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आरबीआई का बैंकों को आदेश, एक अक्टूबर से सभी लोन पर ब्याज को रेपो रेट से जोड़ें - Policy Interest Rate

रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऋणों की ब्याज दर को रेपो दर जैसे बाहरी मानकों से एक अक्टूबर से जोड़ने को कहा है. इससे नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ कर्ज लेने वाले उपभोक्ताओं तक अपेक्षाकृत तेजी से पहुंचने की उम्मीद है.

रिजर्व बैंक का बैंकों को आदेश, एक अक्टूबर से सभी लोन पर ब्याज को रेपो रेट से जोड़ें
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Published : Sep 4, 2019, 9:06 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 11:13 AM IST

मुंबई: मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वह एक अक्टूबर से आवास, वाहन और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) को फ्लोटिंग दर पर दिये जाने वाले सभी नये कर्जों को रेपो दर जैसे बाहरी मानकों से जोड़ने का निर्देश दिया है.

बैंकों को इन ऋणों की ब्याज दर को रेपो दर जैसे बाहरी मानकों से एक अक्टूबर से जोड़ने को कहा गया है. इससे नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ कर्ज लेने वाले उपभोक्ताओं तक अपेक्षाकृत तेजी से पहुंचने की उम्मीद है.

उद्योग और खुदरा कर्ज लेने वाले लगातार यह शिकायत करते रहे हैं कि रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में कटौती के बावजूद उसका पूरा लाभ बैंक उपभोक्ताओं को नहीं दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें- अमेजन इंडिया का जून, 2020 तक एक बार इस्तेमाल में लाये जाने वाले प्लास्टिक प्रयोग बंद करने का लक्ष्य

रिजर्व बैंक ने बुधवार को बयान में कहा कि ऐसा देखने को मिला है कि बैंकों की मौजूदा सीमान्त लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) व्यवस्था में रिजर्व बैंक की नीतिगत दरों में बदलाव का लाभ बैंकों की ऋण दर तक पहुंचाने का काम संतोषजनक नहीं रहा है.

इसी के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने बुधवार को सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले व्यक्तिगत या खुदरा ऋण और एमएसएमई को फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को एक अक्टूबर, 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया है.

इस साल रिजर्व बैंक रेपो दर में 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है. लेकिन बैंकों द्वारा इसमें से सिर्फ 0.40 प्रतिशत का ही लाभ उपभोक्ताओं को दिया गया है.

बैंकों को जिन बाहरी मानकों से अपने ऋण की ब्याज दरों को जोड़ना होगा उनमें रेपो, तीन या छह महीने के ट्रेजरी बिल पर प्रतिफल या फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लि. (एफबीआईएल) द्वारा प्रकाशित कोई अन्य मानक हो सकता है.

केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बाहरी मानक आधारित ब्याज दर को तीन महीने में कम से कम एक बार नए सिरे से तय किया जाना जरूरी होगा.

भारतीय स्टेट बैंक अपने कुछ ऋणों को रेपो से जोड़ने वाला पहला बैंक है. बाद में कई और बैंकों ने भी अपने ऋण को रेपो या किसी अन्य बाहरी मानक से जोड़ा है.

अगस्त, 2017 में रिजर्व बैंक ने एमसीएलआर प्रणाली की समीक्षा को आंतरिक अध्ययन समूह (आईएसजी) का गठन किया था. आईएसजी ने ऋणों को बाहरी मानक से जोड़ने की सिफारिश की थी.

मुंबई: मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वह एक अक्टूबर से आवास, वाहन और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) को फ्लोटिंग दर पर दिये जाने वाले सभी नये कर्जों को रेपो दर जैसे बाहरी मानकों से जोड़ने का निर्देश दिया है.

बैंकों को इन ऋणों की ब्याज दर को रेपो दर जैसे बाहरी मानकों से एक अक्टूबर से जोड़ने को कहा गया है. इससे नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ कर्ज लेने वाले उपभोक्ताओं तक अपेक्षाकृत तेजी से पहुंचने की उम्मीद है.

उद्योग और खुदरा कर्ज लेने वाले लगातार यह शिकायत करते रहे हैं कि रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में कटौती के बावजूद उसका पूरा लाभ बैंक उपभोक्ताओं को नहीं दे रहे हैं.

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रिजर्व बैंक ने बुधवार को बयान में कहा कि ऐसा देखने को मिला है कि बैंकों की मौजूदा सीमान्त लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) व्यवस्था में रिजर्व बैंक की नीतिगत दरों में बदलाव का लाभ बैंकों की ऋण दर तक पहुंचाने का काम संतोषजनक नहीं रहा है.

इसी के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने बुधवार को सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले व्यक्तिगत या खुदरा ऋण और एमएसएमई को फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को एक अक्टूबर, 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया है.

इस साल रिजर्व बैंक रेपो दर में 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है. लेकिन बैंकों द्वारा इसमें से सिर्फ 0.40 प्रतिशत का ही लाभ उपभोक्ताओं को दिया गया है.

बैंकों को जिन बाहरी मानकों से अपने ऋण की ब्याज दरों को जोड़ना होगा उनमें रेपो, तीन या छह महीने के ट्रेजरी बिल पर प्रतिफल या फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लि. (एफबीआईएल) द्वारा प्रकाशित कोई अन्य मानक हो सकता है.

केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बाहरी मानक आधारित ब्याज दर को तीन महीने में कम से कम एक बार नए सिरे से तय किया जाना जरूरी होगा.

भारतीय स्टेट बैंक अपने कुछ ऋणों को रेपो से जोड़ने वाला पहला बैंक है. बाद में कई और बैंकों ने भी अपने ऋण को रेपो या किसी अन्य बाहरी मानक से जोड़ा है.

अगस्त, 2017 में रिजर्व बैंक ने एमसीएलआर प्रणाली की समीक्षा को आंतरिक अध्ययन समूह (आईएसजी) का गठन किया था. आईएसजी ने ऋणों को बाहरी मानक से जोड़ने की सिफारिश की थी.

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रिजर्व बैंक ने बैंकों से ऋण की ब्याज दर को बाहरी मानक से जोड़ने का निर्देश दिया

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को आवास, व्यक्तिगत और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों को सभी नए फ्लोटिंग दर वाले ऋणों को रेपो दर सहित बाहरी मानकों से जोड़ने का निर्देश दिया है. इससे नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ कर्ज लेने वाले उपभोक्ताओं तक अपेक्षाकृत तेजी से पहुंचने की उम्मीद है. 

रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा कि ऐसा देखने को मिला है कि मौजूदा कोष की सीमान्त लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) व्यवस्था में नीतिगत दरों में बदलाव को बैंकों की ऋण दरों तक पहुंचाना कई कारणों से संतोषजनक नहीं है. 

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इसी के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले व्यक्तिगत या खुदरा ऋण और एमएसएमई को फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को एक अक्टूबर, 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया है. 

केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बाहरी मानक आधारित ब्याज दर को तीन महीने में कम से कम एक बार नए सिरे से तय किया जाना जरूरी होगा. करीब एक दर्जन बैंक पहले ही अपनी ऋण दर को रिजर्व बैंक की रेपो दर से जोड़ चुके हैं. 


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Last Updated : Sep 29, 2019, 11:13 AM IST
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