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बजट 2019: उद्योग जगत की वित्त मंत्री से मांग, कॉरपोरेट कर में करें कटौती

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मंगलवार को बजट पूर्व बैठक में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने बजट के बारे में अपने सुझाव पेश किए. सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पांच जुलाई को पेश करेंगी. सीतारमण अभी विभिन्न अंशधारको के साथ बजट पूर्व विचार विमर्श कर रही हैं.

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Published : Jun 12, 2019, 3:32 PM IST

बजट 2019: उद्योग जगत की वित्त मंत्री से मांग, कॉरपोरेट कर में करें कटौती

नई दिल्ली: भारतीय उद्योग ने मंगलवार को वित्त मंत्रालय को सुझाव दिया है कि आगामी बजट में कॉरपोरेट कर की दर को कम किया जाए , लाभांश वितरण कर की दर को 20 से घटाकर 10 प्रतिशत किया जाए और न्यूनतम वैकल्पिक कर को समाप्त किया जाए ताकि अर्थव्यवस्था में फैल रही नरमी से निपटा जा सके.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मंगलवार को बजट पूर्व बैठक में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने बजट के बारे में अपने सुझाव पेश किए. सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पांच जुलाई को पेश करेंगी. सीतारमण अभी विभिन्न अंशधारको के साथ बजट पूर्व विचार विमर्श कर रही हैं.

बैठक में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 18 प्रतिशत करने और लाभांश वितरण कर को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने की मांग की है.

ये भी पढे़ं- रियलमी के एक साल में 70 लाख उपभोक्ता बने

उद्योग मंडल का कहना है कि कॉरपोरेट कर की दर को घटाने के साथ सभी कर छूटों को समाप्त करने से सरकारी खजाने को राजस्व का किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. सीआईआई के अध्यक्ष किर्लोस्कर ने पीटीआई भाषा से कहा कि हम कर में कटौती चाहते हैं , साथ ही छूटों को समाप्ति चाहते हैं. हम काफी सरल कर संहिता के पक्ष में हैं.

वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 से कारोबार सुगमता के लिए लगातार कई कदम उठाए हैं और राजकाज में प्रौद्योगिकी का बड़ा पैमाने पर समावेश किया है. उन्होंने उद्योग जगत से युवा आबादी का लाभ उठाने के लिए श्रम बल का विस्तार करने को कहा है.

एसोचैम के अध्यक्ष बी के गोयनका ने नए निवेश पर पहले साल शत प्रतिशत मूल्यह्वास की छूट दिए जाने की मांग की. उन्होंने ने जीएसटी को सरल करने के लिए सिर्फ दो दरें (8 व 16 प्रतिशत) रखे जाने का सुझाव दिया है.

फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने मांग की है कि 20 लाख रुपये से ऊपर की आय वालों पर ही सिर्फ 30 प्रतिशत कर की दरें लागू होनी चाहिए. इसने कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 25 फीसदी करने की भी मांग की है.

नरेंद्र मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में कॉरपोरेट कर की दर को धीरे - धीरे घटाकर 30 से 25 प्रतिशत पर लाने का प्रस्ताव किया था. सरकार 250 करोड़ रुपये से कम के कारोबार वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर पहले ही 25 प्रतिशत कर चुकी है.

नई दिल्ली: भारतीय उद्योग ने मंगलवार को वित्त मंत्रालय को सुझाव दिया है कि आगामी बजट में कॉरपोरेट कर की दर को कम किया जाए , लाभांश वितरण कर की दर को 20 से घटाकर 10 प्रतिशत किया जाए और न्यूनतम वैकल्पिक कर को समाप्त किया जाए ताकि अर्थव्यवस्था में फैल रही नरमी से निपटा जा सके.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मंगलवार को बजट पूर्व बैठक में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने बजट के बारे में अपने सुझाव पेश किए. सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पांच जुलाई को पेश करेंगी. सीतारमण अभी विभिन्न अंशधारको के साथ बजट पूर्व विचार विमर्श कर रही हैं.

बैठक में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 18 प्रतिशत करने और लाभांश वितरण कर को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने की मांग की है.

ये भी पढे़ं- रियलमी के एक साल में 70 लाख उपभोक्ता बने

उद्योग मंडल का कहना है कि कॉरपोरेट कर की दर को घटाने के साथ सभी कर छूटों को समाप्त करने से सरकारी खजाने को राजस्व का किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. सीआईआई के अध्यक्ष किर्लोस्कर ने पीटीआई भाषा से कहा कि हम कर में कटौती चाहते हैं , साथ ही छूटों को समाप्ति चाहते हैं. हम काफी सरल कर संहिता के पक्ष में हैं.

वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 से कारोबार सुगमता के लिए लगातार कई कदम उठाए हैं और राजकाज में प्रौद्योगिकी का बड़ा पैमाने पर समावेश किया है. उन्होंने उद्योग जगत से युवा आबादी का लाभ उठाने के लिए श्रम बल का विस्तार करने को कहा है.

एसोचैम के अध्यक्ष बी के गोयनका ने नए निवेश पर पहले साल शत प्रतिशत मूल्यह्वास की छूट दिए जाने की मांग की. उन्होंने ने जीएसटी को सरल करने के लिए सिर्फ दो दरें (8 व 16 प्रतिशत) रखे जाने का सुझाव दिया है.

फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने मांग की है कि 20 लाख रुपये से ऊपर की आय वालों पर ही सिर्फ 30 प्रतिशत कर की दरें लागू होनी चाहिए. इसने कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 25 फीसदी करने की भी मांग की है.

नरेंद्र मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में कॉरपोरेट कर की दर को धीरे - धीरे घटाकर 30 से 25 प्रतिशत पर लाने का प्रस्ताव किया था. सरकार 250 करोड़ रुपये से कम के कारोबार वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर पहले ही 25 प्रतिशत कर चुकी है.

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