नई दिल्ली: रीयल एस्टेट बाजार की ग्राहकी धारणा दर्शाने वाला सूचकांक गिरकर उस स्तर तक पहुंच गया जो नोटबंदी के समय था. सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के रीयल एस्टेट क्षेत्र में मांग बढ़ाने के कई उपायों के बावजूद सूचकांक में अगले छह महीने धारणा नकारात्मक रहने का अंदेशा जताया गया है.
उद्योग मंडल फिक्की, रीयल एस्टेट कंपनियों के संगठन नारेडको और संपत्ति सलाहकार कंपनी नाइट फ्रैंक के 2019 की तीसरी तिमाही के रीयल एस्टेट सेंटीमेंट इंडेक्स में बाजार की मौजूदा धारणा का सूचकांक (करेंट सेंटीमेंट इंडेक्स) घटकर 42 अंक पर आ गया है. जबकि इससे पिछली दो तिमाहियों में यह क्रमश: 47 और 62 अंक था.
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वर्ष 2016 की आखिरी तिमाही में नोटबंदी के बाद और 2014 की पहली तिमाही में चुनाव से पहले यह सूचकांक 41 अंक पर था.
रीयल एस्टेट सेंटीमेंट इंडेक्स में शामिल बाजार की आगामी धारणा का सूचकांक (फ्यूचर सेंटीमेंट इंडेक्स) भी अपने सर्वकालिक निचले स्तर यानी 49 अंक पर आ गया.
रपट में कहा गया है, "यह साफ दिखाता है कि रीयल एस्टेट क्षेत्र बहुत दबाव में है."
सूचकांक का 50 अंक से ऊपर रहना बाजार की सकारात्मक और 50 से नीचे रहना नकारात्मक धारणा को दर्शाता है.
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि सरकार के कई कदम उठाने के बावजूद मांग कमजोर रहने से समीक्षावधि में रीयल एस्टेट के हितधारकों की मौजूदा धारणा का सूचकांक बाजार में नकारात्मकता को दर्शा रहा है. लेकिन यह पहली बार है जब हितधारकों के बीच अगले छह महीने के लिए भविष्य की बाजार धारणा भी चिंताजनक स्थिति में है.