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भारत में छह परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाएगा अमेरिका

भारत और अमेरिका द्विपक्षीय असैन्य परमाणु सहयोग को बढ़ावा देते हुए भारत में 6 अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने पर सहमत हुए हैं.

अमेरिका के सिक्योरिटी अफेयर्स सचिव के साथ विदेश सचिव विजय गोखले
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Published : Mar 14, 2019, 4:27 PM IST

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका द्विपक्षीय असैन्य परमाणु सहयोग को बढ़ावा देते हुए भारत में 6 अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने पर सहमत हुए हैं. विदेश सचिव विजय गोखले और अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सचिव एंड्रिया थॉम्पसन ने एक संयुक्त बयान में यह कहा कि वे द्विपक्षीय सुरक्षा और असैन्य परमाणु सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

दोनों देशों ने स्ट्रेटेजिक सिक्योरिटी डायलॉग के 9 वें राउंड के समापन पर ये बातें कही. बता दें कि भारत और अमेरिका ने अक्टूबर 2008 में असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. इस सौदे ने द्विपक्षीय संबंधों को एक मजबूती प्रदान की थी जो तब से अब तक जारी है.

सौदे का एक प्रमुख पहलू परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) था. जिसने भारत को एक विशेष छूट दी जिससे वह एक अन्य देशों के साथ सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर कर सके. अब तक भारत, फ्रांस, रूस, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, यूके, जापान, वियतनाम, बांग्लादेश, कजाकिस्तान और दक्षिण कोरिया ने अमेरिका के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए.

बुधवार को अमेरिका ने 48-सदस्यीय एनएसजी में भारत की प्रारंभिक सदस्यता के लिए अपने मजबूत समर्थन की भी पुष्टि की. बता दें कि चीन ने भारत की लंबित सदस्यता को रोक दिया है.

बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने वैश्विक सुरक्षा और अप्रसार चुनौतियों की एक विस्तृत श्रृंखला पर विचारों का आदान-प्रदान किया. साथ ही हथियारों और उनके वितरण प्रणालियों के प्रसार को रोकने और एक साथ काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की.

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका द्विपक्षीय असैन्य परमाणु सहयोग को बढ़ावा देते हुए भारत में 6 अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने पर सहमत हुए हैं. विदेश सचिव विजय गोखले और अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सचिव एंड्रिया थॉम्पसन ने एक संयुक्त बयान में यह कहा कि वे द्विपक्षीय सुरक्षा और असैन्य परमाणु सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

दोनों देशों ने स्ट्रेटेजिक सिक्योरिटी डायलॉग के 9 वें राउंड के समापन पर ये बातें कही. बता दें कि भारत और अमेरिका ने अक्टूबर 2008 में असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. इस सौदे ने द्विपक्षीय संबंधों को एक मजबूती प्रदान की थी जो तब से अब तक जारी है.

सौदे का एक प्रमुख पहलू परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) था. जिसने भारत को एक विशेष छूट दी जिससे वह एक अन्य देशों के साथ सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर कर सके. अब तक भारत, फ्रांस, रूस, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, यूके, जापान, वियतनाम, बांग्लादेश, कजाकिस्तान और दक्षिण कोरिया ने अमेरिका के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए.

बुधवार को अमेरिका ने 48-सदस्यीय एनएसजी में भारत की प्रारंभिक सदस्यता के लिए अपने मजबूत समर्थन की भी पुष्टि की. बता दें कि चीन ने भारत की लंबित सदस्यता को रोक दिया है.

बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने वैश्विक सुरक्षा और अप्रसार चुनौतियों की एक विस्तृत श्रृंखला पर विचारों का आदान-प्रदान किया. साथ ही हथियारों और उनके वितरण प्रणालियों के प्रसार को रोकने और एक साथ काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की.

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