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भारत का अमेरिका के लिए पोल्ट्री बाजार खोलना हो सकता है नुकसानदेह : सुरेश चित्तूरी - अंतर्राष्ट्रीय अंडा आयोग के चेयरमैन सुरेश चित्तूरी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर आने वाले हैं. ऐसे में कई मुद्दों के साथ-साथ भारत द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए अपने पोल्ट्री बाजार को खोलने को लेकर भी चर्चा होगी. इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय अंडा आयोग के चेयरमैन सुरेश चित्तूरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जानें उन्होंने इससे भारत पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर क्या कुछ कहा...

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सुरेश चित्तूरी
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Published : Feb 16, 2020, 8:07 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 1:30 PM IST

हैदराबाद : भारत द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए अपने पोल्ट्री बाजार को खोलने की संभावना है और इस संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत की आगामी यात्रा के दौरान एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं.

इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय अंडा आयोग के चेयरमैन सुरेश चित्तूरी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि अगर हम अमेरिका से चिकन लेग का आयात करना शुरू करते हैं तो यह न केवल भारतीय पोल्ट्री उद्योग को खत्म करेगा बल्कि भारत के कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.

ईटीवी भारत से बातचीत में चित्तूरी ने चिकन लेग को लेकर कुछ सवालों के जवाब दिए.

सवाल : अमेरिका में लोग चिकन लेग पीस क्यों नहीं खा रहे हैं ?

जवाब : अमेरिका में एक ब्रांडिंग है, जिसे उद्योगों ने यह कहते हुए सफलतापूर्वक बनाया है कि सफेद मांस या स्तन का हिस्सा स्वास्थ्यप्रद है. काले मांस में लेग पीस को शामिल किया गया है.

उन्होंने इसकी ब्रांडिंग कुछ इस तरीके से की है कि उन्हें 50-60% के आस-पास इसका अच्छा परिणाम मिलता है. इसके साथ ही उनके सामने रेड मीट की बजाय सफेद मांस की अधिक मांग होगी और अगर वह भारत में रेड मीट बेचते हैं, तो वह अमेरिका में भी इसकी कमी पैदा कर रहे हैं. यह उनका खेल है.

सवाल: यदि सरकार इस व्यापार सौदे की घोषणा करती है तो पोल्ट्री उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

जवाब : पोल्ट्री क्षेत्र समाप्त हो जाएगा और इसका कोई उपाय नहीं है.

अमेरिकी हमसे मुकाबला नहीं कर सकते. हम अपने उत्पादन के साथ कितने अच्छे हैं. हमारी लागत का 70-75% फीड है. यदि वह चिकन आयात की अनुमति देने जा रहे हैं, तो उन्हें भारत में मकई और सोया आयात की भी स्वतंत्र रूप से अनुमति देनी होगी.

एक लाख अंडे के खेत को इसके लिए 15 एकड़ जमीन की जरूरत होती है. भारत में 25 करोड़ अंडे बेचे जाते हैं यदि आप गणना करें कि हम प्रतिवर्ष कितने एकड़ भूमि का समर्थन कर रहे हैं. यह सब खतरे में है.

ऐसा नहीं है कि पोल्ट्री उद्योग में शामिल 4-5 करोड़ ही रोजगार खोने वाले हैं.

हम अमेरिका से आने वाले चिकन का विरोध नहीं कर रहे हैं. हमारे हाथ पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य के कारण बंधे हुए हैं और कोई उत्पादन नहीं है.

लेकिन अब बिना किसी सुरक्षा के अमेरिका को भारत के साथ आने और प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देना एक स्मार्ट कदम नहीं है.

इससे लोगों की आजीविका प्रभावित होगी और यह एक ऐसा झटका हो सकता है, जिससे भारत उबर नहीं पाएगा.

सवाल : ग्राहक के दृष्टिकोण से क्या प्रभाव होगा?

जवाब : उपभोक्ता इस उत्पाद को नहीं खरीदेगा. यह रेस्तरां जैसे संस्थानों द्वारा खरीदा जाएगा. यहां तक कि अब वह गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं, वह जो कुछ भी सस्ता है खरीद रहे हैं. लेकिन यह एक महत्वपूर्ण खपत होगी.

हैदराबाद : भारत द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए अपने पोल्ट्री बाजार को खोलने की संभावना है और इस संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत की आगामी यात्रा के दौरान एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं.

इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय अंडा आयोग के चेयरमैन सुरेश चित्तूरी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि अगर हम अमेरिका से चिकन लेग का आयात करना शुरू करते हैं तो यह न केवल भारतीय पोल्ट्री उद्योग को खत्म करेगा बल्कि भारत के कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.

ईटीवी भारत से बातचीत में चित्तूरी ने चिकन लेग को लेकर कुछ सवालों के जवाब दिए.

सवाल : अमेरिका में लोग चिकन लेग पीस क्यों नहीं खा रहे हैं ?

जवाब : अमेरिका में एक ब्रांडिंग है, जिसे उद्योगों ने यह कहते हुए सफलतापूर्वक बनाया है कि सफेद मांस या स्तन का हिस्सा स्वास्थ्यप्रद है. काले मांस में लेग पीस को शामिल किया गया है.

उन्होंने इसकी ब्रांडिंग कुछ इस तरीके से की है कि उन्हें 50-60% के आस-पास इसका अच्छा परिणाम मिलता है. इसके साथ ही उनके सामने रेड मीट की बजाय सफेद मांस की अधिक मांग होगी और अगर वह भारत में रेड मीट बेचते हैं, तो वह अमेरिका में भी इसकी कमी पैदा कर रहे हैं. यह उनका खेल है.

सवाल: यदि सरकार इस व्यापार सौदे की घोषणा करती है तो पोल्ट्री उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

जवाब : पोल्ट्री क्षेत्र समाप्त हो जाएगा और इसका कोई उपाय नहीं है.

अमेरिकी हमसे मुकाबला नहीं कर सकते. हम अपने उत्पादन के साथ कितने अच्छे हैं. हमारी लागत का 70-75% फीड है. यदि वह चिकन आयात की अनुमति देने जा रहे हैं, तो उन्हें भारत में मकई और सोया आयात की भी स्वतंत्र रूप से अनुमति देनी होगी.

एक लाख अंडे के खेत को इसके लिए 15 एकड़ जमीन की जरूरत होती है. भारत में 25 करोड़ अंडे बेचे जाते हैं यदि आप गणना करें कि हम प्रतिवर्ष कितने एकड़ भूमि का समर्थन कर रहे हैं. यह सब खतरे में है.

ऐसा नहीं है कि पोल्ट्री उद्योग में शामिल 4-5 करोड़ ही रोजगार खोने वाले हैं.

हम अमेरिका से आने वाले चिकन का विरोध नहीं कर रहे हैं. हमारे हाथ पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य के कारण बंधे हुए हैं और कोई उत्पादन नहीं है.

लेकिन अब बिना किसी सुरक्षा के अमेरिका को भारत के साथ आने और प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देना एक स्मार्ट कदम नहीं है.

इससे लोगों की आजीविका प्रभावित होगी और यह एक ऐसा झटका हो सकता है, जिससे भारत उबर नहीं पाएगा.

सवाल : ग्राहक के दृष्टिकोण से क्या प्रभाव होगा?

जवाब : उपभोक्ता इस उत्पाद को नहीं खरीदेगा. यह रेस्तरां जैसे संस्थानों द्वारा खरीदा जाएगा. यहां तक कि अब वह गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं, वह जो कुछ भी सस्ता है खरीद रहे हैं. लेकिन यह एक महत्वपूर्ण खपत होगी.

Last Updated : Mar 1, 2020, 1:30 PM IST
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