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रिजर्व बैंक का एनबीएफसी की परिसंपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा करने से फिलहाल इनकार

आईएलएंडएफएस संकट के बाद से 12,000 से ज्यादा एनबीएफसी और उनकी आवास वित्त सहयोगी कंपनियों को पूंजी से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इन कंपनियों का ऋण बाजार के एक चौथाई हिस्से पर नियंत्रण है.

रिजर्व बैंक का एनबीएफसी की परिसंपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा करने से फिलहाल इनकार
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Published : Aug 19, 2019, 5:15 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 1:12 PM IST

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को इस बात को दोहराया कि किसी भी बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) को डूबने नहीं दिया जाएगा. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने बड़ी एनबीएफसी कंपनियों की परिसंपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा के बारे में आदेश देने से इन्कार किया है.

आईएलएंडएफएस संकट के बाद से 12,000 से ज्यादा एनबीएफसी और उनकी आवास वित्त सहयोगी कंपनियों को पूंजी से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इन कंपनियों का ऋण बाजार के एक चौथाई हिस्से पर नियंत्रण है.

उद्योग मंडल फिक्की के राष्ट्रीय बैंकिंग सम्मलेन के मौके पर दास ने अलग से संवाददाताओं के साथ बातचीत में बड़ी एनबीएफसी कंपनियों की परिसंपत्ति गुणवत्ता की जांच का आदेश देने से फिलहाल इनकार किया है.

उन्होंने कहा कि आरबीआई फिलहाल समीक्षा को लेकर कोई विचार नहीं कर रहा है, जैसी कि उसने 2016 के अंत और 2017 की शुरुआत में बैंकों की परिसंपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा की थी. इस समीक्षा में उसने 40 बड़े एनपीए खातों की पहचान की थी और बैंकों को इन्हें दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए भेजने को कहा गया.

ये भी पढ़ें: बैंकों के लिए कर्ज, जमा की ब्याज दरों को रेपो दर से जोड़ने का सही समय: दास

दास ने संवाददाताओं को बताया, "फिलहाल एनबीएफसी की परिंसपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा करने का कोई इरादा नहीं है लेकिन हम 500 एनबीएफसी और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) पर नजर रख रहे हैं. इसमें कामकाज, पूंजी पर्याप्तता, स्थिरता, पूंजी प्रवाह और निकासी सभी पहलुओं की निगरानी की जा रही है."

उन्होंने कहा कि आरबीआई बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के परस्पर संबंधों पर करीब से नजर रख रहा है. उन्होंने दोहराया कि नियामक शीर्ष 50 एनबीएफसी कंपनियों को डूबने नहीं देगा.

दास ने कहा, "हमारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि किसी भी बड़े एनबीएफसी को डूबने नहीं दिया जाएगा. आरबीआई का मकसद बैंकों और एनबीएफसी की पूंजी जरुरतों के लिए सामंजस्य बनाना है."

आरबीआई गवर्नर ने कहा, "हमारा प्रयास नियम और निगरानी को बेहतर स्तर पर रखना है ताकि एनबीएफसी को वित्तीय रूप से लचीली और मजबूत बनाया जा सके. हम वित्तीय स्थिरता को लघु , मध्यम और दीर्घकालिक अवधि में बनाए रखने के लिए कदम उठाने से गुरेज नहीं करेंगे."

आवास वित्त कंपनियों को लेकर दास ने कहा कि राष्ट्रीय आवास बैंक की ओर से पेश किए गए नियम एचएफसी के लिए जारी रहेंगे. आरबीआई कुछ नियमों की समीक्षा कर रही है. दास ने बताया कि आवास वित्त कंपनियों को रिजर्व बैंक के दायरे में लाना एक महत्वपूर्ण कदम है.

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को इस बात को दोहराया कि किसी भी बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) को डूबने नहीं दिया जाएगा. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने बड़ी एनबीएफसी कंपनियों की परिसंपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा के बारे में आदेश देने से इन्कार किया है.

आईएलएंडएफएस संकट के बाद से 12,000 से ज्यादा एनबीएफसी और उनकी आवास वित्त सहयोगी कंपनियों को पूंजी से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इन कंपनियों का ऋण बाजार के एक चौथाई हिस्से पर नियंत्रण है.

उद्योग मंडल फिक्की के राष्ट्रीय बैंकिंग सम्मलेन के मौके पर दास ने अलग से संवाददाताओं के साथ बातचीत में बड़ी एनबीएफसी कंपनियों की परिसंपत्ति गुणवत्ता की जांच का आदेश देने से फिलहाल इनकार किया है.

उन्होंने कहा कि आरबीआई फिलहाल समीक्षा को लेकर कोई विचार नहीं कर रहा है, जैसी कि उसने 2016 के अंत और 2017 की शुरुआत में बैंकों की परिसंपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा की थी. इस समीक्षा में उसने 40 बड़े एनपीए खातों की पहचान की थी और बैंकों को इन्हें दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए भेजने को कहा गया.

ये भी पढ़ें: बैंकों के लिए कर्ज, जमा की ब्याज दरों को रेपो दर से जोड़ने का सही समय: दास

दास ने संवाददाताओं को बताया, "फिलहाल एनबीएफसी की परिंसपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा करने का कोई इरादा नहीं है लेकिन हम 500 एनबीएफसी और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) पर नजर रख रहे हैं. इसमें कामकाज, पूंजी पर्याप्तता, स्थिरता, पूंजी प्रवाह और निकासी सभी पहलुओं की निगरानी की जा रही है."

उन्होंने कहा कि आरबीआई बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के परस्पर संबंधों पर करीब से नजर रख रहा है. उन्होंने दोहराया कि नियामक शीर्ष 50 एनबीएफसी कंपनियों को डूबने नहीं देगा.

दास ने कहा, "हमारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि किसी भी बड़े एनबीएफसी को डूबने नहीं दिया जाएगा. आरबीआई का मकसद बैंकों और एनबीएफसी की पूंजी जरुरतों के लिए सामंजस्य बनाना है."

आरबीआई गवर्नर ने कहा, "हमारा प्रयास नियम और निगरानी को बेहतर स्तर पर रखना है ताकि एनबीएफसी को वित्तीय रूप से लचीली और मजबूत बनाया जा सके. हम वित्तीय स्थिरता को लघु , मध्यम और दीर्घकालिक अवधि में बनाए रखने के लिए कदम उठाने से गुरेज नहीं करेंगे."

आवास वित्त कंपनियों को लेकर दास ने कहा कि राष्ट्रीय आवास बैंक की ओर से पेश किए गए नियम एचएफसी के लिए जारी रहेंगे. आरबीआई कुछ नियमों की समीक्षा कर रही है. दास ने बताया कि आवास वित्त कंपनियों को रिजर्व बैंक के दायरे में लाना एक महत्वपूर्ण कदम है.

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मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को इस बात को दोहराया कि किसी भी बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) को डूबने नहीं दिया जाएगा. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने बड़ी एनबीएफसी कंपनियों की परिसंपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा के बारे में आदेश देने से इन्कार किया है.

आईएलएंडएफएस संकट के बाद से 12,000 से ज्यादा एनबीएफसी और उनकी आवास वित्त सहयोगी कंपनियों को पूंजी से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इन कंपनियों का ऋण बाजार के एक चौथाई हिस्से पर नियंत्रण है.

उद्योग मंडल फिक्की के राष्ट्रीय बैंकिंग सम्मलेन के मौके पर दास ने अलग से संवाददाताओं के साथ बातचीत में बड़ी एनबीएफसी कंपनियों की परिसंपत्ति गुणवत्ता की जांच का आदेश देने से फिलहाल इनकार किया है.

उन्होंने कहा कि आरबीआई फिलहाल समीक्षा को लेकर कोई विचार नहीं कर रहा है, जैसी कि उसने 2016 के अंत और 2017 की शुरुआत में बैंकों की परिसंपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा की थी. इस समीक्षा में उसने 40 बड़े एनपीए खातों की पहचान की थी और बैंकों को इन्हें दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए भेजने को कहा गया.

दास ने संवाददाताओं को बताया, "फिलहाल एनबीएफसी की परिंसपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा करने का कोई इरादा नहीं है लेकिन हम 500 एनबीएफसी और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) पर नजर रख रहे हैं. इसमें कामकाज, पूंजी पर्याप्तता, स्थिरता, पूंजी प्रवाह और निकासी सभी पहलुओं की निगरानी की जा रही है."

उन्होंने कहा कि आरबीआई बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के परस्पर संबंधों पर करीब से नजर रख रहा है. उन्होंने दोहराया कि नियामक शीर्ष 50 एनबीएफसी कंपनियों को डूबने नहीं देगा.

दास ने कहा, "हमारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि किसी भी बड़े एनबीएफसी को डूबने नहीं दिया जाएगा. आरबीआई का मकसद बैंकों और एनबीएफसी की पूंजी जरुरतों के लिए सामंजस्य बनाना है."

आरबीआई गवर्नर ने कहा, "हमारा प्रयास नियम और निगरानी को बेहतर स्तर पर रखना है ताकि एनबीएफसी को वित्तीय रूप से लचीली और मजबूत बनाया जा सके. हम वित्तीय स्थिरता को लघु , मध्यम और दीर्घकालिक अवधि में बनाए रखने के लिए कदम उठाने से गुरेज नहीं करेंगे."

आवास वित्त कंपनियों को लेकर दास ने कहा कि राष्ट्रीय आवास बैंक की ओर से पेश किए गए नियम एचएफसी के लिए जारी रहेंगे. आरबीआई कुछ नियमों की समीक्षा कर रही है. दास ने बताया कि आवास वित्त कंपनियों को रिजर्व बैंक के दायरे में लाना एक महत्वपूर्ण कदम है.

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Last Updated : Sep 27, 2019, 1:12 PM IST
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