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अगले वित्त वर्ष में 11 प्रतिशत की वृद्धि से निजी क्षेत्र का कारोबारी भरोसा लौटेगा : सुब्रमण्यन - आम बजट

संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2020-21 में अनुमान लगाया गया है कि 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहेगी. हालांकि, चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है.

अगले वित्त वर्ष में 11 प्रतिशत की वृद्धि से निजी क्षेत्र का कारोबारी भरोसा लौटेगा : सुब्रमण्यन
अगले वित्त वर्ष में 11 प्रतिशत की वृद्धि से निजी क्षेत्र का कारोबारी भरोसा लौटेगा : सुब्रमण्यन
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Published : Jan 30, 2021, 7:09 PM IST

नई दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यन ने कहा है कि अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 'वी-आकार' की 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी. इससे निजी उपक्रमों का कारोबारी विश्वास (एनिमल स्पिरिट्स) लौटेगा.

संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2020-21 में अनुमान लगाया गया है कि 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहेगी. हालांकि, चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है.

निजी निवेश में 'एनिमल स्पिरिट्स' के पुनरोद्धार के बारे में पूछे जाने पर सुब्रमण्यन ने कहा, 'मुझे लगता है कि अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर अनुमान के अनुरूप 11 प्रतिशत रहेगी. ऐसे में जब अवसर दिखाई देंगे, तो निजी क्षेत्र आगे आएगा.'

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स ने सबसे पहले 'एनिमल स्पिरिट्स' वाक्यांश का इस्तेमाल किया था. इसका आशय निवेशकों में निवेश के लिए पैदा हुए भरोसे से है.

सुब्रमण्यन ने निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रति-चक्रीय उपायों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में कारोबारी चक्र होता है. कभी यह मजबूत होता है और कभी कमजोर.

ऐसे में जब अर्थव्यवस्था काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही होती है और निजी क्षेत्र भी अच्छा प्रदर्शन करता है, तो उस समय सरकार के पास अपनी राजकोषीय स्थिति को मजबूत करने का अवसर होता है.

सुब्रमण्यन ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, 'जब अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा नहीं होता, निजी क्षेत्र भी अच्छा प्रदर्शन नहीं करता, तो ऐसे में उपभोग और निवेश के मोर्चे पर जो खालीपन या कमी रहती है, तो सरकार आगे आती है और इसकी भरपाई करती है.'

उन्होंने कहा, 'ऐसे समय ज्यादातर घरेलू कंपनियां निवेश से कतराती हैं और अपने पिछले वर्षों के कर्ज को कम करती हैं. ऐसे में पूंजी सृजन की जिम्मेदारी सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के कंधों पर आ जाती है. महामारी के दौरान भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने पूंजीगत व्यय किया.'

ये भी पढ़ें : बजट 2021 में रेलवे को मिलेगी क्या सौगात?

निजी क्षेत्र से नया निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार ने सितंबर, 2019 में कॉरपोरेट कर की दरों को घटाकर दुनिया में सबसे कम कर दिया था. 28 साल में सबसे बड़ी कटौती करते हुए कॉरपोरेट कर की दरों में 10 प्रतिशत अंक तक की कटौती की गई थी.

इससे मौजूदा कंपनियों पर मूल कॉरपोरेट कर की दर 30 प्रतिशत से घटकर 22 प्रतिशत रह गई है. वहीं एक अक्टूबर, 2019 के बाद गठित और 31 मार्च, 2023 से पहले परिचालन शुरू करने वाली नयी विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर 25 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत रह गई है.

अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढांचा खर्च की भूमिका का जिक्र करते हुए सीईए ने कहा कि इन उपायों से अर्थव्यवस्था में मांग को प्रोत्साहन मिलता है. उन्होंने कहा, यही वजह है कि सरकार विशेषरूप से बुनियादी ढांचा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय पर जोर दे रही है.

सुब्रमण्यन ने कहा, 'जब बुनियादी ढांचे पर खर्च होता है, तो इससे निजी निवेश आता है. यही वजह है, ऐसा कहा जाता है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रत्येक एक रुपये के निवेश पर निजी क्षेत्र से भी एक रुपये का निवेश आता है.'

सरकार राष्ट्रीय संरचना पाइपलाइन पर ध्यान दे रही है. इसके तहत अगले पांच साल में 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि सरकार का पूंजीगत व्यय अक्टूबर में माह-दर-माह आधार पर 60 प्रतिशत बढ़ा है.

नई दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यन ने कहा है कि अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 'वी-आकार' की 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी. इससे निजी उपक्रमों का कारोबारी विश्वास (एनिमल स्पिरिट्स) लौटेगा.

संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2020-21 में अनुमान लगाया गया है कि 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहेगी. हालांकि, चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है.

निजी निवेश में 'एनिमल स्पिरिट्स' के पुनरोद्धार के बारे में पूछे जाने पर सुब्रमण्यन ने कहा, 'मुझे लगता है कि अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर अनुमान के अनुरूप 11 प्रतिशत रहेगी. ऐसे में जब अवसर दिखाई देंगे, तो निजी क्षेत्र आगे आएगा.'

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स ने सबसे पहले 'एनिमल स्पिरिट्स' वाक्यांश का इस्तेमाल किया था. इसका आशय निवेशकों में निवेश के लिए पैदा हुए भरोसे से है.

सुब्रमण्यन ने निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रति-चक्रीय उपायों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में कारोबारी चक्र होता है. कभी यह मजबूत होता है और कभी कमजोर.

ऐसे में जब अर्थव्यवस्था काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही होती है और निजी क्षेत्र भी अच्छा प्रदर्शन करता है, तो उस समय सरकार के पास अपनी राजकोषीय स्थिति को मजबूत करने का अवसर होता है.

सुब्रमण्यन ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, 'जब अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा नहीं होता, निजी क्षेत्र भी अच्छा प्रदर्शन नहीं करता, तो ऐसे में उपभोग और निवेश के मोर्चे पर जो खालीपन या कमी रहती है, तो सरकार आगे आती है और इसकी भरपाई करती है.'

उन्होंने कहा, 'ऐसे समय ज्यादातर घरेलू कंपनियां निवेश से कतराती हैं और अपने पिछले वर्षों के कर्ज को कम करती हैं. ऐसे में पूंजी सृजन की जिम्मेदारी सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के कंधों पर आ जाती है. महामारी के दौरान भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने पूंजीगत व्यय किया.'

ये भी पढ़ें : बजट 2021 में रेलवे को मिलेगी क्या सौगात?

निजी क्षेत्र से नया निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार ने सितंबर, 2019 में कॉरपोरेट कर की दरों को घटाकर दुनिया में सबसे कम कर दिया था. 28 साल में सबसे बड़ी कटौती करते हुए कॉरपोरेट कर की दरों में 10 प्रतिशत अंक तक की कटौती की गई थी.

इससे मौजूदा कंपनियों पर मूल कॉरपोरेट कर की दर 30 प्रतिशत से घटकर 22 प्रतिशत रह गई है. वहीं एक अक्टूबर, 2019 के बाद गठित और 31 मार्च, 2023 से पहले परिचालन शुरू करने वाली नयी विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर 25 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत रह गई है.

अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढांचा खर्च की भूमिका का जिक्र करते हुए सीईए ने कहा कि इन उपायों से अर्थव्यवस्था में मांग को प्रोत्साहन मिलता है. उन्होंने कहा, यही वजह है कि सरकार विशेषरूप से बुनियादी ढांचा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय पर जोर दे रही है.

सुब्रमण्यन ने कहा, 'जब बुनियादी ढांचे पर खर्च होता है, तो इससे निजी निवेश आता है. यही वजह है, ऐसा कहा जाता है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रत्येक एक रुपये के निवेश पर निजी क्षेत्र से भी एक रुपये का निवेश आता है.'

सरकार राष्ट्रीय संरचना पाइपलाइन पर ध्यान दे रही है. इसके तहत अगले पांच साल में 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि सरकार का पूंजीगत व्यय अक्टूबर में माह-दर-माह आधार पर 60 प्रतिशत बढ़ा है.

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