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जीएसटी रिफंड की मंजूरी, प्रसंस्करण के लिए अगस्त तक एकल व्यवस्था आने की संभावना

मौजूदा व्यवस्था में केंद्र और राज्य कर अधिकारियों दोनों से रिफंड की मंजूरी की जरूरत होती है लेकिन अगस्त में इस व्यवस्था में बदलाव हो सकता है. इसके बाद दो की जगह एक ही प्राधिकरण जीएसटी रिफंड की मंजूरी और उसके प्रसंस्करण का काम करेगा.

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Published : May 26, 2019, 1:44 PM IST

जीएसटी रिफंड की मंजूरी, प्रसंस्करण के लिए अगस्त तक एकल व्यवस्था आने की संभावना

नई दिल्ली: निर्यातकों के लिए जीएसटी प्रक्रिया सरल बनाने और उसमें तेजी लाने के लिए वित्त मंत्रालय कदम उठाने की तैयारी में है. इसके तहत जीएसटी रिफंड की मंजूरी और प्रसंस्करण दोनों काम एक ही व्यवस्था या प्राधिकरण करेगा. एक अधिकारी ने यह बात कही.

मौजूदा व्यवस्था में केंद्र और राज्य कर अधिकारियों दोनों से रिफंड की मंजूरी की जरूरत होती है लेकिन अगस्त में इस व्यवस्था में बदलाव हो सकता है. इसके बाद दो की जगह एक ही प्राधिकरण जीएसटी रिफंड की मंजूरी और उसके प्रसंस्करण का काम करेगा. राजस्व विभा

ये भी पढ़ें: संगठित क्षेत्र में मार्च में 11.38 लाख नौकरियों का सृजनः ईएसआईसी आंकड़े

वर्तमान में, करदाता के रिफंड के दावा करने पर केंद्रीय कर अधिकारी 50 प्रतिशत दावे का भुगतान कर देता है और बाकी बची राशि का भुगतान राज्य के कर अधिकारियों की जांच-पड़ताल के बाद किया जाता है. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिफंड के लिए राज्य कर अधिकारियों के पास दावा करने पर भी इसी व्यवस्था का पालन किया जाता है.

जिसकी वजह से पूरा रिफंड मिलने में काफी समय लगता है और निर्यातकों के सामने नकदी का संकट खड़ा हो जाता है. रिफंड प्रक्रिया में होने वाली इस देरी की समस्या को दूर करने के लिए ही एकल व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है. 'एकल प्राधिकरण व्यवस्था' के तहत, करदाता के राज्य या केंद्र के कर अधिकारी के समक्ष रिफंड का दावा करने के बाद अधिकारी दावे की जांच, मूल्याकंन करके पूरे रिफंड (केंद्र और राज्य जीएसटी दोनों की हिस्सेदारी) को मंजूरी दे देगा.

बाद में आंतरिक खाता समायोजन के माध्यम से दोनों कर प्राधिकरण बाकी बची राशि को समायोजित/ व्यवस्थित कर लेंगे.

नई दिल्ली: निर्यातकों के लिए जीएसटी प्रक्रिया सरल बनाने और उसमें तेजी लाने के लिए वित्त मंत्रालय कदम उठाने की तैयारी में है. इसके तहत जीएसटी रिफंड की मंजूरी और प्रसंस्करण दोनों काम एक ही व्यवस्था या प्राधिकरण करेगा. एक अधिकारी ने यह बात कही.

मौजूदा व्यवस्था में केंद्र और राज्य कर अधिकारियों दोनों से रिफंड की मंजूरी की जरूरत होती है लेकिन अगस्त में इस व्यवस्था में बदलाव हो सकता है. इसके बाद दो की जगह एक ही प्राधिकरण जीएसटी रिफंड की मंजूरी और उसके प्रसंस्करण का काम करेगा. राजस्व विभा

ये भी पढ़ें: संगठित क्षेत्र में मार्च में 11.38 लाख नौकरियों का सृजनः ईएसआईसी आंकड़े

वर्तमान में, करदाता के रिफंड के दावा करने पर केंद्रीय कर अधिकारी 50 प्रतिशत दावे का भुगतान कर देता है और बाकी बची राशि का भुगतान राज्य के कर अधिकारियों की जांच-पड़ताल के बाद किया जाता है. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिफंड के लिए राज्य कर अधिकारियों के पास दावा करने पर भी इसी व्यवस्था का पालन किया जाता है.

जिसकी वजह से पूरा रिफंड मिलने में काफी समय लगता है और निर्यातकों के सामने नकदी का संकट खड़ा हो जाता है. रिफंड प्रक्रिया में होने वाली इस देरी की समस्या को दूर करने के लिए ही एकल व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है. 'एकल प्राधिकरण व्यवस्था' के तहत, करदाता के राज्य या केंद्र के कर अधिकारी के समक्ष रिफंड का दावा करने के बाद अधिकारी दावे की जांच, मूल्याकंन करके पूरे रिफंड (केंद्र और राज्य जीएसटी दोनों की हिस्सेदारी) को मंजूरी दे देगा.

बाद में आंतरिक खाता समायोजन के माध्यम से दोनों कर प्राधिकरण बाकी बची राशि को समायोजित/ व्यवस्थित कर लेंगे.

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नई दिल्ली: निर्यातकों के लिए जीएसटी प्रक्रिया सरल बनाने और उसमें तेजी लाने के लिए वित्त मंत्रालय कदम उठाने की तैयारी में है. इसके तहत जीएसटी रिफंड की मंजूरी और प्रसंस्करण दोनों काम एक ही व्यवस्था या प्राधिकरण करेगा. एक अधिकारी ने यह बात कही.

मौजूदा व्यवस्था में केंद्र और राज्य कर अधिकारियों दोनों से रिफंड की मंजूरी की जरूरत होती है लेकिन अगस्त में इस व्यवस्था में बदलाव हो सकता है. इसके बाद दो की जगह एक ही प्राधिकरण जीएसटी रिफंड की मंजूरी और उसके प्रसंस्करण का काम करेगा. राजस्व विभाग इस व्यवस्था में काम कर रहा है. इसके अनुसार, करदाता को दावा मंजूर होने के बाद कर अधिकारी से पूरा रिफंड मिल जाएगा.

वर्तमान में, करदाता के रिफंड के दावा करने पर केंद्रीय कर अधिकारी 50 प्रतिशत दावे का भुगतान कर देता है और बाकी बची राशि का भुगतान राज्य के कर अधिकारियों की जांच-पड़ताल के बाद किया जाता है. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिफंड के लिए राज्य कर अधिकारियों के पास दावा करने पर भी इसी व्यवस्था का पालन किया जाता है.

जिसकी वजह से पूरा रिफंड मिलने में काफी समय लगता है और निर्यातकों के सामने नकदी का संकट खड़ा हो जाता है. रिफंड प्रक्रिया में होने वाली इस देरी की समस्या को दूर करने के लिए ही एकल व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है. 'एकल प्राधिकरण व्यवस्था' के तहत, करदाता के राज्य या केंद्र के कर अधिकारी के समक्ष रिफंड का दावा करने के बाद अधिकारी दावे की जांच, मूल्याकंन करके पूरे रिफंड (केंद्र और राज्य जीएसटी दोनों की हिस्सेदारी) को मंजूरी दे देगा.

बाद में आंतरिक खाता समायोजन के माध्यम से दोनों कर प्राधिकरण बाकी बची राशि को समायोजित/ व्यवस्थित कर लेंगे.

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