वाशिंगटन: व्यापार और शुल्क के मुद्दे भारत, अमेरिका संबंधों में बाधक बन सकते हैं. अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा दोनों देशों के रूस, ईरान और पाकिस्तान को लेकर अलग अलग नजरिया भी आपसी संबंधों में एक बड़ी रुकावट पैदा कर सकता है.
संसदीय शोध सेवा (सीआरएस) की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन की मुक्त एवं खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र रणनीति में भारत एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
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इसके बावजूद दोनों देशों की भागीदारी में कई संभावित गतिरोधक हैं. अमेरिकी संसद के सदस्यों द्वारा तैयार रिपोर्ट ‘भारत 2019 राष्ट्रीय चुनाव और अमेरिकी हितों पर प्रभाव’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में हालिया चुनाव प्रक्रिया और उसके नतीजों, देश के राजनीतिक मंच, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों का अमेरिकी हितों पर प्रभाव, रक्षा और सुरक्षा संबंध तथा भारत के अन्य देशों से संबंध और मानवाधिकार की चिंताओं की समीक्षा की गई है.
सीआरएस अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र शोध इकाई है. यह समय पर सांसदों के लिए रिपोर्ट तैयार करती है जिससे वे उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर फैसले ले सकें. हालांकि, सीआरएस रिपोर्ट अमेरिकी संसद का आधिकारिक रुख नहीं है.
भारत-अमेरिका संबंधों में व्यापार और शुल्क जैसे मुद्दे बन सकते हैं बैरियर: रिपोर्ट
अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा दोनों देशों के रूस, ईरान और पाकिस्तान को लेकर अलग अलग नजरिया भी आपसी संबंधों में एक बड़ी रुकावट पैदा कर सकता है.
वाशिंगटन: व्यापार और शुल्क के मुद्दे भारत, अमेरिका संबंधों में बाधक बन सकते हैं. अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा दोनों देशों के रूस, ईरान और पाकिस्तान को लेकर अलग अलग नजरिया भी आपसी संबंधों में एक बड़ी रुकावट पैदा कर सकता है.
संसदीय शोध सेवा (सीआरएस) की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन की मुक्त एवं खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र रणनीति में भारत एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
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इसके बावजूद दोनों देशों की भागीदारी में कई संभावित गतिरोधक हैं. अमेरिकी संसद के सदस्यों द्वारा तैयार रिपोर्ट ‘भारत 2019 राष्ट्रीय चुनाव और अमेरिकी हितों पर प्रभाव’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में हालिया चुनाव प्रक्रिया और उसके नतीजों, देश के राजनीतिक मंच, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों का अमेरिकी हितों पर प्रभाव, रक्षा और सुरक्षा संबंध तथा भारत के अन्य देशों से संबंध और मानवाधिकार की चिंताओं की समीक्षा की गई है.
सीआरएस अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र शोध इकाई है. यह समय पर सांसदों के लिए रिपोर्ट तैयार करती है जिससे वे उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर फैसले ले सकें. हालांकि, सीआरएस रिपोर्ट अमेरिकी संसद का आधिकारिक रुख नहीं है.
भारत-अमेरिका संबंधों में व्यापार और शुल्क जैसे मुद्दे बन सकते हैं बैरियर: रिपोर्ट
वाशिंगटन: व्यापार और शुल्क के मुद्दे भारत, अमेरिका संबंधों में बाधक बन सकते हैं. अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा दोनों देशों के रूस, ईरान और पाकिस्तान को लेकर अलग अलग नजरिया भी आपसी संबंधों में एक बड़ी रुकावट पैदा कर सकता है.
संसदीय शोध सेवा (सीआरएस) की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन की मुक्त एवं खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र रणनीति में भारत एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
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इसके बावजूद दोनों देशों की भागीदारी में कई संभावित गतिरोधक हैं. अमेरिकी संसद के सदस्यों द्वारा तैयार रिपोर्ट ‘भारत 2019 राष्ट्रीय चुनाव और अमेरिकी हितों पर प्रभाव’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में हालिया चुनाव प्रक्रिया और उसके नतीजों, देश के राजनीतिक मंच, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों का अमेरिकी हितों पर प्रभाव, रक्षा और सुरक्षा संबंध तथा भारत के अन्य देशों से संबंध और मानवाधिकार की चिंताओं की समीक्षा की गई है.
सीआरएस अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र शोध इकाई है. यह समय पर सांसदों के लिए रिपोर्ट तैयार करती है जिससे वे उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर फैसले ले सकें. हालांकि, सीआरएस रिपोर्ट अमेरिकी संसद का आधिकारिक रुख नहीं है.
पीटीआई-भाषा के पास 28 जून को जारी रिपोर्ट की प्रति है. इसमें कहा गया है कि व्यापार को लेकर गतिरोध अब अधिक बढ़ गया है. इसके अलावा भारत के रूस और ईरान के साथ संबंध भी अमेरिकी प्रतिबंध कानूनों को प्रभावित कर सकते हैं.
Conclusion: