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आरबीआई ने छोटे कारोबारियों के लिये सकल कर्ज सीमा बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपये की

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Published : Oct 13, 2020, 10:32 AM IST

आरबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा कि 75 प्रतिशत जोखिम भारांश सभी नये कर्ज और मौजूदा ऋण पर लागू होगा. इसके तहत कंपनियां बैंक से 7.5 करोड़ रुपये की संशोधित सीमा तक और कर्ज ले सकेंगी.

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को 50 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली इकाइयों के लिये खुदरा ऋण सीमा बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपये कर दी. पहले यह सीमा 5 करोड़ रुपये थी. इस पहल का मकसद छोटी कंपनियों के लिये कर्ज प्रवाह बढ़ाना है.

आरबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा कि 75 प्रतिशत जोखिम भारांश सभी नये कर्ज और मौजूदा ऋण पर लागू होगा. इसके तहत कंपनियां बैंक से 7.5 करोड़ रुपये की संशोधित सीमा तक और कर्ज ले सकेंगी.

इसमें कहा गया है, "पचास करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले व्यक्तिगत और छोटी कंपनियों के लिये कर्ज की लागत में कमी लाने और बासेल दिशानिर्देश के अनुरूप करने के लिये, सकल खुदरा कर्ज के लिये 5 करोड़ रुपये की सीमा को बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपये करने का निर्णय किया गया है."

ये भी पढ़ें- उद्योग जगत ने मांग को बढ़ावा देने के लिये सरकार के प्रोत्साहन उपायों की सराहना की

इससे पहले, मौद्रिक नीति सिमिति की बैठक के बाद नौ अक्टूबर को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी घोषणा की थी. एक अन्य अधिसूचना में आरबीआई ने कहा कि एक सितंबर, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक एसएलआर (सांवधिक तरलता अनुपात) प्रतिभूतियों के लिये 'हेल्ड टू मैच्युरिटी' (परिपक्व होने तक प्रतिभूति रखना) के तहत बढ़ी हुई सीमा 22 प्रतिशत की व्यवस्था को 31 मार्च, 2022 तक रखने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है.

बैंक अब इस प्रकार की अतिरिक्त एसएलआर प्रतिभूतियां एचटीएम श्रेणी में 31 मार्च, 2022 तक रख सकती हैं. आरबीआई ने यह भी निर्णय किया है कि बढ़ी हुई एचटीएम सीमा को 30 जून, 2022 को समाप्त तिमाही से चरणबद्ध तरीके से 19.5 प्रतिशत के स्तर पर लाया जाएगा.

रिजर्व बैंक ने चारों डिप्टी गवर्नरों के बीच कामकाज का बंटवारा किया

रिजर्व बैंक ने सोमवार को अपने चार डिप्टी गवर्नरों के कामकाज का नये सिरे से आवंटन किया जिसमें नियमन का काम नव नियुक्त डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव को दिया गया. राव रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बनने से पहले केन्द्रीय बैंक में ही कार्यकारी निदेशक के पद पर थे.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को 50 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली इकाइयों के लिये खुदरा ऋण सीमा बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपये कर दी. पहले यह सीमा 5 करोड़ रुपये थी. इस पहल का मकसद छोटी कंपनियों के लिये कर्ज प्रवाह बढ़ाना है.

आरबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा कि 75 प्रतिशत जोखिम भारांश सभी नये कर्ज और मौजूदा ऋण पर लागू होगा. इसके तहत कंपनियां बैंक से 7.5 करोड़ रुपये की संशोधित सीमा तक और कर्ज ले सकेंगी.

इसमें कहा गया है, "पचास करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले व्यक्तिगत और छोटी कंपनियों के लिये कर्ज की लागत में कमी लाने और बासेल दिशानिर्देश के अनुरूप करने के लिये, सकल खुदरा कर्ज के लिये 5 करोड़ रुपये की सीमा को बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपये करने का निर्णय किया गया है."

ये भी पढ़ें- उद्योग जगत ने मांग को बढ़ावा देने के लिये सरकार के प्रोत्साहन उपायों की सराहना की

इससे पहले, मौद्रिक नीति सिमिति की बैठक के बाद नौ अक्टूबर को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी घोषणा की थी. एक अन्य अधिसूचना में आरबीआई ने कहा कि एक सितंबर, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक एसएलआर (सांवधिक तरलता अनुपात) प्रतिभूतियों के लिये 'हेल्ड टू मैच्युरिटी' (परिपक्व होने तक प्रतिभूति रखना) के तहत बढ़ी हुई सीमा 22 प्रतिशत की व्यवस्था को 31 मार्च, 2022 तक रखने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है.

बैंक अब इस प्रकार की अतिरिक्त एसएलआर प्रतिभूतियां एचटीएम श्रेणी में 31 मार्च, 2022 तक रख सकती हैं. आरबीआई ने यह भी निर्णय किया है कि बढ़ी हुई एचटीएम सीमा को 30 जून, 2022 को समाप्त तिमाही से चरणबद्ध तरीके से 19.5 प्रतिशत के स्तर पर लाया जाएगा.

रिजर्व बैंक ने चारों डिप्टी गवर्नरों के बीच कामकाज का बंटवारा किया

रिजर्व बैंक ने सोमवार को अपने चार डिप्टी गवर्नरों के कामकाज का नये सिरे से आवंटन किया जिसमें नियमन का काम नव नियुक्त डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव को दिया गया. राव रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बनने से पहले केन्द्रीय बैंक में ही कार्यकारी निदेशक के पद पर थे.

(पीटीआई-भाषा)

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