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लॉकडाउन: मशरूम कारोबार को करीब 600 करोड़ का झटका

देशभर में मशरूम जगत से जुड़े करीब तीन लाख लोगों पर कोरोना की मार पड़ी है. लॉकडाउन के बाद से अब तक भारत को मशरूम जगत में करीब 500 से 600 करोड़ का नुकसान हुआ है.

लॉकडाउन: मशरूम कारोबार को करीब 600 करोड़ का झटका
लॉकडाउन: मशरूम कारोबार को करीब 600 करोड़ का झटका
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Published : May 21, 2020, 12:44 PM IST

शिमला: मशरूम सिटी के नाम से विश्वभर में मशहूर सोलन जिला के कारोबार पर कोरोना के कहर से अरबों का चूना लगा है. सोलन शहर में स्थापित खुंभ अनुसंधान निदेशालय दुनिया भर के लिए मशरूम की नई किस्में सप्लाई करता है, लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से मशरूम की खेती पर बुरा असर पड़ा है.

ईटीवी भारत संवाददाता ने देश के इकलौते मशरूम निदेशालय में जाकर कोरोना के चलते मशरूम जगत को हुए नुकसान की पूरी जानकारी ली. इस दौरान खुंभ अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि मशरूम के किसानों को कोरोना लॉकडाउन के चलते उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं. लॉकडाउन में मशरूम उत्पादन के लिए कच्चा माल भी नहीं मिल पा रहा है. देशभर मे करीब तीन लाख किसान मशरूम की खेती करते हैं. देश में सालाना दो लाख टन मशरूम का उत्पादन किया जाता है.

लॉकडाउन: मशरूम कारोबार को करीब 600 करोड़ का झटका

ये भी पढ़ें- विमान यात्रा पर गाइडलाइन जारी, 14 साल से उपर के लोगों के लिए आरोग्य सेतु ऐप जरूरी

उन्होंने बताया कि देश में 74 प्रतिशत वाइट बटन मशरूम, 12 प्रतिशत ढींगरी मशरूम, 12 प्रतिशत पेडिस्ट्रा मशरूम और दो प्रतिशत मिल्की मशरूम और शिटाके मशरूम का उत्पादन होता है. डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि मशरूम में 90 प्रतिशत पानी पाया जाता है, जिसकी वजह से मशरूम ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाता है. खुंभ अनुसंधान निदेशालय रोजाना देशभर में स्थापित 37 केंद्रों के माध्यम से 27 राज्यों में किसानों मशरूम को बचाने के बारे में गाइडलाइन दे रहा है.

सालभर होता है मशरूम का उत्पादन

डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि देशभर में सीजनल और कंट्रोल एनवायरमेंट मशरूम का वर्षभर उत्पादन किया जाता है. सीजनल मशरूम का उत्पादन उत्तरी भारत में ज्यादा किया जाता है. इस मशरूम का उत्पादन अक्तूबर से लेकर फरवरी तक किया जाता है और इसे देश के करीब 60 प्रतिशत किसान इस मशरूम का उत्पादन करते हैं. लॉकडाउन का सीजनल उत्पादकों पर खासा असर नहीं पड़ा है, लेकिन कंट्रोल एनवायरमेंट मशरूम की खेती करने वाले उड़ीसा, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ढींगरी मशरूम पर खासा असर पड़ा है.

नहीं मिल रहे उचित दाम

लॉकडाउन के कारण मार्च में बिकने वाला मशरुम इस बार 50 प्रतिशत ही बिक पाया है, जिसका रेट भी किसानों को इस बार आधा मिला है. भारत में 30 प्रतिशत मशरूम की उत्पादकता का नुकसान हुआ है, जिसका आंकलन अभी तक 500 से 600 करोड़ का लगाया गया है. ज्यादातर असर लेबर और कच्चा माल न होने से मशरूम की खेती पर फर्क पड़ा है.

चाइना से भारत का मुकाबला

डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि मशरूम की खेती के मामले में विश्वभर में चाईना सबसे आगे है. मशरूम के क्षेत्र में चीन ही भारत का प्रतियोगी है. इसे देखते हुए आने वाले समय के लिए भारत के मशरूम किसान और ग्रोवर्स ने केंद्र सरकार को इस बारे में अवगत कराया है कि चाईना से आने वाले मशरूम पर अधिक इम्पोर्ट ड्यूटी लगाई जाए, ताकि भारत की मशरूम को और अच्छा दाम मिल सके. डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि चाइना में एक आदमी सालाना 25 किलो और भारत में 100 ग्राम मशरूम सालाना खाता है.

मशरूम को बचाने के लिए जारी गाइडलाइन

1. ढींगरी मशरूम:- ढींगरी मशरूम को निकालकर एक डिब्बे में रख लें, 5-6 महीनों तक मशरूम खराब नहीं होगा.

2. वाइट बटन मशरूम:- इस मशरूम को काटकर सुखाएं और इसका आचार बनायें.

ये दो मशरूम देश में अधिक मात्रा में उगाये जाते है इसी तरह से ही अन्य मशरूम के बारे में खुम्भ अनुसंधान निदेशालय देशभर में स्थापित 37 केंद्रों के माध्यम से सभी राज्यों की अपनी भाषाओं में किसानों को मशरूम को सुरक्षित रखने के बारे में तरीके बता रहे हैं.

शिमला: मशरूम सिटी के नाम से विश्वभर में मशहूर सोलन जिला के कारोबार पर कोरोना के कहर से अरबों का चूना लगा है. सोलन शहर में स्थापित खुंभ अनुसंधान निदेशालय दुनिया भर के लिए मशरूम की नई किस्में सप्लाई करता है, लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से मशरूम की खेती पर बुरा असर पड़ा है.

ईटीवी भारत संवाददाता ने देश के इकलौते मशरूम निदेशालय में जाकर कोरोना के चलते मशरूम जगत को हुए नुकसान की पूरी जानकारी ली. इस दौरान खुंभ अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि मशरूम के किसानों को कोरोना लॉकडाउन के चलते उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं. लॉकडाउन में मशरूम उत्पादन के लिए कच्चा माल भी नहीं मिल पा रहा है. देशभर मे करीब तीन लाख किसान मशरूम की खेती करते हैं. देश में सालाना दो लाख टन मशरूम का उत्पादन किया जाता है.

लॉकडाउन: मशरूम कारोबार को करीब 600 करोड़ का झटका

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उन्होंने बताया कि देश में 74 प्रतिशत वाइट बटन मशरूम, 12 प्रतिशत ढींगरी मशरूम, 12 प्रतिशत पेडिस्ट्रा मशरूम और दो प्रतिशत मिल्की मशरूम और शिटाके मशरूम का उत्पादन होता है. डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि मशरूम में 90 प्रतिशत पानी पाया जाता है, जिसकी वजह से मशरूम ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाता है. खुंभ अनुसंधान निदेशालय रोजाना देशभर में स्थापित 37 केंद्रों के माध्यम से 27 राज्यों में किसानों मशरूम को बचाने के बारे में गाइडलाइन दे रहा है.

सालभर होता है मशरूम का उत्पादन

डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि देशभर में सीजनल और कंट्रोल एनवायरमेंट मशरूम का वर्षभर उत्पादन किया जाता है. सीजनल मशरूम का उत्पादन उत्तरी भारत में ज्यादा किया जाता है. इस मशरूम का उत्पादन अक्तूबर से लेकर फरवरी तक किया जाता है और इसे देश के करीब 60 प्रतिशत किसान इस मशरूम का उत्पादन करते हैं. लॉकडाउन का सीजनल उत्पादकों पर खासा असर नहीं पड़ा है, लेकिन कंट्रोल एनवायरमेंट मशरूम की खेती करने वाले उड़ीसा, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ढींगरी मशरूम पर खासा असर पड़ा है.

नहीं मिल रहे उचित दाम

लॉकडाउन के कारण मार्च में बिकने वाला मशरुम इस बार 50 प्रतिशत ही बिक पाया है, जिसका रेट भी किसानों को इस बार आधा मिला है. भारत में 30 प्रतिशत मशरूम की उत्पादकता का नुकसान हुआ है, जिसका आंकलन अभी तक 500 से 600 करोड़ का लगाया गया है. ज्यादातर असर लेबर और कच्चा माल न होने से मशरूम की खेती पर फर्क पड़ा है.

चाइना से भारत का मुकाबला

डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि मशरूम की खेती के मामले में विश्वभर में चाईना सबसे आगे है. मशरूम के क्षेत्र में चीन ही भारत का प्रतियोगी है. इसे देखते हुए आने वाले समय के लिए भारत के मशरूम किसान और ग्रोवर्स ने केंद्र सरकार को इस बारे में अवगत कराया है कि चाईना से आने वाले मशरूम पर अधिक इम्पोर्ट ड्यूटी लगाई जाए, ताकि भारत की मशरूम को और अच्छा दाम मिल सके. डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि चाइना में एक आदमी सालाना 25 किलो और भारत में 100 ग्राम मशरूम सालाना खाता है.

मशरूम को बचाने के लिए जारी गाइडलाइन

1. ढींगरी मशरूम:- ढींगरी मशरूम को निकालकर एक डिब्बे में रख लें, 5-6 महीनों तक मशरूम खराब नहीं होगा.

2. वाइट बटन मशरूम:- इस मशरूम को काटकर सुखाएं और इसका आचार बनायें.

ये दो मशरूम देश में अधिक मात्रा में उगाये जाते है इसी तरह से ही अन्य मशरूम के बारे में खुम्भ अनुसंधान निदेशालय देशभर में स्थापित 37 केंद्रों के माध्यम से सभी राज्यों की अपनी भाषाओं में किसानों को मशरूम को सुरक्षित रखने के बारे में तरीके बता रहे हैं.

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