मुंबई: रिजर्व बैंक ने बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों का नये मानदंडों के तहत वर्गीकरण करने को कहा है.
सरकार ने पिछले महीने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के वर्गीकरण के लिये संयंत्र और मशीनरी में निवेश और कारोबार के आधार पर नये मानदंडों को अधिसूचित किया.
रिजर्व बैंक ने बैंकों, वित्तीय संस्थानों और एनबीएफसी को लिखे पत्र में कहा, "....एक जुलाई 2020 से नई परिभाषा के तहत एमएसएमई के नये सिरे से वर्गीकरण के लिये जरूरी कदम उठाये जाएं. इस बारे में अपनी शाखाओं/कार्यालयों को यथाशीघ्र जानकारी दें."
एमएसएमई विकास कानून के 2006 में प्रभाव में आने के 14 साल बाद 13 मई को आत्मनिर्भर भारत पैकेज में एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव की घोषणा की गयी.
रिजर्व बैंक ने कहा कि अगर कोई इकाई संयंत्र और मशीनरी में निवेश या कारोबार या दोनों के आधार पर उच्च श्रेणी में जाती है और उसके आधार पर नये सिरे से वर्गीकरण होता है, ऐसा उद्यम पंजीकरण समाप्त होने के एक साल तक मौजूदा स्थिति को बनाये रखेगा.
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संशोधित परिभाषा के तहत अगर किसी उद्यम के संयंत्र और मशीनरी में निवेश एक करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं है और कारोबार 5 करोड़ रुपये तक है तो उसे सूक्ष्म उद्यम माना जाएगा.
वहीं संयंत्र और मशीनरी में 10 करोड़ रुपये तक के निवेश और 50 करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबार वाले लघु उद्यम कहलाएंगे.
नई परिभाषा के अनुसार जबकि 50 करोड़ रुपये तक के निवेश और 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली इकाइयां मझोले उद्यम की श्रेणी में आएंगी.
(पीटीआई-भाषा)