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देश का एयर प्यूरिफायर बाजार 2023 तक 3.9 करोड़ डॉलर का हो सकता है : रिपोर्ट

तेजी से बढ़ रहा एयर प्यूरिफायर का कारोबार, 2023 तक 29 प्रतिशत की वृद्धि के साथ पहुंच सकता है 3.899 करोड़ डॉलर.

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Published : Feb 24, 2019, 4:35 PM IST

नयी दिल्ली : भारत का घरेलू एयर प्यूरिफायर बाजार तेजी से शहरीकरण, खरीद शक्ति में वृद्धि, शहरी जनसंख्या में बढ़ोत्तरी और वायु प्रदूषण की समस्याओं के बीच 2023 तक साल दर साल 29 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3.899 करोड़ डॉलर का हो सकता है. एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

वर्तमान में यह बाजार 1.41 करोड़ डॉलर का है. उद्योग मंडल एसोचैम और टेकसाई रिसर्च के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रही बेहतरी, एयर प्यूरिफायर कंपनियों की आक्रामक विपणन रणनीति, वायु प्रदूषण से बीमारियों में वृद्धि और बेहतर जीवनशैली की आकांक्षा बाजार को मुख्य रूप से प्रभावित करने वाले कारक रहेंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में भारत के कुल एयर प्यूरिफायर बाजार में घरेलू क्षेत्र की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत रही.

हवा में पीएम2.5 और पीएम10 की उच्च सांद्रता की उपस्थिति से भारत के उत्तरी हिस्सों, विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर में उच्च प्रदूषण का स्तर होता है, जो देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक है. अध्ययन के अनुसार, उत्तरी भारत से आवासीय एयर प्यूरीफायर की मांग बढ़ रही है.

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2017 में, औद्योगिक एयर फिल्टर बाजार 293.27 मिलियन अमरीकी डालर पर खड़ा था और 2023 तक यूएसडी 392.63 मिलियन को पार करने के लिए 6.07 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है.
(भाषा)
पढ़ें : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया गोरखपुर से पीएम किसान योजना की शुरुआत

नयी दिल्ली : भारत का घरेलू एयर प्यूरिफायर बाजार तेजी से शहरीकरण, खरीद शक्ति में वृद्धि, शहरी जनसंख्या में बढ़ोत्तरी और वायु प्रदूषण की समस्याओं के बीच 2023 तक साल दर साल 29 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3.899 करोड़ डॉलर का हो सकता है. एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

वर्तमान में यह बाजार 1.41 करोड़ डॉलर का है. उद्योग मंडल एसोचैम और टेकसाई रिसर्च के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रही बेहतरी, एयर प्यूरिफायर कंपनियों की आक्रामक विपणन रणनीति, वायु प्रदूषण से बीमारियों में वृद्धि और बेहतर जीवनशैली की आकांक्षा बाजार को मुख्य रूप से प्रभावित करने वाले कारक रहेंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में भारत के कुल एयर प्यूरिफायर बाजार में घरेलू क्षेत्र की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत रही.

हवा में पीएम2.5 और पीएम10 की उच्च सांद्रता की उपस्थिति से भारत के उत्तरी हिस्सों, विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर में उच्च प्रदूषण का स्तर होता है, जो देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक है. अध्ययन के अनुसार, उत्तरी भारत से आवासीय एयर प्यूरीफायर की मांग बढ़ रही है.

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2017 में, औद्योगिक एयर फिल्टर बाजार 293.27 मिलियन अमरीकी डालर पर खड़ा था और 2023 तक यूएसडी 392.63 मिलियन को पार करने के लिए 6.07 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है.
(भाषा)
पढ़ें : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया गोरखपुर से पीएम किसान योजना की शुरुआत

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भारत का घरेलू एयर प्यूरिफायर बाजार तेजी से शहरीकरण, खरीद शक्ति में वृद्धि, शहरी जनसंख्या में बढ़ोत्तरी और वायु प्रदूषण की समस्याओं के बीच 2023 तक साल दर साल 29 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3.899 करोड़ डॉलर का हो सकता है.



नयी दिल्ली : भारत का घरेलू एयर प्यूरिफायर बाजार तेजी से शहरीकरण, खरीद शक्ति में वृद्धि, शहरी जनसंख्या में बढ़ोत्तरी और वायु प्रदूषण की समस्याओं के बीच 2023 तक साल दर साल 29 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3.899 करोड़ डॉलर का हो सकता है. एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

वर्तमान में यह बाजार 1.41 करोड़ डॉलर का है. उद्योग मंडल एसोचैम और टेकसाई रिसर्च के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रही बेहतरी, एयर प्यूरिफायर कंपनियों की आक्रामक विपणन रणनीति, वायु प्रदूषण से बीमारियों में वृद्धि और बेहतर जीवनशैली की आकांक्षा बाजार को मुख्य रूप से प्रभावित करने वाले कारक रहेंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में भारत के कुल एयर प्यूरिफायर बाजार में घरेलू क्षेत्र की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत रही.

हवा में पीएम2.5 और पीएम10 की उच्च सांद्रता की उपस्थिति से भारत के उत्तरी हिस्सों, विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर में उच्च प्रदूषण का स्तर होता है, जो देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक है. अध्ययन के अनुसार, उत्तरी भारत से आवासीय एयर प्यूरीफायर की मांग बढ़ रही है.

2017 में, औद्योगिक एयर फिल्टर बाजार 293.27 मिलियन अमरीकी डालर पर खड़ा था और 2023 तक यूएसडी 392.63 मिलियन को पार करने के लिए 6.07 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है.

(भाषा)


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