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पीएमसी घोटाले के बाद रिजर्व बैंक सख्त, नियमों में किया संशोधन

पंजाब एडं महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक में धोखाधड़ी सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है. इससे बैंक के नौ लाख से अधिक खाताधारकों को परेशानी हुई.

पीएमसी घोटाले के बाद रिजर्व बैंक सख्त, नियमों में किया संशोधन
पीएमसी घोटाले के बाद रिजर्व बैंक सख्त, नियमों में किया संशोधन
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Published : Jan 6, 2020, 11:36 PM IST

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए निरीक्षण कार्रवाई रूपरेखा (एसएएफ) में संशोधन किया है. इसका मकसद कुछ सहकारी बैंकों के वित्तीय संकट का समाधान करने में तेजी लाना है.

पंजाब एडं महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक में धोखाधड़ी सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है. इससे बैंक के नौ लाख से अधिक खाताधारकों को परेशानी हुई.

आरबीआई ने अधिसूचना में कहा, "प्राप्त अनुभवों को ध्यान में रखते हुए, शहरी सहकारी बैंकों में वांछित सुधार लाने के लिए निरीक्षण कार्रवाई रूपरेखा को तर्कसंगत बनाने का फैसला किया गया है."

ये भी पढ़ें- मोदी की अंबानी, अडाणी, अन्य उद्योगपतियों के साथ बैठक, अर्थव्यवस्था की स्थिति पर हुई चर्चा

केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि वह संशोधित रूपरेखा के तहत शहरी सहकारी बैंक की कुल संपत्ति / पूंजी और मुनाफे, परिसंपत्ति की गुणवत्ता की निगरानी करना जारी रखेगा.

संशोधित नियमों के तहत , शहरी सहकारी बैंक का शुद्ध एनपीए उसके शुद्ध कर्ज के छह प्रतिशत से ज्यादा हो जाने पर बैंक को निरीक्षणात्मक कार्रवाई व्यवस्था के तहत लाया जा सकता है. इसमें दबाव में फंसी संपत्ति की गंभीरता को देखते हुये रिजर्व बैंक उनकी कर्ज देने की क्षमता में कटौती कर सकता है. इसके साथ ही अन्य सुरक्षा उपाय भी किये जा सकते हैं.

किसी भी शहरी सहकारी बैंक को लगातार दो वित्तीय वर्षों के दौरान घाटा होने पर अथवा उसके आय- व्यय खाते में संचित घाटा होने की स्थिति में भी एसएएफ व्यवस्था के तहत लाया जा सकता है.

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए निरीक्षण कार्रवाई रूपरेखा (एसएएफ) में संशोधन किया है. इसका मकसद कुछ सहकारी बैंकों के वित्तीय संकट का समाधान करने में तेजी लाना है.

पंजाब एडं महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक में धोखाधड़ी सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है. इससे बैंक के नौ लाख से अधिक खाताधारकों को परेशानी हुई.

आरबीआई ने अधिसूचना में कहा, "प्राप्त अनुभवों को ध्यान में रखते हुए, शहरी सहकारी बैंकों में वांछित सुधार लाने के लिए निरीक्षण कार्रवाई रूपरेखा को तर्कसंगत बनाने का फैसला किया गया है."

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केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि वह संशोधित रूपरेखा के तहत शहरी सहकारी बैंक की कुल संपत्ति / पूंजी और मुनाफे, परिसंपत्ति की गुणवत्ता की निगरानी करना जारी रखेगा.

संशोधित नियमों के तहत , शहरी सहकारी बैंक का शुद्ध एनपीए उसके शुद्ध कर्ज के छह प्रतिशत से ज्यादा हो जाने पर बैंक को निरीक्षणात्मक कार्रवाई व्यवस्था के तहत लाया जा सकता है. इसमें दबाव में फंसी संपत्ति की गंभीरता को देखते हुये रिजर्व बैंक उनकी कर्ज देने की क्षमता में कटौती कर सकता है. इसके साथ ही अन्य सुरक्षा उपाय भी किये जा सकते हैं.

किसी भी शहरी सहकारी बैंक को लगातार दो वित्तीय वर्षों के दौरान घाटा होने पर अथवा उसके आय- व्यय खाते में संचित घाटा होने की स्थिति में भी एसएएफ व्यवस्था के तहत लाया जा सकता है.

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पीएमसी घोटाले के बाद रिजर्व बैंक सख्त, नियमों में किया संशोधन 

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए निरीक्षण कार्रवाई रूपरेखा (एसएएफ) में संशोधन किया है. इसका मकसद कुछ सहकारी बैंकों के वित्तीय संकट का समाधान करने में तेजी लाना है.



पंजाब एडं महाराष्ट्र को - ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक में धोखाधड़ी सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है. इससे बैंक के नौ लाख से अधिक खाताधारकों को परेशानी हुई.



आरबीआई ने अधिसूचना में कहा , " प्राप्त अनुभवों को ध्यान में रखते हुए , शहरी सहकारी बैंकों में वांछित सुधार लाने के लिए निरीक्षण कार्रवाई रूपरेखा को तर्कसंगत बनाने का फैसला किया गया है. "



केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि वह संशोधित रूपरेखा के तहत शहरी सहकारी बैंक की कुल संपत्ति / पूंजी और मुनाफे , परिसंपत्ति की गुणवत्ता की निगरानी करना जारी रखेगा.



संशोधित नियमों के तहत , शहरी सहकारी बैंक का शुद्ध एनपीए उसके शुद्ध कर्ज के छह प्रतिशत से ज्यादा हो जाने पर बैंक को निरीक्षणात्मक कार्रवाई व्यवस्था के तहत लाया जा सकता है. इसमें दबाव में फंसी संपत्ति की गंभीरता को देखते हुये रिजर्व बैंक उनकी कर्ज देने की क्षमता में कटौती कर सकता है. इसके साथ ही अन्य सुरक्षा उपाय भी किये जा सकते हैं.



किसी भी शहरी सहकारी बैंक को लगातार दो वित्तीय वर्षों के दौरान घाटा होने पर अथवा उसके आय- व्यय खाते में संचित घाटा होने की स्थिति में भी एसएएफ व्यवस्था के तहत लाया जा सकता है.

 


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