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दूसरे देशों के लिये के दरवाजे बंद करने का फायदा नहीं: मुख्य आर्थिक सलाहकार

एमसीसीआई द्वारा आयोजित एक वेबिनार (इंटरनेट के जरिये होने वाला सेमिनार) को संबोधित करते हुए सुब्रमणियम ने कहा, "भारत को अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना है और अन्य से खुद को अलग करने से मदद नहीं मिलने वाली."

दूसरे देशों के लिये के दरवाजे बंद करने का फायदा नहीं: मुख्य आर्थिक सलाहकार
दूसरे देशों के लिये के दरवाजे बंद करने का फायदा नहीं: मुख्य आर्थिक सलाहकार
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Published : Jun 24, 2020, 3:23 PM IST

कोलकाता: भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव तथा वहां से आने वाले सामान पर पाबंदी लगाने की चर्चा के बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम ने मंगलवार को कहा कि अन्य देशों के लिये दरवाजे बंद करने से भारत को कोई फायदा नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि भारत ने आयात पर रोक लगाने और घरेलू उत्पादन पर जोर की नीति का अनुसरण 1991 तक किया और उसके बाद इस रुख को महत्व नहीं दिया गया.

एमसीसीआई द्वारा आयोजित एक वेबिनार (इंटरनेट के जरिये होने वाला सेमिनार) को संबोधित करते हुए सुब्रमणियम ने कहा, "भारत को अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना है और अन्य से खुद को अलग करने से मदद नहीं मिलने वाली."

हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि, "उपरोक्त बाद कहने के बावजू इसके कुछ अपवाद भी हैं. मैं यह नहीं कहूंगा कि जो देश सीमा पर समस्या पैदा कर रहे हैं, उनके साथ कारोबार जारी रहना चाहिए."

ये भी पढ़ें: क्या बॉयकॉट चाइना अभियान में साथ आएंगे टाटा और अंबानी, कारोबारी संगठन ने मांगा है सहयोग

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने यह बात ऐसे समय कही है कि जब भारत-चीन सीमा पर हिंसक झड़प के बाद विभिन्न तबकों से चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की मांग तेज हो रही है. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये। सुब्रमणियम के अनुसार अभी यह साफ नहीं है कि अर्थव्यवस्था में मांग कब से जोर पकड़ेगी.

उन्होंने कहा, "मौजूदा अनिश्चिता शुद्ध रूप से स्वास्थ्य कारणों से है और यह संभवत: तभी दूर होगी जब कोविड-19 के इलाज के लिये टीका उपलब्ध होगा."

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता: भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव तथा वहां से आने वाले सामान पर पाबंदी लगाने की चर्चा के बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम ने मंगलवार को कहा कि अन्य देशों के लिये दरवाजे बंद करने से भारत को कोई फायदा नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि भारत ने आयात पर रोक लगाने और घरेलू उत्पादन पर जोर की नीति का अनुसरण 1991 तक किया और उसके बाद इस रुख को महत्व नहीं दिया गया.

एमसीसीआई द्वारा आयोजित एक वेबिनार (इंटरनेट के जरिये होने वाला सेमिनार) को संबोधित करते हुए सुब्रमणियम ने कहा, "भारत को अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना है और अन्य से खुद को अलग करने से मदद नहीं मिलने वाली."

हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि, "उपरोक्त बाद कहने के बावजू इसके कुछ अपवाद भी हैं. मैं यह नहीं कहूंगा कि जो देश सीमा पर समस्या पैदा कर रहे हैं, उनके साथ कारोबार जारी रहना चाहिए."

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मुख्य आर्थिक सलाहकार ने यह बात ऐसे समय कही है कि जब भारत-चीन सीमा पर हिंसक झड़प के बाद विभिन्न तबकों से चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की मांग तेज हो रही है. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये। सुब्रमणियम के अनुसार अभी यह साफ नहीं है कि अर्थव्यवस्था में मांग कब से जोर पकड़ेगी.

उन्होंने कहा, "मौजूदा अनिश्चिता शुद्ध रूप से स्वास्थ्य कारणों से है और यह संभवत: तभी दूर होगी जब कोविड-19 के इलाज के लिये टीका उपलब्ध होगा."

(पीटीआई-भाषा)

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