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अमेरिका के डिजिटल कर जांच के फैसले को भारत के खिलाफ आक्रामकता नहीं माना जाना चाहिये: सूत्र - अमेरिका

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने घोषणा की है कि ट्रम्प सरकार ने डिजिटल सेवा कर के मामले में जांच शुरू करने का फैसला किया है. उसके मुताबिक भारत सहित कई देशों ने डिजिटल सेवा कर अपनाया है अथवा अपनाने पर विचार कर रहे हैं.

अमेरिका के डिजिटल कर जांच के फैसले को भारत के खिलाफ आक्रामकता नहीं माना जाना चाहिये: सूत्र
अमेरिका के डिजिटल कर जांच के फैसले को भारत के खिलाफ आक्रामकता नहीं माना जाना चाहिये: सूत्र
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Published : Jun 3, 2020, 7:54 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय अधिकारियों की राय में डिजिटल सेवाओं पर करारोपण या इसका प्रस्ताव करने वाले भारत सहित कुछ देशों के खिलाफ जांच के अमेरिका के फैसले को आक्रामक नहीं माना जाना चाहिये. सरकारी सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने घोषणा की है कि ट्रम्प सरकार ने डिजिटल सेवा कर के मामले में जांच शुरू करने का फैसला किया है. उसके मुताबिक भारत सहित कई देशों ने डिजिटल सेवा कर अपनाया है अथवा अपनाने पर विचार कर रहे हैं. अमेरिका को लगता है कि इस तरह के कर का मकसद मकसद गूगल जैसी अमेरिका की प्रौद्योगिकी कंपनियों पर अनुचित तरीके से निशाना बनाना है.

अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) राबर्ट लाइटहाइजर ने मंगलवार को कहा, "(अमेरिका के) राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप इस बात को लेकर चिंतित है कि हमारे कई व्यापार भागीदार ऐसी कर योजना अपना रहे हैं जिसका मकसद हमारी कंपनियों पर अनुचित तरीके से निशाना साधना है."

सूत्रों का कहना है कि यूएसटीआर की धारा 301 के तहत भारत के समानीकरण शुल्क की जांच की घोषणा मात्र एक कदम की शुरुआत है और यह किसी भी तरह से भारत सरकार के खिलाफ पक्की कार्रवाई नहीं है.

ये भी पढ़ें: उदय कोटक ने सीआईआई के अध्यक्ष का पदभार संभाला

सूत्रों ने कहा है, "इसके अलावा इसमें भारत पर किसी तरह का शुल्क अथवा अन्य दंडात्मक उपाय नहीं है. यह गौर करने वाली बात है कि यूएसटीआर का यह कदम भारत के खिलाफ नहीं है बल्कि यह डिजिटल कर की नीति के खिलाफ है जो कि कई देशों में उभर कर सामने आई है. इनमं आस्ट्रिया, ब्राजील, चेक गणराज्य, यूरोपीय संघ, भारत, इंडोनेशिया, इटली, स्पेन, तुर्की और ब्रिटेन शामिल हैं."

सूत्रों का कहना है कि यूरोपीय संघ और ब्रिटेन जैसे कई अमेरिकी सहयोगी देशों का नाम सूची में शामिल है इसलिये यह माना जाना चाहिये कि यूएसटीआर की कार्रवाई डिजिटल कर के मुद्दे को लेकर है. इसे भारत के खिलाफ अमेरिका की आक्रामकता नहीं माना जाना चाहिये.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: भारतीय अधिकारियों की राय में डिजिटल सेवाओं पर करारोपण या इसका प्रस्ताव करने वाले भारत सहित कुछ देशों के खिलाफ जांच के अमेरिका के फैसले को आक्रामक नहीं माना जाना चाहिये. सरकारी सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने घोषणा की है कि ट्रम्प सरकार ने डिजिटल सेवा कर के मामले में जांच शुरू करने का फैसला किया है. उसके मुताबिक भारत सहित कई देशों ने डिजिटल सेवा कर अपनाया है अथवा अपनाने पर विचार कर रहे हैं. अमेरिका को लगता है कि इस तरह के कर का मकसद मकसद गूगल जैसी अमेरिका की प्रौद्योगिकी कंपनियों पर अनुचित तरीके से निशाना बनाना है.

अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) राबर्ट लाइटहाइजर ने मंगलवार को कहा, "(अमेरिका के) राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप इस बात को लेकर चिंतित है कि हमारे कई व्यापार भागीदार ऐसी कर योजना अपना रहे हैं जिसका मकसद हमारी कंपनियों पर अनुचित तरीके से निशाना साधना है."

सूत्रों का कहना है कि यूएसटीआर की धारा 301 के तहत भारत के समानीकरण शुल्क की जांच की घोषणा मात्र एक कदम की शुरुआत है और यह किसी भी तरह से भारत सरकार के खिलाफ पक्की कार्रवाई नहीं है.

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सूत्रों ने कहा है, "इसके अलावा इसमें भारत पर किसी तरह का शुल्क अथवा अन्य दंडात्मक उपाय नहीं है. यह गौर करने वाली बात है कि यूएसटीआर का यह कदम भारत के खिलाफ नहीं है बल्कि यह डिजिटल कर की नीति के खिलाफ है जो कि कई देशों में उभर कर सामने आई है. इनमं आस्ट्रिया, ब्राजील, चेक गणराज्य, यूरोपीय संघ, भारत, इंडोनेशिया, इटली, स्पेन, तुर्की और ब्रिटेन शामिल हैं."

सूत्रों का कहना है कि यूरोपीय संघ और ब्रिटेन जैसे कई अमेरिकी सहयोगी देशों का नाम सूची में शामिल है इसलिये यह माना जाना चाहिये कि यूएसटीआर की कार्रवाई डिजिटल कर के मुद्दे को लेकर है. इसे भारत के खिलाफ अमेरिका की आक्रामकता नहीं माना जाना चाहिये.

(पीटीआई-भाषा)

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