निर्यात किया था."

इसी तरह, चीन को निर्यात भी पिछले साल 8 लाख गांठ से बढ़कर 15-20 लाख गांठ हो गया है. उन्होंने कहा, "चीन कपास की 335 लाख गांठ पैदा करता है, लेकिन इसकी खपत 570 लाख गांठ है. इसलिए देश मांग और खपत के अंतर को पाटने के लिए आयात करता है. अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध से भारत को कोई फायदा नहीं हुआ है क्योंकि हर कोई भ्रमित है, लेकिन लंबे समय में इस परिदृश्य से भारत को लाभ होने की संभावना है."

पाकिस्तान को निर्यात के बारे में बात करते हुए, गनात्रा ने कहा, मौजूदा सीमा स्थिति की वजह से निर्यात ज्यादा प्रभावित नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले साल इस पड़ोसी देश को 8 लाख गांठ कपास का निर्यात किया था. उन्होंने कहा कि इस साल 6.5 लाख कपास गांठों का निर्यात किया जा चुका है और मौजूदा सीमा की स्थिति के कारण इस स्थिति के संभलने पर बाकी निर्यात किया जाएगा.

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Last Updated : Mar 8, 2019, 3:13 PM IST
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