नई दिल्ली: मान्यता प्राप्त निवेशकों से स्टार्टअप्स को मिलने वाले कोष को एंजल कर से छूट दी जा सकती है. हालांकि, उन्हें इस मामले में कुछ नेटवर्थ मानदंडों को पूरा करना होगा. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
सरकार ने स्टार्टअप में निवेश प्रवाह बढ़ाने के विचार से इस प्रावधान पर विचार किया है. इसके तहत मान्यता प्राप्त निवेशकों को परिभाषित किया जायेगा. आंतरिक व्यापार एवं उद्योग संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) इसकी परिभाषा पर काम कर रहा है. बाद में इसे वित्त मंत्रालय को उसकी मंजूरी के लिये सौंपा जायेगा.
ये भी पढ़ें- गेहूं किसानों को समर्थन करने के लिए सरकार ने आयात शुल्क 40% तक बढ़ाया
अधिकारी ने कहा, "अधिकृत अथवा प्रमाणित निवेशक कितनी भी राशि स्टार्ट अप में निवेश कर सकते हैं, लेकिन हमें इसके लिये कोई मानदंड तय करने होंगे. यह काफी उदार होगा ताकि इस तरह के सभी लोग इसके दायरे में आ सकें लेकिन यह अति उदारवादी या अति कठोर भी नहीं होना चाहिये."
अधिकारी ने कहा, "कोई वास्तविक निवेशक हर साल कितना निवेश कर रहा है यह उसकी नेटवर्थ पर निर्भर करता है. उदाहरण के तौर पर यदि आप दो करोड़ रुपये निवेश करते हैं तो आपकी नेटवर्थ इसकी दस गुणा तक होनी चाहिये. निवेश और निवेश की नेटवर्थ के बीच कोई संबंध तो होना चाहिये. उनकी कोई आय होनी चाहिये."
इन अधिकृत निवेशकों में न्यास, व्यक्ति, स्टार्ट अप और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के पारिवारिक सदस्य भी शामिल हो सकते हैं. इन्हें आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56..2..सात-बी के तहत 25 करोड़ रुपये की सीमा से अधिक निवेश पर एंजल कर से छूट मिल सकती है. वर्तमान में सरकार की ओर से 25 करोड़ रुपये तक के निवेश पर स्टार्ट अप को एंजल कर से पूरी तरह रियायत दी गई है.
आयकर कानून की धारा 56..दो..सातबी में यह प्रावधान है कि किसी भी स्टार्ट अप द्वारा उसके उचित बाजार मूल्य से अधिक जो भी राशि जुटाई जायेगी उसे उनकी अन्य स्रोतों से हुई आय माना जायेगा और ऐसी आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है.
आयकर कानून में यह धारा 2012 में जोड़ी गई थी. इसे इस निवेश सुविधा के दुरुपयोग को रोकने के लिये लाया गया. इसे एंजल कर के रूप में जाना गया. इससे स्टार्ट अप उद्यमों में किये जाने वाले एंजल निवेशकों के निवेश पर असर के रूप में देखा गया.
एंजल निवेशक वह निवेशक होता है जो कि इस प्रतिस्पर्धी बाजार में नया उद्यम शुरू करने वालों के साथ उनके उद्यम में निवेश करता है. सामान्य तौर पर एक साल में 300 से 400 स्टार्टअप्स को एंजल कोष प्राप्त होता है. ये निवेशक आमतौर पर 15 लाख रुपये से लेकर चार करोड़ रुपये तक का निवेश करते हैं.
मान्यता प्राप्त निवेशकों को 25 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश पर एंजल कर से मिल सकती है छूट
सरकार ने स्टार्टअप में निवेश प्रवाह बढ़ाने के विचार से इस प्रावधान पर विचार किया है. इसके तहत मान्यता प्राप्त निवेशकों को परिभाषित किया जायेगा.
नई दिल्ली: मान्यता प्राप्त निवेशकों से स्टार्टअप्स को मिलने वाले कोष को एंजल कर से छूट दी जा सकती है. हालांकि, उन्हें इस मामले में कुछ नेटवर्थ मानदंडों को पूरा करना होगा. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
सरकार ने स्टार्टअप में निवेश प्रवाह बढ़ाने के विचार से इस प्रावधान पर विचार किया है. इसके तहत मान्यता प्राप्त निवेशकों को परिभाषित किया जायेगा. आंतरिक व्यापार एवं उद्योग संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) इसकी परिभाषा पर काम कर रहा है. बाद में इसे वित्त मंत्रालय को उसकी मंजूरी के लिये सौंपा जायेगा.
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अधिकारी ने कहा, "अधिकृत अथवा प्रमाणित निवेशक कितनी भी राशि स्टार्ट अप में निवेश कर सकते हैं, लेकिन हमें इसके लिये कोई मानदंड तय करने होंगे. यह काफी उदार होगा ताकि इस तरह के सभी लोग इसके दायरे में आ सकें लेकिन यह अति उदारवादी या अति कठोर भी नहीं होना चाहिये."
अधिकारी ने कहा, "कोई वास्तविक निवेशक हर साल कितना निवेश कर रहा है यह उसकी नेटवर्थ पर निर्भर करता है. उदाहरण के तौर पर यदि आप दो करोड़ रुपये निवेश करते हैं तो आपकी नेटवर्थ इसकी दस गुणा तक होनी चाहिये. निवेश और निवेश की नेटवर्थ के बीच कोई संबंध तो होना चाहिये. उनकी कोई आय होनी चाहिये."
इन अधिकृत निवेशकों में न्यास, व्यक्ति, स्टार्ट अप और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के पारिवारिक सदस्य भी शामिल हो सकते हैं. इन्हें आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56..2..सात-बी के तहत 25 करोड़ रुपये की सीमा से अधिक निवेश पर एंजल कर से छूट मिल सकती है. वर्तमान में सरकार की ओर से 25 करोड़ रुपये तक के निवेश पर स्टार्ट अप को एंजल कर से पूरी तरह रियायत दी गई है.
आयकर कानून की धारा 56..दो..सातबी में यह प्रावधान है कि किसी भी स्टार्ट अप द्वारा उसके उचित बाजार मूल्य से अधिक जो भी राशि जुटाई जायेगी उसे उनकी अन्य स्रोतों से हुई आय माना जायेगा और ऐसी आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है.
आयकर कानून में यह धारा 2012 में जोड़ी गई थी. इसे इस निवेश सुविधा के दुरुपयोग को रोकने के लिये लाया गया. इसे एंजल कर के रूप में जाना गया. इससे स्टार्ट अप उद्यमों में किये जाने वाले एंजल निवेशकों के निवेश पर असर के रूप में देखा गया.
एंजल निवेशक वह निवेशक होता है जो कि इस प्रतिस्पर्धी बाजार में नया उद्यम शुरू करने वालों के साथ उनके उद्यम में निवेश करता है. सामान्य तौर पर एक साल में 300 से 400 स्टार्टअप्स को एंजल कोष प्राप्त होता है. ये निवेशक आमतौर पर 15 लाख रुपये से लेकर चार करोड़ रुपये तक का निवेश करते हैं.
मान्यता प्राप्त निवेशकों को 25 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश पर एंजल कर से मिल सकती है छूट
नई दिल्ली: मान्यता प्राप्त निवेशकों से स्टार्टअप्स को मिलने वाले कोष को एंजल कर से छूट दी जा सकती है. हालांकि, उन्हें इस मामले में कुछ नेटवर्थ मानदंडों को पूरा करना होगा. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
सरकार ने स्टार्टअप में निवेश प्रवाह बढ़ाने के विचार से इस प्रावधान पर विचार किया है. इसके तहत मान्यता प्राप्त निवेशकों को परिभाषित किया जायेगा. आंतरिक व्यापार एवं उद्योग संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) इसकी परिभाषा पर काम कर रहा है. बाद में इसे वित्त मंत्रालय को उसकी मंजूरी के लिये सौंपा जायेगा.
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अधिकारी ने कहा, "अधिकृत अथवा प्रमाणित निवेशक कितनी भी राशि स्टार्ट अप में निवेश कर सकते हैं, लेकिन हमें इसके लिये कोई मानदंड तय करने होंगे. यह काफी उदार होगा ताकि इस तरह के सभी लोग इसके दायरे में आ सकें लेकिन यह अति उदारवादी या अति कठोर भी नहीं होना चाहिये."
अधिकारी ने कहा, "कोई वास्तविक निवेशक हर साल कितना निवेश कर रहा है यह उसकी नेटवर्थ पर निर्भर करता है. उदाहरण के तौर पर यदि आप दो करोड़ रुपये निवेश करते हैं तो आपकी नेटवर्थ इसकी दस गुणा तक होनी चाहिये. निवेश और निवेश की नेटवर्थ के बीच कोई संबंध तो होना चाहिये. उनकी कोई आय होनी चाहिये."
इन अधिकृत निवेशकों में न्यास, व्यक्ति, स्टार्ट अप और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के पारिवारिक सदस्य भी शामिल हो सकते हैं. इन्हें आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56..2..सात-बी के तहत 25 करोड़ रुपये की सीमा से अधिक निवेश पर एंजल कर से छूट मिल सकती है. वर्तमान में सरकार की ओर से 25 करोड़ रुपये तक के निवेश पर स्टार्ट अप को एंजल कर से पूरी तरह रियायत दी गई है.
आयकर कानून की धारा 56..दो..सातबी में यह प्रावधान है कि किसी भी स्टार्ट अप द्वारा उसके उचित बाजार मूल्य से अधिक जो भी राशि जुटाई जायेगी उसे उनकी अन्य स्रोतों से हुई आय माना जायेगा और ऐसी आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है.
आयकर कानून में यह धारा 2012 में जोड़ी गई थी. इसे इस निवेश सुविधा के दुरुपयोग को रोकने के लिये लाया गया. इसे एंजल कर के रूप में जाना गया. इससे स्टार्ट अप उद्यमों में किये जाने वाले एंजल निवेशकों के निवेश पर असर के रूप में देखा गया.
एंजल निवेशक वह निवेशक होता है जो कि इस प्रतिस्पर्धी बाजार में नया उद्यम शुरू करने वालों के साथ उनके उद्यम में निवेश करता है. सामान्य तौर पर एक साल में 300 से 400 स्टार्टअप्स को एंजल कोष प्राप्त होता है. ये निवेशक आमतौर पर 15 लाख रुपये से लेकर चार करोड़ रुपये तक का निवेश करते हैं.
Conclusion: