नई दिल्ली: उद्योग मंडल एसोचैम ने सोमवार को कहा कि अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति के आकलन, तत्काल मांग और निवेश को गति देने की जरूरत को देखते हुए रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.50 प्रतिशत या उससे अधिक की कटौती कर सकता है.
रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बुधवार को पेश करेगा। इसके लिये मौद्रिक नीति समिति की बैठक सोमवार को शुरू हो गई.
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उद्योग मंडल ने एक बयान में कहा, "विभिन्न पक्षों के साथ व्यापक विचार-विमर्श और गहराई से आकलन करने के बाद यह पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिये दोहरी रणनीति के तहत उपभोक्ता मांग बढ़ाने के साथ निवेश को गति देने की जरूरत है और इसके लिये कर्ज की लागत में कमी लानी होगी."
उसने कहा कि नीतिगत दर में कटौती के लिये यह उपयुक्त समय है क्योंकि महंगाई दर केंद्रीय बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे है और कर्ज का उठाव कम बना हुआ है. उल्लेखनीय है कि जून में खुदरा मुद्रास्फीति 3.18 प्रतिशत रही है.
इसमें कहा गया है, की ऐसी संभावना है कि आरबीआई और सरकार दोनों खासकर एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी), वाहन, आवास और रीयल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में और नकदी डालने के लिये संयुक्त रूप से एक मॉडल पर काम कर सकते हैं.
एसोचैम ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक पहले ही रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की कटौती कर चुका है लेकिन बैंकों ने इसका आधे से भी कम लाभ ग्राहकों को दिया है. एसोचैम ने कहा, उम्मीद की जानी चाहिए कि बैंक अब मौद्रिक नीति में कटौती का लाभ ग्राहकों को देने के लिये प्रेरित होंगे.
इस बीच, सिंगापुर के प्रमुख बैंक और वित्तीय संस्थान डीबीएस ने एक शोध रिपोर्ट में कहा कि आरबीआई द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है. उसने कहा कि मुद्रास्फीति तय लक्ष्य से नीचे बनी हुई है. वाहन, सीमेंट की बिक्री में कमी के बीच अर्थव्यवस्था में गतिविधियों में नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक यह कदम उठा सकता है.