नई दिल्ली: देश की थोक मूल्यों पर आधारित वार्षिक महंगाई दर सितंबर में घटकर 0.33 फीसदी हो गई. अगस्त में यह 1.08 फीसदी थी. ईंधन और कुछ खाद्य सामग्रियों की कीमतें कम होने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति सितंबर महीने में गिरकर तीन साल से अधिक के निचले स्तर पर पहुंच गई. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई.
थोक मुद्रास्फीति अगस्त 2019 में 1.08 प्रतिशत और पिछले साल सितंबर में 5.22 प्रतिशत थी. इससे पहले जून 2016 में थोक मुद्रास्फीति शून्य से 0.1 प्रतिशत नीचे रही थी.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वर्ग की मुद्रास्फीति सिंतबर महीने के दौरान 7.47 प्रतिशत के लगभग पूर्वस्तर पर रही. आलू के भाव में गिरावट जारी रही. ईंधन और बिजली श्रेणी में मुद्रास्फीति सितंबर में शून्य से 7.05 प्रतिशत नीचे रही. अगस्त महीने में यह शून्य से 4 प्रतिशत नीचे थी.
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वहीं, विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति सितंबर में शून्य से 0.42 प्रतिशत नीचे रही. इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, "सितंबर महीने में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 0.3 प्रतिशत के पूर्वानुमान से अधिक नीचे आ गई. ईंधन एवं बिजली श्रेणी की मुद्रास्फीति और मुख्य मुद्रास्फीति में भारी गिरावट इसकी वजह रही."
इमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के करेंसी रिसर्च प्रमुख राहुल गुप्ता ने कहा कि नीतिगत ब्याज दर पर विचार करते समय रिजर्व बैंक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को तवज्जो देता है. हालांकि, वह सुस्त पड़ती थोक मुद्रास्फीति को भी ध्यान में रखेगा.